Achyranthes Aspera Benefits | अपामार्ग के लाभ
Other names of Achyranthes Aspera Benefits (अपामार्ग):
- Sanskrit – Apamarg
- Hindi – Chirchita
- Punjabi – Puthkanda
- Bengali – Apaag
- Marathi – Aghara
- Parsee – Narvasgona
- Arabian – Ankar
Introduction of Achyranthes Aspera:
Achyranthes Aspera Benefits: Most of the people know about this tree. It is a famous herb which usually grow in the arid places and vacate places. This Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) herb, during the Shravani day, by chanting the spell of Veda, is abluted. On the day of fourteenth day of Kartika and Hrishi Panchami this tree is used for cleaning the teeth. The information of this herb is available in the text of Veda. This Achyranthes Aspera herb is of two types, one is red and another one is white. In the branches of red type having reddish glow and leaves are also having red spots. The white one is full white.
This Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) herb is found in every part of the country. In some places it is available round the year and in some places it is found in the rainy season only. It starts germinating as the rain water falls on it. During the winter season it grooms a lot and dries in summer.
Religious and Astrological importance:
There are two types of Root chaff tree. Out of these two white one is more effective. So try to get the roots of it. If for reason or other one can’t get the roots of the white Root chaff tree, the roots of the red one will work as substitutes. This is a log type root with reddish shades. The roots are to be taken on the auspicious period and intertwine it with cotton thread 7 times and hold it for retention. This will enable the holder from fevers. To remove it from the body, Pushya constellation on Sun is the most auspicious time.
The boy or girl who are under the effect of evil sight, it will remove the evil effect of that. For this, some roots are to be taken on a black cloth and after wrapping it should be tied with a black thread and circumnutate the thing anti clock wise 7 or 9 times. The kid will be alright and barred from the evil sight. If the oil from the roots is messaged on a body, it will make the skin tender. The oil can be made by putting some roots into the muster oil and boiling it. The roots should remain in the oil and after the oil becomes cold apply it on the body. It Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) also give a grace on the body color.
If 20 grams of this seed is boiled with milk and sugar to make dessert and that dessert is consumed by a man, he will not be feeling hungry for at least 7 days. If the seeds of this Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) tree is poured into ghee and sacrifice is made with that seed mixed ghee, it will remove the disease of hysteria. the seeds are found into the pod of this tree like rice. The twig of this tree if used for the dental brush, Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) will remove the tooth ache and if the dry powder of this seed is inhaled, the worm in the brain is removed.
If the garland of the leaves of this plant is retained around the neck, Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) will remove all the throat related diseases. The poisons of scorpions will be deactivated if the roots of this Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) plant is touched in the wound of scorpion biting. On the day of full moon in the month of Kartika, some seeds of this plant is taken and dessert is made with cow milk and kept open on the moonlit night, and thereafter consumed, the person did so will be cured from asthma. If the roots are put into the vagina of a lady on the last stage of pregnancy, delivery will be fast and the pain for delivery is reduced.
For Mesmerism of Achyranthes Aspera:
If the roots are made like nails and after chanting the following spell for 7 times, those roots are thrown to a house, the people of that house will be hypnotized. This can be brought to the practice after chanting the following spell 41000 times.
Mantra:
Om madana kaamdevaya phat swaaha
।। ॐमदन कामदेवाय फट स्वाहा।।
Mesmerizing Punctum:
If the root of Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) tree is rubbed with the urine of cow and the paste is put on forehead as a punctum all the people nearby will be hypnotized after chanting the above spell.
Lampblack for hypnotism:
If the lampblack of the roots in jasmine oil is made and chanted the following spell along with the process and if visited to any women after chanting the same spell and applying it on the eyes, the women will be under her control.
