Somvar Vrat Ki Vidhi (सोमवार व्रत की कथा): This lent is meant for married women. This lent/Somvar Vrat Ki Vidhi is observed for the welfare of husband.
Somvar Vrat Ki Puja Vidhi:
This lent is observed by the married women up to the third segment of the day (evening). They have to take food just only once that day. Shiva/Somvar Vrat Vidhan and Parvati is worshiped systematically on this day. On the day of Somvati Amavas (No moon night on Monday) the woman under lent should surround a basil plant or a Peepal tree 108 times. For counting the number of making rounds a coin or a mango or a guava can be kept after completing each. Afterwards all the materials or coins are given to the Brahmins.
Then the woman under lent has to go to a married washerwoman and put vermillion to her hair apart and put a vermillion mark on forehead. Some money and sweets are to be kept on the aanchal of that woman and ask for her blessings by touching her feet. After all these performances the washerwoman will take the vermillion from her own hair apart and put it to the hair apart of the woman under lent/Somvar Vrat Vidhan. In this way a blessing for long married life is obtained from the washerwoman.
Legend of Somvar Vrat:
During ancient period three ladies one was mother another was daughter and third one was daughter in law were living in a house. In that house a hermit used to come for the alms. When the daughter-in-law was giving the alms, she was blessed with the words which meant that be a mother of a son and be prosperous in the life.
But when the daughter was giving the alms, she was blessed with the words which meant that she had a bad fortune. One day the daughter told to her mother that the hermit was blessing differently to her and the sister in law. Hearing this mother said, “Well! When next day the hermit arrives for alms please tell me. Next day the hermit reached in time for the alms. The daughter told her mother about his arrival. The mother came out and asked the hermit that why she was blessed differently and what was the actually mean of those words. The hermit thought for a period and replied that she had a bad fortune.
She then requested the hermit to tell her the way by which her daughter’s fortune could be changed. The hermit said that there is a washerwoman in your village. Who is named Soma/Somvar Vrat Ki Vidhi. Your daughter must go to her house early in the morning and clean the barn where the donkeys were kept. The blessing of the washerwoman Soma, she will overcome with all her adversities.
Saying this hermit went off. The mother told her daughter word wise whatever the hermit said. She had agreed that she will visit Soma’s house and follow the instructions of the hermit. From next early in the morning, she went to Soma’s house and cleaned the barn. The washer man couple was astonished to see that their barn were neat and clean every morning before they got up. To know the mystery, Soma/Somvar Vrat Ki Vidhi started watching from a hidden place. As the daughter reached there she caught hold her and asked her the reason for cleaning the barn. (Somvar Vrat Ki Vidhi).
The daughter told everything to the washerwoman. Knowing this Soma/Somvar Vrat Ki Vidhi blessed her and sent her home. During the day time she went to the mother and told her that when she will be married, to call her she will give her fortune of married life to her. Saying this she returned home. After a few months her marriage was arranged and Soma was invited therein. Getting the invitation she started for the place of marriage. Before leaving she told that if her husband dies in her absence, he should not be cremated before she comes.
After reaching the marriage hall as Soma put vermillion on daughter’s hair apart, her husband the washer man expired. Her family members thought that if Soma returns she will get more shock possibly she may throw herself on the pyre of her husband. So they decided to cremate the washer man. And they started for the cremation ground. On the way Soma(Somvar Vrat Ki Vidhi)met with the convoy with the corpse. She asked who is the person died?
One washer man told that you are the unfortunate; it is your husband’s dead body. There was a Peepal tree nearby. Soma told to keep the corpse beneath the Peepal tree. She had an earthen pot with her. She broke it in 108 pieces and praying for Lord Shiva and Parvati she made 108 rounds. Thereafter she slit her index finger and threw the blood on her husband’s dead body. The husband became alive. Since then the washer woman’s vermillion donation system started.
