What is Ananda Lahari | आनन्द लहरी स्तोत्र हिंदी
Ananda Lahari Stotra (आनन्द लहरी स्तोत्र हिंदी) is a Stotra of Goddess Bhavani, Brahma, the creator who was unable to extol the qualities even though he has four faces, Shiva who destroyed Tripura and who has five faces, Subramanian, the commander of the forces of the Devas who has six faces and even Adi Shesha who has a thousand mouths/heads cannot adequately describe your qualities or praise you.
Goddess Bhavani is incomparable. In this verse the difficulty in describing adequately the attributes and qualities of the Goddess by mere mortals has been brought out. Brahma has four faces and is the repository of the Four Vedas. Shiva as DakShinamurthy is knowledge personified. Subramanian is renowned for not only the beauty of form but for valour and above all considered to be very meaning of the word OM and one who explained the meaning of OM to Lord Shiva Himself and thus earned the title Swaminatha. Adisesha, the thousand headed is also repository of knowledge; yet none of these Gods themselves are capable of adequately expressing the greatness of the Goddess.
The tongue has two major functions – of taste and speech. In knowing and communicating the greatness of the Goddess, speech is useless just as it is useless in communicating exactly what sweetness tastes like. The sweetness of Madhu or honey, of the sweet grapes or milk or ghee can be experienced by the tongue when it performs the functions of taste and this taste is known only to one’s own tongue; but even one’s own tongue after tasting the sweetness cannot describe and communicate the sweetness in words.
The ineffable sweetness and greatness of the Goddess have not been comprehended even by the Vedas and therefore have remained inaccessible to and beyond expression by Vedas. Even what is revealed by the Vedas is difficult to comprehend and has been understood only by a few and even among those who understand, the level of understanding varies depending upon the depth of their inner experience.
Ananda Lahari Stotra Benefits:
- The person becomes humble and spread love.
- Enhances knowledge.
- Skill of communications increases.
- Integrates the dignity.
- Removes sadness.
Who has to recite this Ananda Lahari Stotra:
- The persons having stress in life and do not find any solution must recite Ananda Lahari.
- For further information please contact Astro Mantra.
आनन्द लहरी स्तोत्र | Ananda Lahari Stotra
भवानि स्तोतुं त्वां प्रभवति चतुर्भिर्न वदनै: प्रजानामीशानस्त्रिपुरमथन: पञ्चभिरपी।
न षड्भि: सेनानीर्दशशतमुखैरप्यहिपतिस्तदान्येषां केषां कथय कथमस्मिन्नवसर: ।।1।।
घृतक्षीरद्राक्षामधुमधुरिमा कैरपि पदैर्विशिष्यानाख्येयो भवति रसनामात्रविषय: ।
तथा ते सौन्दर्यं परमशिवद्रंगमात्रविषय: कथंकारं ब्रूम: सकलनिगमागोचरगुणे ।।2।।
मुखे ते ताम्बूलं नयनयुगले कज्जलकला ललाटे काश्मीरं विलसति गले मौक्तिकलता।
स्फुरत्कांची शाटी पृथुकटितटे हाटकमयी भजामि त्वां गौरीं नगपतिकिशोरीमविरतम् ।।3।।
विराजन्मन्दारद्रुमकुसुमहारस्तनतटी नदद्वीणानादश्रवणविलसत्कुण्डलगुणा ।
नतांगी मातंगीरुचिरगतिभंगी भगवती सती शम्भोरम्भोरूहचटुलचक्षुर्विजयते ।।4।।
नवीनार्कभ्राजन्मणिकनकभूषापरिकरैर्व्रतांगी सारंगीरुचिरनयनांगीकृतशिवा ।
तड़ित्पीता पीताम्बरललितमंजीरसुभगा ममापर्णा पूर्णा निरवधिसुखैरस्तु सुमुखी ।।5।।