मोहिनी काजल
ओं नम: पदमनी
अंजन मेरा नाम
इस नगरी में बैठके
मोहूं सगरा गाम
राज करन्ता राजा मोहूं
फर्श पे बैठा बनिया मोहूं
मोहूं पनघट की पनिहार
इस नगर की छत्तीस
मोहूं पवन बयार
जो कोई मार।
मार करंता आवे
ताही नरसिंह वीर
बायां पग के अंगूठा
तेल धर गेर लावे
मेरी भक्ति
गुरु की शक्ति
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा
Achyranthes Aspera Medicinal Importance:
- In medicine it has many importance. The tree is made for removing diseases. In dental disease it works as miracle. The juice of the roots are applied on the aching tooth, it will remove the ache. For breathing trouble if 4 to 5 leaves are dried and inhaled the smoke by burning it, it will cure the disease.
- Achyranthes Aspera (Achyranthes Aspera Benefits) is good for children in cough and cold. If the roots of this tree is powdered and given to the children with honey, it will cure them. If the ladies, who are suffering from leucorrhea can have this by making juice of 8 to 10 leaves and consumed with honey and candy. It will make them comfortable.
- Achyranthes Aspera can remove the ear problem if one or two drops of this juice are poured into the ear.
- If these roots are kept in pocket, enemies can not attack.
अपामार्ग के लाभ | Achyranthes Aspera Benefits
अपामार्ग के अन्य नाम:
- संस्कृत – अपामार्ग
- हिंदी – चिरचिटा
- पंजाबी – पुठकंडा
- बंगाली – अपाग
- मराठी – अघाड़ा
- अंग्रेजी – रूफचेफ्ट्री
- फारसी – नारवासगोना
- अरबी – अंकर
अपामार्ग परिचय:
अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) के पौधे से अधिकांश व्यक्ति परिचित होते हैं इसे चिरचिटा भी कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध झाड़ीदार पौधा है, जो प्राय: बंजर और रेतीले तथा खाली स्थानों पर होती है। यह वही पौधा है जिसके साथ श्रावणी के दिन वेद-मंत्रों को पढ़कर मार्जन किया जाता है। इसी के द्वारा कार्तिक वदी चतुर्दशी तथा ऋषि पंचमी के दिन दंत धावन किया जाता है। इस पौधे का विवरण अथर्ववेद में भी मिलता है। अपामार्ग दो प्रकार का होता है, एक लाल तथा दूसरा सफेद।
लाल अपामार्ग की शाखायें कुछ लालपन लिये हुये होती हैं तथा उसके पत्तों पर भी लाल निशान होते हैं। सफेद अपामार्ग की शाखाओं एवं पत्तियों पर लाल रंग का अभाव होता है। यह पौधा प्राय: भारत के सभी प्रदेशों में पाया जाता है। इनमें भी कहीं-कहीं यह वर्ष भर मिलता है और कहीं केवल वर्षा ऋतु में ही पाया जाता है। वर्षा का जल पड़ते ही यह अंकुरित होने लगता है। शीत ऋतु में यह अच्छा विकसित होता है और ग्रीष्म ऋतु में सूख जाता है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व:
अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) की दो जातियां होती हैं श्वेत और रक्त अपामार्ग। इनमें से श्वेत अपामार्ग ज्यादा प्रभावशाली होता है, अत: उसके उपलब्ध होने पर इसकी मूल को प्राप्त करें। यदि यह न मिल सके तब रक्त अपामार्ग की मूल प्राप्त करें। यह लाल रंग की आभा वाले तने की जाति की होती है। शुभ मुहूर्त में निकाली गई मूल को किसी सूती धागे से 7 बार लपेट कर धारण करने से विषम ज्वर दूर होता है। इसके निकालने का विशेष शुभ समय रवि पुष्य योग माना गया है।
