अक्रूर कृत श्रीकृष्ण स्तुति:/Akrura Krita Sri-Krishna Stuti
अक्रूर कृत श्रीकृष्ण स्तुति:/Akrura Krita Sri-Krishna Stuti
नम: श्रीकृष्णचन्द्राय परिपूर्णतमाय च ।
असंख्याण्डाधिपतये गोलोकपतये नम: ॥१॥
श्रीराधापतये तुभ्यं व्रजाधीशाय ते नम:।
नम: श्रीनन्दपुत्राय यशोदानन्दनाय च ॥२॥
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते ।
यदूत्तम जगन्नाथ पाहि मां पुरुषोत्तम ॥३॥
वाणी सदा ते गुणवर्णने स्यात्।
कर्णौ कथायां ममदोश्च कर्मणि ।
मन: सदा त्वच्चरणारविन्दयो।
र्दृशौ स्फुरद्धामविशेषदर्शने ॥४॥
॥ इति श्रीगर्गसंहितायां मथुराखण्डे अक्रूरकृतश्रीकृष्णस्तुतिः॥
Akrura Krita Sri-Krishna Stuti/अक्रूर कृत श्रीकृष्ण स्तुति:
Namah: Sri Krishnachandraya Poortamaya Ch.
Innumerableandadhipatye golokapataye namah:
Sriradhapataye tubhyam vrajadhisaya te namah:
Namah: Srinandaputraya Yashodanandanay Cha 2॥
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Drishu Sfurdham Visheshdarshana 4॥
Iti Shreegargasamhitaya Mathurakhande AkrurkritShriKrishnaStuti:
अक्रूर कृत श्रीकृष्ण स्तुति:/Akrura Krita Sri-Krishna Stuti विशेषताए:
अक्रूर कृत श्रीकृष्ण स्तुति: के साथ-साथ यदि कृष्ण आरती या कृष्ण चालीसा का पाठ किया जाए तो, इस स्तुतिं का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तुति शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तुति का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तुति का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तुति का पाठ करे|
इस स्तुति: के पाठ के साथ साथ कृष्ण अष्टकम का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और साधक को कृष्ण ब्रहमंड कवच को धारण करना चाहिए जिससे साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही कृष्ण की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस अक्रूर कृत श्रीकृष्ण स्तुति: पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|