हिमाद्रे: संभूता सुललितकरै: पल्लवयुता सुपुष्पा मुक्ताभिर्भ्रमरकलिता चालकभरै: ।
कृतस्थाणुस्थाना कुचफलनता सूक्तिसरसा रुजां ह्न्त्री गन्त्री विलसति चिदानन्दलतिका ।।6।।
सपर्णामाकीर्णां कतिपयगुणै: सादरमिह श्रयन्त्यन्ये वल्लीं मम तु मतिरेवं विलसति ।
अपर्णैका सेव्या जगति सकलैर्यत्परिवृत: पुराणोऽपि स्थाणु: फलति किल कैवल्यपदवीम् ।।7।।
विधात्री धर्माणां त्वमसि सकलाम्नायजननी त्वमर्थानां मूलं धनदनमनीयांगघ्रिकमले ।
त्वमादि: कामानां जननि कृतकंदर्पविजये सतां मुक्तेर्बीजं त्वमसि परमब्रह्ममहिषी ।।8।।
प्रभूता भक्तिस्ते यदपि न ममालोलमनसस्त्वया तु श्रीमत्या सदयमवलोक्योऽहमधुना ।
पयोद: पानीयं दिशति मधुरं चातकमुखे भृशं शंके कैर्वा विधिभिरनुनीता मम मति: ।।9।।
कृपापांगलोकं वितर तरसा साधुचरिते न ते युक्तोपेक्षा मयि शरणदीक्षामुपगते ।
न चेदिष्टं दधादनुपदमहो कल्पलतिका विशेष: सामान्यै: कथमितरवल्लीपरिकरै: ।।10।।
महान्तं विश्वासं तव चरणपनकेरूहयुगे निधायान्यन्नैवाश्रितमिह मया दैवतमुमे ।
तथापि त्वच्चेतो यदि मयि न जायेत सदयं निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ।।11।।
अय: स्पर्शे लग्नं सपदि लभते हेमपदवीं यथा रथ्यापाथ: शुचि भवति गंगौघमिलितम् ।
तथा तत्तत्पापैरतिमलिनमंतर्मम यदि त्वयि प्रेम्णासक्तं कथमिव न जायेत विमलम् ।।12।।
त्वदन्यस्मादिच्छाविषयफललाभे न नियमस्त्वमर्थानामिच्छाधिकमपि समर्था वितरणे ।
इति प्राहु: प्राञच: कमलभवनाधास्त्वयि मनस्त्वदासक्तं नक्तं दिवमुचितमीशानि कुरु तत् ।।13।।
स्फुरन्नानारत्नस्फटिकमयभित्तिप्रतिफलत्त्वदाकारं चञचच्छशधरकलासौधशिखरम् ।
मुकुन्दब्रह्मोंद्रप्रभृतिपरिवारं विजयते तवागारं रम्यं त्रिभुवनमहाराजग्रहिणी ।।14।।
निवास: कैलासे विधिशतमखाधा: स्तुतिकरा: कुटुम्बं त्रैलोक्यं कृतकरपुट: सिद्धिनिकर: ।
महेश: प्राणेशस्तदवनिधराधीशतनये न ते सौभाग्यस्य क्वचिद्पि मनागस्ति तुलना ।।15।।
वृषो वृद्धो यानं विषमशनमाशा निवसनं श्मशानं क्रीडाभूर्भुजगनिवहो भूषणविधि: ।
समग्रा सामग्री जगति विदितैवं स्मररिपोर्यदेतस्यैश्वर्यं तव जननि सौभाग्यमहिमा ।।16।।
अशेषब्रह्माण्डप्रलयविधिनैसर्गिकमति: श्मशानेष्वासीन: कृतभसितलेप: पशुपति: ।
दधौ कण्ठे हालाहलमखिलभूगोलकृपया भवत्या: संगत्या: फलमिति च कल्याणि कलये ।।17।।
त्वदीयं सौन्दर्यं निरतिशयमालोक्य परया भियैवासीद्गंगा जलमयतनु: शैलतनये ।
तदेतस्यास्तस्माद्वदनकमलं वीक्ष्य कृपया प्रतिष्ठामातन्वन्निजशिरसिवासेन गिरीश: ।।18।।
विशालश्रीखण्डद्रवमृगमदाकीर्णघुसृणप्रसूनव्यामिश्रं भगवति तवाभ्यंगसलिलम् ।
समादाय स्त्रष्टा चलितपदपांसून्निजकरै: समाधत्ते सृष्टिं विबुधपुरपंकेरूहदृशाम् ।।19।।
वसन्ते सानन्दे कुसुमितलताभि: परिवृते स्फुरन्नानापद्मे सरसि कलहंसालिसुभगे ।
सखिभि: खेलन्तीं मलयपवनन्दोलितजले स्मरेधस्त्वां तस्य ज्वरजनितपीड़ापसरति ।।20।।
आनन्द लहरी स्तोत्र हिंदी विशेषताएँ | Ananda Lahari Stotra In Hindi:
आनन्द लहरी स्तोत्र के साथ-साथ यदि भवानी भुजंगप्रयात स्तोत्र, मोहिनिकृत कृष्ण स्तोत्र का पाठ किया जाए तो, आनन्द लहरी स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है। मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाता है। भवानी अष्टकम का नियमित जाप करने से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराई दूर हो जाती है। जीवन से दुख, रोग और परेशानियों को दूर करने के लिए भगवान शिव फ्रेम को घर में रखना चाहिए और रोज़ पूजा करनी चाहिए। यदि आपका बुध कमज़ोर है और आपको बुध के कारण काफी समस्याओं का सामना करना पढ़ रहा है तो आपको 4 फेस रुद्राक्ष कवच धारण करना चाहिए। ज्ञान और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए 20 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।