About Match Making | कुंडली मिलान
About Match Making/कुंडली मिलान: In this era every guardian wants that for marriage of their ward should be married to such a person who is well qualified and have all the commodities to lead the life. For this purpose, people go to the astrologers and match the horoscope. According to astrology they analyse in two ways.
- Constellation matching
- Planet matching
When 20 points of the horoscope coincides, astrologer signals go ahead. Besides this for different Varnas different angles are considered. For example for Brahmins they analyse ‘Nadee’, for Kshatriyas they analyse ‘Gan’, for Vaishyas it is Gan analysis and for Shudras they analyse Yoni. Besides above for the happy married life zodiac relations are also analysed. If the defects are found in those the avoidance is also mentioned in the scripture.
लग्ने व्यये च पाताले, जामित्रे चाष्टमे कुजे।
कन्या भर्त्र विनाशाय, भर्ता पत्नी-विनाशकृत।।
It means if in the Lagna 4th, 7th, 8th, 12th position Mars or any malefic planet is there then there is Mangalik Dosha. Similarly when in horoscope Moon is in harmful position of Mars, Then there is Mangalik Yog. Mangalik analysis(About Match Making) is done by observing the horoscope of the boy and girl both. Besides Mars and Moon Mangalik analysis can be done by the position of Sun and Venus. But now a day It has to be considered by analysing Moon and Lagna both. In some cases if there is Lagna Mangalik in brides horoscope and Moon Mangalik in grooms horoscope, the matching is good.
Many a time it is found that even after matching the horoscope properly, the married life becomes stressful(About Match Making). This happens when horoscope is matched by the astrologer but they do not pay attention to the condition of the joining of planetary movement. If the analysis is made on Mahadasha and taken steps accordingly, there will be no problem arising in the married life. The horoscopes which are analyzed all around, the married life of the couple become happier.
Marriage Matching:
- The pre marriage matching of the horoscope is called marriage matching. By analysing this one can know the behaviour, character and other activities of other side and become confident. Now a day educated persons and upper class people are considering this way.
- Hence if the horoscope of girl and boy are matched in this way, the married life become providential.
- Some points on the matching are to be pondered for the happy married life.
- If in the boy’s horoscope Saptamesh is in mean position is the zodiac sign of the girls horoscope then married life will be happy.
- If in the zodiac sign of the girl’s horoscope is in the high position of Saptamesh in boy’s horoscope, their married life will be delightful.
- If in the 7th position of the horoscope of the both remains the same zodiac signs, their life is said to be too delightful.
- If both the horoscope has friendly zodiac signs, the life will be blissful.
- If in both the horoscope Lagnesh is in friendly position, they will be happy.
- If both the horoscope are carrying with Sun and Moon in points or Goon, they will remain peacefully.
- If both the horoscope shows that they will have no off springs, their life will be happy.
Category Analysis:
During the analysis of happiness of the couple, if Category analysis is done properly then the married life becomes blissful. If the wife is in 5th category of husband, they will fight together always, and if it is 3rd or 2nd then it is a normal life and if it is in the 1st category it is friendly couple. The categories are defined hereunder according to the initials of the name in Hindi.
1 अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं | गरुड़ वर्ग |
2 क ख ग घ ड | बिल्ली वर्ग |
3 ट ठ ड ढ ण | श्वान वर्ग |
4 त थ द ध न | सर्प वर्ग |
5 प फ ब भ म | चूहा वर्ग |
6 य र ल व | हरिण वर्ग |
7 श ष स ह | भेड वर्ग |
कुंडली मिलान | About Match Making
कुंडली मिलान: आजकल आधुनिक युग में प्रत्येक अभिभावक चाहता है, कि उसके विवाह योग्य बच्चों के लिए ऐसे वर-वधु मिले जो पढ़े लिखे हो और उन्हें पूर्ण दाम्पत्य सुख एवं भौतिक सुख प्राप्त हो। इसके लिए अभिभावक अच्छे ज्योंतिष के पास जाकर कुण्डली मिलान करवाते हैं। ज्योतिष के आधार पर जन्मपत्री में दो प्रकार से मेलापक किया जाता है।
- पहला नक्षत्र मेलापक
