Ankle Yoga Benefits | टखने योग के लाभ
Exercise part 1 of Ankle Yoga Benefits (टखने योग): Method of Ankle Yoga : Join your legs and keep your body stretched. Stand on the toes and put your hands on the thighs.
1st: keeping the total body weight on the fingers and jump up and down at least 25 times.
2nd: Keep the body straight and jump as high as possible in such a way that when you come down you are on your feet keeping the heels high. Repeat this Ankle Yoga (Ankle Yoga Benefits) asana for 25 times.
Ankle Yoga Benefits:
- Doing Ankle Yoga asana calves become stronger and look beautiful like a banana tree.
- Feet become stylish, strong and well being.
- Celibacy can be maintained.
- This Ankle Yoga helps to get relief from flatulent.
- Ankles get full exercise.
Exercise part 2 of Ankle Yoga:
Join the legs and keep the body straight. Breathe through nose slowly and stretch your hands binding your fists parallel to ground and squat. The heels must be touched with ground and both the knees should be kept joined. After sometimes circulate the hands and bring them before chest by bending through elbow and stretch. Pull the chest and bring the hands down and repeat Ankle Yoga (Ankle Yoga Benefits) asana at least 25 times.
टखने योग के लाभ | Ankle Yoga Benefits
व्यायाम भाग – 1: टखने योग (Ankle Yoga Benefits) विधि: अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर पैरों से सिर तक का भाग सीधा रख पंजों के बल खड़े होकर हथेलियों को जांघ से लगाओ।
प्रथम: अपने शरीर का सारा भार पंजों पर रख शरीर को ऊपर नीचे उछालो तथा यह व्यायाम करते समय एड़ी तथा पंजे आपस में मिले रहने चाहिए। आरम्भ में यह टखने योग क्रिया 25 बार दोहराओ।
द्वितीय: अपने पैरों के बल पर शरीर को सीधा रख जितना ऊँचा कूद सको कूदो तथा नीचे आने पर भी पंजों के बल ही खड़े होना चाहिए और पंजों के अगले भाग और अँगुलियों के बल व्यायाम करो, एड़ी पंजे मिले रहने चाहिए और नीचे आते समय इन्हें अपने स्थान पर ही रखना चाहिए। आरम्भ में यह क्रिया 25 बार करो।
टखने योग के लाभ:
- इस टखने योग (Ankle Yoga Benefits) से पिंडलियाँ बलवान, सुदृढ़ पुष्ट तथा कदली स्तम्भ के ऊपर के भाग जैसी सुन्दर बनती है।
- पादमूल सुन्दर, सुडौल, सुदृढ़ तथा पुष्ट बनता है।
- ब्रहमचर्य पुष्ट होता है।
- बादी से मुक्ति मिलती है।
- टखनों को पूर्ण व्यायाम मिलता है।
व्यायाम भाग – 2: टखने योग विधि:
अपने पैरों को आपस में मिलाकर पैरों से सिर तक का भाग सीधा रख मुट्ठी बाँध कर गर्दन को सीधी अवस्था में रखकर नाक के दोनों छिद्रों द्वारा धीरे धीरे सांस अंदर खींचते हुए वक्ष स्थल के सामने हाथों को पृथ्वी के समानांतर फैलाओ और बैठ जाओ, ऐसा करते समय पैरों की एडिया पृथ्वी से जुड़ी रहे तथा दोनों घुटने आपस में जोड़े रखें। थोड़ी देर बाद हाथों को आवृत्ताकार घुमाओ तथा वक्ष स्थल के सामने लाकर हाथ को कोहनी से मोड़कर मुट्ठी छाती के सामने तथा भुजाबन्ध स्कन्ध के सामने लाओ, हाथों को फैलाने के पश्चात वक्ष स्थल को खींचो फिर हाथों को नीचे ले जाओ तथा क्रिया करो। आरम्भ में यह टखने योग क्रिया 25 बार की जाती है।