उपरोक्तानुसार शुभ मुहूर्त में प्राप्त की गई श्वेत अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) की मूल को घिसकर तिलक लगाने से सम्मोहन होता है। इसके लिये श्वेत अपामार्ग की मूल को गुरू पुष्य नक्षत्र में पूर्व निमंत्रण देकर निकालकर जो व्यक्ति सिरहाने रखकर सोता है उसे शीघ्र नींद आ जाती है। जिस बालक को बार-बार नजर लगती हो और इसका प्रभाव उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है, तो अपामार्ग की जड़ का प्रयोग करके नजरदोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। इसके लिये किसी भी अपामार्ग की जड़ अथवा 2-3 पत्ते प्राप्त करें। उसे काले छोटे कपड़े में पोटली की भांति रखकर ऊपर से काले धागे से बांध दें। इसके पश्चात् 7 अथवा 9 बार बालक के ऊपर से उल्टा उसारा करें। उसारा करते समय बालक की नजर दोष किसी चौराहे पर डाल दें। शीघ्र ही आपका बच्चा नजर पीड़ा से मुक्त होकर हंसने-खेलने लगेगा।
अपामार्ग की मूल से सिद्ध तेल की शरीर पर मालिश करने से शरीर पर निखार आने लगता है। श्वेत अपामार्ग की शुभ मुहूर्त में प्राप्त की गई मूल को थोड़े से सरसों के तेल में खूब गर्म कर लें और मूल को तेल में ही पड़े रहने दें। इससे यह तेल सिद्ध हो जायेगा। जब तेल ठण्डा हो जाए तो इसे छान कर शीशी में भर कर सुरक्षित रख लें। केवल सिर को छोड़कर शरीर के शेष भाग में इसकी मालिश करने से काले वर्ण के व्यक्ति का रंग भी खिल उठता है। श्वेत अपामार्ग के लगभग 20 ग्राम बीजों को भली प्रकार से भूसी हटाकर 250 ग्राम दूध में उबाल कर खीर बना लें। इस खीर को खाने से सम्बन्धित व्यक्ति को 3 से 7 दिनों तक भूख नहीं लगती है।
श्वेत अपामार्ग के बीजों को घी मिलाकर जहाँ हवन किया जाता है, वहाँ से मिर्गी रोग विदा हो जाता है। श्वेत अपामार्ग के बीज इस पौधे के शीर्ष पर एक लड़ी पर चावल के समान लगे होते हैं। इसकी दातुन दांत दर्द दूर करती है और नसवार सिर के कीड़े मारती है। लाल अपामार्ग की तरोताजा पत्तियों की माला प्रतिदिन पहनने से कण्ठ रोग समाप्त हो जाता है। चिरचिटा की जड़ को बिच्छू द्वारा काटे गए व्यक्ति को 7 बार दिखा देने, अथवा काटे गए स्थान पर छुआ देने मात्र से बिच्छू का जहर उतर जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपामार्ग के थोड़े बीज लेकर उन्हें भली प्रकार साफ़ कर लें तत्पश्चात एक पाँव गौ के दूध में औटा करके खीर तैयार करें। रात को खुले स्थान पर चन्द्रमा की चांदनी की अर्थात् ओस में रख दें। तब दूसरे दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व इस खीर का सेवन करने से दमा रोग से छुटकारा मिल जाता है। प्रसव के लिए अपामार्ग की चार अंगुल जड़ लाकर गर्भिणी नारी की योनि में प्रविष्ट कराने से तत्काल प्रसव हो जाता है।
वशीकरण के लिए:
अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) की जड़ उखाड़कर उसे कील की तरह बनाकर उसे 7 बार अभिमंत्रित करके जिसके घर में फेंक दिया जाए वह व्यक्ति वश में हो जाता है। पहले इस मन्त्र को 41000 बार जप करके सिद्ध करने के बाद ही प्रयोग में लाएं।
अपामार्ग मन्त्र:
।। ॐ मदन कामदेवाय फट स्वाहा ।।
वशीकरण तिलक:
अपामार्ग की जड़ और गोरोचन को इकट्ठा पीसकर कपाल पर तिलक लगाने से तीनो लोक वशीभूत होते है। यह भी प्रयोग ऊपर कहे मन्त्र से अभिमंत्रित करके प्रयोग करें।
काजल वशीकरण के लिए:
विधि: अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) की टहनी लेकर, उस पर रुई लपेट कर बत्ती बनाकर एक मिट्टी के दीपक में चमेली का तेल डालकर जलाएं। इसका काजल एकत्र करें, जब तक यह काजल की क्रिया चलती रहे तब तक इस मन्त्र का जप करें।