- दूसरा ग्रह मेलापक
यदि वर कन्या की कुण्डली के मिलान करने पर कम से कम 20 गुण मिल जाते हैं, तो ज्योतिष विशेषज्ञ विवाह की अनुमति प्रदान करते हैं। इसके अलावा अलग-अलग वर्णों के लिए अलग-अलग बातों का भी विचार किया जाता है। जैसे-ब्राहमणों के लिए नाड़ी का विचार क्षत्रियों के लिए गण का विचार वैश्यों के लिये वर्ण का विचार शूद्रों के लिये योनि का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुंडली मिलान में दाम्पत्य सुख के लिए ग्रह मैत्री या भकूट (राशि मैत्री) का भी विचार किया जाता है। नाड़ी एवं गणदोष का परिहार भी शास्त्रों में वर्णित है। ग्रह मेलापक में सर्वप्रथम मांगलिक दोष का विचार किया जाता है।
लग्ने व्यये च पाताले, जामित्रे चाष्टमे कुजे।
कन्या भर्त्र विनाशाय, भर्ता पत्नी-विनाशकृत।।
अर्थात् लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, द्दादश भाव में यदि मंगल या कोई पाप ग्रह हो तो मांगलिक योग होता है। इसी प्रकार चन्द्र के कुण्डली में भी उपर्युक्त स्थानों में मंगल होने से चन्द्र मांगलिक योग होता है। मांगलिक विचार वर-कन्या दोनों की जन्म पत्री से देखा जाता है। लग्न व चन्द्र के अलावा सूर्य व शुक्र से भी मांगलिक विचार किया जाता है पर आजकल लग्न एवं चन्द्र दो प्रकार से निश्चित रूप से विचार कर लेना चाहिए। कई जगह पर वर की कुण्डली में लग्न मांगलिक योग व कन्या की कुण्डली में चन्द्र मांगलिक योग होता है ऐसी स्तिथि होने पर विवाह उपयुक्त ही होता है। (कुंडली मिलान)
पर कई बार देखा गया है कि वर-वधू की कुण्डली मिलवाने तथा ज्योतिषियों से परामर्श लेकर विवाह करने के पश्चात भी वर-वधू दुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसका मूल कारण यह है, कि कुछ ज्योतिष कुण्डली तो मिलान कर देते है, पर आपसी ग्रहों से उत्पन्न होने वाले योगों का ध्यान नहीं देते, अगर इन ग्रहों से बनने वाले योगों पर और दोनों कुंडली की अपनी-अपनी महादशाओं पर ध्यान दिया जाये तो वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या बाधा नही देखने को मिलती, ऐसा हमने अपने अनुभवों में पाया है, जिनकी कुण्डली का इस प्रकार मिलान होता है, उनके जीवन में आयु, विचार, परिवार, धन, संतान, घर, उन्नति आदि सभी पक्षों से सुख की प्राप्ति होती है। (कुंडली मिलान)
विवाह मेलापक:
विवाह से पूर्व वर (लड़का) वधू (लड़की) की जन्मकुंडली मिलाने को ‘कुंडली मिलान’ कहते है। इससे जहां एक ओर एक दूसरे के स्वभाव, वर्ण, विचार और प्रेम के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लिया जाता है, वहीं दूसरी ओर दोनों पक्षों के लोग भी आश्वस्त हो जाते है। आजकल पढ़े लिखे और उच्च वर्ग के लोगो में भी यह भावना देखी जा रही है।
इस प्रकार ग्रह नक्षत्र और राशि के माध्यम से भावी वर वधू की कुंडली का मिलान कर समान स्वभाव के लोगों का विवाह किया जाए, तो दोनों का दाम्पत्य जीवन मधुर बना रहता है। मैं आपको ज्योतिष शास्त्र में वर्णित मेलापक के कुछ योग दे रहा हूँ जिनका मिलान करते समय ध्यान देने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। (कुंडली मिलान)
- यदि वर (लड़का) की कुंडली में सप्तमेश का नीच स्थान कन्या (लड़की) की राशि हो, तो वैवाहिक जीवन मधुर रहता है।
- यदि कन्या (लड़की) की राशि वर के सप्तमेश का उच्च स्थान हो, तो वर वधू का जीवन आनंदमय बीतता है।
- वर की कुंडली में सप्तम स्थान के स्वामी की राशि कन्या (लड़की) की भी हो, तो दोनों का जीवन मधुर रहता है।
- वर (लड़का) के शुक्र की राशि कन्या (लड़की) की राशि हो, तब भी जीवन सुखमय बीतता है।
- वर (लड़का) की कुंडली में सप्तमांश राशि में कन्या का चन्द्रमा हो, तो वैवाहिक जीवन सुखकारी होता है।
- वर (लड़का) के लग्नेश की राशि, कन्या (लड़की) की राशि भी हो, तो वैवाहिक जीवन मधुर होता है।
- लग्न से सातवीं राशि दूसरे पक्ष की भी राशि हो, तो पति पत्नी आनन्दमय जीवन बिताते है।
- यदि दोनों की कुंडली की राशि मित्र तत्व होती है, तो दोनों में प्रेम रहता है।
- वर (लड़का) कन्या (लड़की) के लग्नेश मित्र घर में हो तो जीवन सुखमय होता है।
- दोनों के गुण, रवि और चन्द्र शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो, तो वैवाहिक जीवन मधुर होता है।
- वर (लड़का) और कन्या (लड़की) दोनों की कुंडली में सन्तान न हो, तो भी दोनों का जीवन सुखमय बीत सकता है।
वर्ग विचार:
पति-पत्नी के सुख का विचार करते समय वर्ग पर ध्यान दिया जाता है तो निश्चित ही वैवाहिक जीवन मधुर बनता है। यदि पति के वर्ग से पांचवे वर्ग की पत्नी हो, तो उम्र भर कलह, तीसरा वर्ग हो, तो साधारण जीवन तथा दूसरा वर्ग हो, तो साधारण जीवन तथा एक ही वर्ग हो, तो मित्रता रहती है। नीचे एक ओर अक्षर दिए है, जिनका नाम इन अक्षरों से प्रारम्भ होता है, उनका वर्ग उसके सामने लिखा है।
1 अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं | गरुड़ वर्ग |
2 क ख ग घ ड | बिल्ली वर्ग |
3 ट ठ ड ढ ण | श्वान वर्ग |
4 त थ द ध न | सर्प वर्ग |
5 प फ ब भ म | चूहा वर्ग |
6 य र ल व | हरिण वर्ग |
7 श ष स ह | भेड वर्ग |