Ravivar Vrat Ki Vidhi (रविवार व्रत की विधि): This fast brings prosperity – attainments in the home and destroys the sins of the habitats.
Ravivar Vrat Puja Ki Vidhi:
The People who take vows for Sunday lent/Ravivar Vrat ki Vidhi, should not take salt and oil in their food. People who take vows should take should as long as the sunshine is there. If the fasting state remains till the sunset then the person following the lent should keep on fast till the sunrise of the next day. Fruits should not be taken more than once. People, who take vows, should listen to the story after the Sunday worship.
Legend of Ravivar Vrat:
During the ancient period there was a mother and daughter-in-law living together. The son – husband was Suryawatar. He had always been invisible. He usually arrived at the house at a fixed time, and used to give a diamond each to his mother and wife. The price of those diamonds would spend towards the expenditure of mother and wife.(Ravivar Vrat ki Vidhi)
That person’s name was Surybali. One day Surybali’s mother said, “My dear son, whatever you give us, is not sufficient to meet our ends. Hearing this Surybali said, “Mom. I give you diamond, the value of which is more than sufficient for your whole life expenditure and you talk about misery. This shows that your intention is at fault.(Ravivar Vrat ki Vidhi)
Besides your diet you do not notice at all of your duties. For the same reason you do not prosper and I do not stay at home. “Hearing so the mother and his wife said, “From now onwards we both will have Karthik bath systematically. Mother – in-law and daughter-in-law both of them followed their word.(Ravivar Vrat ki Vidhi).
For twelve years they were lawfully taken the Karthik Bath. In the twelfth year Surybali’s wife told her husband, “My lord. Now we must observe Uddapan (peace) of Karthik. You please arrange to get.“Surybali was himself Suryawatar. As soon as they wished it was filled with money – cereal. Next day after worshiping Karthik the bride worshipped the sun god in the evening. And then Sun God gave a sight to her and said, “Devi, whatever the boons you want tell me. “Saluted the sun god wife said, “My lord. My husband stays away from me, so I like to be blessed with the chance of staying with him.” “Amen.” Said Sun God and told his mother, “Mom.(Ravivar Vrat ki Vidhi)
Tonight I will rest at home. “Hearing these words from the mouth of her husband the wife was delighted. She laced her look well. Her husband came and lay down on the bed. As Suryadev as a man entered into the bed, the universe was covered with darkness. This forced everyone including male, hermit, Snake and all Gandharwa to run to the old woman’s house. (Ravivar Vrat ki Vidhi)
Reaching there and serving the old lady they said with soft tone, “Wake up your son”.”The old woman became nervous by seeing the amazed crowd. She went to the gate of her son’s room and requested him to come out. Hearing the voice of the mother Surybali came out. Everyone worshiped him. Surybali then told the gods, “as long as the duo mother and daughter-in-law take Kartika bath, the Ganga will flow from them and then the abode of prosperity and attainment will remain there.” Then all the gods assumed command of God. From that day Karthik bath became a special stature in society of women has been considered.
रविवार व्रत की विधि (Ravivar Vrat ki Vidhi)
इस व्रत के करने से घर में ऋद्धि-सिद्धियों का वास रहता है और पापों का नाश होता है।
रविवार का व्रत करने की विधि:
इस रविवार के व्रत में व्रत करने वाले को नमक का आहार और तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत करने वाले को सूर्य का प्रकाश रहते हुए ही पारण अथवा फलाहार करना चाहिए। यदि निराहार अवस्था में ही सूर्यास्त हो जाए तो अगले दिन सूर्यादय तक व्रत रखना चाहिए। फलाहार या पारण व्रत करने वाले को एक बार से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए। व्रत करने वाले को पूजन के बाद रविवार की कथा सुननी चाहिए।
पौराणिक कथा:
पुरातन युग में एक ऐसी सास-बहु थी जिनका बेटा-पति स्वयं सूर्यावतार था। वह सदैव अन्तर्ध्यान रहा करता था। वह समय पर ही घर पर आया-जाया करता था और जाते समय एक-एक हीरा अपनी माँ और पत्नी को दे जाया करता था। इसी से उन सास-बहु के घर का खर्च चला करता था। उस व्यक्ति का नाम सूर्यबली था।
एक दिन सूर्यबली की माता ने कहा, “वत्स। जो कुछ तुम हमें देकर जाते हो उससे तो हमारे खान-पान का पूरा नहीं पड़ता है।” इतना सुनकर सूर्यबली बोला, माँ। जो हीरा मैं तुम्हें देकर जाता हूँ, उसके मूल्य से तो तुम्हारा जीवन भर खान-पान चल सकता है और तुम भूखे रहने की बातें करती हो। इससे पता चलता है कि तुम्हारी नीयत में खोट है। तुम्हें अपने खान-पान के अलावा अपने कर्तव्यों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। इसी कारण तुम्हारा आघव नहीं होता और मैं घर में नहीं ठहरता। (रविवार व्रत की विधि)
इतना सुनकर सास-बहु ने कहा, “अब से हम दोनों नियमपूर्वक कार्तिक स्नान किया करेंगी।” उन दोनों सास-बहु ने अपने वचन का पालन किया। वे बारह वर्ष तक विधिवत् कार्तिक स्नान करती रहीं। बारहवें वर्ष में बहु ने अपने पति सूर्यबलि से कहा, “स्वामी। अब हमें कार्तिक का उद्दापन (शांति) करना है। आप इसका प्रबंध करा दें।” सूर्यबली तो सूर्यावतार था ही। उसकी इच्छा करते ही सास-बहु का घर धन-धान्य से भर गया। अगले दिन सवेरे कार्तिक का पूजन करके बहु ने सन्ध्या समय सूर्य भगवान का पूजन किया। तब सूर्य भगवान ने दर्शन देकर कहा, “देवी। जो वर मांगना चाहती हो, माँग लो।”
बहु ने सूर्य देव को नमस्कार करके कहा, “प्रभु। मेरा पति मुझसे दूर-दूर रहता है, सो मुझे उनके संयोग का वरदान दिया जाए।” “तथास्तु।” कहकर सूर्य भगवान ने अपनी माँ से कहा, “माँ। आज रात्रि को मैं घर में ही विश्राम करूंगा।” पति के मुख से ये शब्द सुनकर बहु की खुशी का ठिकाना न रहा। वह खूब सजी-धजी। रंग-रूप सँवारा उसका पति शय्या पर आकर लेट गया। (रविवार व्रत की विधि)
सूर्यदेव का मानव रूप में शयन करते ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में अंधकार छा गया। इससे नर, सुर, मुनि, नाग और गंधर्वादि सभी व्याकुल होकर बुढ़िया के घर की ओर दौड़ने लगे। सबने उसके द्वार पर पंहुच कर बुढ़िया की सेवा करते हुए विनम्र स्वर में कहा, “अपने बेटे को जगाओ।” बुढ़िया भीड़ देखकर घबरा गई थी। उसने बहु के कक्ष के बाहर जाकर कहा, “बेटा । बाहर आओ।” माँ का स्वर सुनकर सूर्यबली बाहर चला आया। सबने उसे प्रणाम किया। तब सूर्यबली ने देवताओं से कहा, “जब तक ये दोनों सास-बहु कार्तिक नहाएँ तब तक इनके यहाँ गंगा बहे और ऋद्धि-सिद्धि का वास हो।” तब सब देवताओं ने सर्वसम्मती से सूर्य भगवान का आदेश मान लिया। उसी दिन से स्त्री समाज में कार्तिक स्नान का विशेष माहात्म्य माना गया है।
Other Weekly Fast List:
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