मोहिनी काजल:
ओं नम: पदमनी
अंजन मेरा नाम
इस नगरी में बैठके
मोहूं सगरा गाम
राज करन्ता राजा मोहूं
फर्श पे बैठा बनिया मोहूं
मोहूं पनघट की पनिहार
इस नगर की छत्तीस
मोहूं पवन बयार
जो कोई मार।
मार करंता आवे
ताही नरसिंह वीर
बायां पग के अंगूठा
तेल धर गेर लावे
मेरी भक्ति
गुरु की शक्ति
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा
जब आपको काजल का प्रयोग करना हो, तब 101 बार इस मन्त्र से काजल को अभिमंत्रित करके जिस स्त्री के पास काजल लगाकर जाए तो वह स्त्री दासी की तरह साधक का कार्य करेगी। यह सिद्ध प्रयोग है।
अपामार्ग का औषधीय महत्व:
- औषधीय रूप से अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) का बहुत अधिक महत्व माना गया है। अपामार्ग का अर्थ है, रोगों को ठीक करना। विशेष रूप से यह बढ़ी हुई भूख को शांत करता है, तथा दांत के रोगों के साथ साथ अन्य अनेक रोगों को भी ठीक करता है। दांतों के रोगों में इसका विशेष प्रयोग किया जाता है। यह दांत में होने वाली पीड़ा से मुक्ति दिलाता है। इसके 4-5 पत्ते लेकर स्वच्छ कर लें। इन्हें ठीक से कूट कर इनका रस प्राप्त करें। इस रस को रुई में लगाकर फोया बनाकर दांत पर लगाने से लाभ मिलता है।
- श्वास रोगों में अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) की पत्तियों को लाभकारी पाया गया है। इसके लिए 8 से 10 पत्तियों को लेकर सुखा लें। इसके बाद इनको चिलम अथवा हुक्के द्वारा पीने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। बच्चों में अगर कफ जमने तथा खांसी की समस्या है तो इसके लिए यह प्रयोग करें। इसके अंतर्गत अपामार्ग की जड़ का चूर्ण लगभग आधा चम्मच लेकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को चटा दें। इससे छाती में जमा कफ दूर होकर शान्ति की प्राप्ति होगी।
- महिलाओं में होने वाले रक्तप्रदर रोग में अपामार्ग का प्रयोग बहुत अधिक लाभ देता है। इसके लिए अपामार्ग की ताज़ी पत्तियां लगभग 10 ग्राम तथा इससे आधी मात्रा 5 ग्राम के लगभग हरी घास प्राप्त करें। दोनों को अच्छी प्रकार से पीस लें, इसमें एक कप के बराबर जल मिलाकर छान लें। इसमें स्वाद के अनुसार मिश्री अथवा शहद मिलाकर प्रात: काल में सेवन करें। इसका निरंतर 15 दिन तक सेवन करें अथवा रोग के ठीक होने तक नियमित रूप से करें। अवश्य ही लाभ की प्राप्ति होगी। कर्णपीड़ा में इसके पत्तों के अर्क की एक दो बूंद को कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है। इसकी टहनी से दातुन करने से दांत तो साफ़ होते ही है, साथ ही बुद्धि भी बढती है। इसलिए अपामार्ग की दातुन अवश्य करें।
- जिस व्यक्ति को बिच्छू ने काटा हो उसके विष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए डंक किए स्थान पर तथा उसके आस पास अपामार्ग की जड़ को फिराएं। ऐसा करने से बिच्छू डंक का प्रभाव समाप्त हो जाता है। तत्पश्चात उसी जड़ को जल में घिसकर अथवा पीसकर डंक वाले स्थान पर रख दें। ऐसा करने से विष का प्रभाव समाप्त हो जाएगा। प्राचीनकाल में विष उतारने के लिए यह प्रयोग बहुत अधिक किया जाता था। अपामार्ग (Achyranthes Aspera Benefits) की जड़ के एक छोटे टुकड़े को ताबीज में रखकर काले धागे में गले में बाँधने से नजर नहीं लगती है। इस मूल को पास में रखने वाले पर शत्रु आसानी से हमला नहीं कर पाता।