Agarwood Benefits, अगर वुड

Agarwood Benefits | अगर वुड के लाभ

Agarwood Benefits (अगर वुड): Agarwood is a scented black and grey colour wooden stick which is found in Assam state mostly. A smell of Jasmine comes from it. It is bitter in taste and heavier by mass. The tree of this Agarwood is too long and due to its mass it sinks into the water. Grocers usually keeps this for sell. It is used in Yajna and preparing eight smells.

When Agarwood (Agarwood Benefits) is mixed with the ingredients of Yajna and sacrificed  on the Havan kund, the diseases are cured and the bad effect of the planets are removed. There  will be peace and calmness will prevail in the house. In astrology it has a multiple use. In Ayurved it is the medicine for gas problem, pancreatic problems and ear problems. Its original name is Agar only.

Agarwood (Agarwood Benefits) is the ultimate destination of sacred aroma, used since the archaic times for attaining clarity of mind, enlightment and inner peace essential for realizing and reaching divinity through meditation. Agarwood it is known as Aguruh Kul in Ayurveda and is recommended in the treatment of Neuro-Muscular conditions, pleurisy, anaemia, halotosis, impotence, blood impuruties, Urinary infections, indigestion, skin problems and bed wetting.

Agarwood Benefits, अगर वुड

अगरवुड के लाभ | Agarwood Benefits

अगरवुड (Agarwood Benefits):  अगरवुड एक सुगन्धित काले भूरे रंग की लकड़ी होती है, जो असम राज्य में पैदा होती है। इसमें से चमेली के फूलों की सुगंध आती है। खाने में इसका स्वाद कडवा होता है। इसके पेड़ बहुत लम्बे होते है और यह लकड़ी वजन में बहुत भारी होती है, जोकि पानी में डूब जाती है। पंसारियों के यहाँ अगर आसानी से मिल जाती है। जिसका प्रयोग शांतिप्रद हवन और अष्टगंध बनाने में होता है। अगरवुड को हवन सामग्री में मिलाकर हवन करने से घर में रोग, ग्रहदोष शीघ्र ही शांत होते है और घर में सुख शांति बनी रहती है।

ज्योतिष शास्त्र में इसका बहुत प्रयोग होता है आयुर्वेद में इसका प्रयोग वात, पित्त, कान के रोग की औषधि के रूप में किया जाता है, इसका मूल नाम अगरवुड (Agarwood Benefits) ही है। अगरवुड पवित्र सुगंध का आखिरी पर्याय है, जो ध्यान के माध्यम से दिव्यता को समझने और पहुंचने के लिए आवश्यक मन, स्पष्टता और आंतरिक शांति की स्पष्टता प्राप्त करने के लिए पुरातन काल से उपयोग किया जाता है। इसे आयुर्वेद में अगुरुह कुल के रूप में जाना जाता है और न्यूरो-मास्कुलर स्थितियों, फुफ्फुसीय, एनीमिया, हेलोटोसिस, नपुंसकता, रक्तदोष, मूत्र संक्रमण, अपचन, त्वचा की समस्याएं और बिस्तर गीलेपन के इलाज में सिफारिश की जाती है।