सोमवार व्रत की कथा (Somvar Vrat Ki Vidhi)
यह सौभाग्यवती स्त्रियों का व्रत है। यह सुहाग को बनाए रखने के लिए हर सोमवार को किया जाता है।
सोमवार व्रत करने की विधि:
यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियाँ सोमवार को करती हैं। इस दिन एक ही बार आहार लेने का विधान है। इस दिन शिव पार्वती का यथाविधि पूजन किया जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत करने वाली महिलाएँ पीपल या तुलसी की एक सौ आठ परिक्रमाएँ करती हैं। इनकी गणना के लिए वे लडडू, छुहारा, आम, अमरुद या एक-एक पैसा परिक्रमा के अन्त में रखती रहें फिर यह सामग्री ब्राह्मणों को दान कर दी जाती है। (सोमवार व्रत की कथा)
फिर धोबिन की माँग सिन्दूर से भरकर उसके ललाट में बिन्दी लगायी जाती है। उसके आँचल में कुछ मिष्ठान और पैसे डालकर व्रत करने वाली(व्रती) महिलाएँ उसके चरण स्पर्श करती है। तब वह धोबिन अपनी माँग का सिन्दूर उनकी माँग में लगा देती है और अपने ललाट की बिन्दी भी लगा देती है। इस तरह वह सुहागदान करती है। इससे सम्बन्धित यह कथा प्रचलित है।
पौराणिक कथा:
पुरातन युग में एक घर में माता, बेटी और बहु तीन स्त्रियाँ थी। उस घर में भिक्षा हेतु एक साधू अक्सर आया करता था। जब बहु उसे भिक्षा देने जाती तो उसे यह आशीर्वाद दिया करता था, “दूधों नहाओ, पूतों फलो।” और जब कभी बेटी भिक्षा देने आती तो उसे यह आशीर्वाद मिलता, “धर्म बढ़े बेटी गंगास्नान।” एक दिन बेटी ने अपनी माता से कहा, “जो साधू भिक्षा के लिए हमारे द्वार पर आता है, वह भाभी और मुझे अलग-अलग आशीर्वाद देता है।” बेटी के मुख से इतना सुनकर माता ने कहा, “अच्छा, जब कल साधू आए तो मुझे बताना।”
अगले दिन नियत समय पर वही साधु आया। लड़की ने माता को बता दिया। उसने आकर साधू से पूछा, “महाराज। जो आप लड़की को आशीर्वाद देते हैं, उसका क्या मतलब है?” सुनकर साधू कुछ सोच में पड गया। कुछ देर बाद बोला, “तुम्हारी लड़की का सौभाग्य खंडित है।” “महाराज इसका कोई उपाय भी बताइए। माता ने खिन्न स्वर में कहा। साधू ने कहा, “तुम्हारे गाँव में एक धोबिन है, जिसका नाम सोमा है। यदि तुम्हारी लड़की उसके घर की टहल करे, उसके गधों को बांधने की जगह को रोज़ झाड़-बुहार कर साफ कर दिया करे तो उस पतिव्रता सोमा के आशीर्वाद से इसका सौभाग्य अटल हो सकता है।” (सोमवार व्रत की कथा)
इतना कहकर और भिक्षा लेकर साधू चला गाय। माता ने साधू की सारी बातें बेटी को बता दीं। वह सोमा धोबिन की टहल के लिए तैयार हो गई और उसी दिन से वह अँधेरे में उसके घर जाकर गधों की लीद उठाकर फेंक आती और जगह साफ करके चली आती थी। धोबी-धोबिन को आश्चर्य था कि कौन आकर उनके गधों के स्थान को साफ कर जाता है? एक दिन सोमा धोबिन इस रहस्य को जानने के लिए छिपकर बैठ गई। जैसे ही लड़की गधों की लीद फेंक चुकी और झाड़ू लेकर सफाई करने लगी वैसे ही सोमा धोबिन ने उसका हाथ पकड़ लिया, कहा, “तू तो भले घर की लड़की दिखाई देती है फिर मेरे घर टहल करने के लिए क्यों आती है?”
लड़की ने दुखी मन से साधू की सारी बातें सोमा धोबिन को बता दीं। इतना जान लेने के बाद सोमा धोबिन ने उस लड़की को आशीर्वाद देकर विदा किया। दोपहर के समय उसके घर जाकर बोली, “जब तुम्हारी लड़की का विवाह हो तब फेरे पड़ने के समय मुझे बुला लेना। मैं उसे अपना सौभाग्य दान कर दूँगी। इतना कहकर सोमा धोबिन अपने घर लौट आई। कुछ मास बाद जब लड़की के विवाह का समय आया तब उसकी माता ने सोमा धोबिन को निमंत्रण दिया। उसे पाकर सोमा विवाह में सम्मिलित होने के लिए चल दी। चलते समय अपने परिवार के लोगों को समझा गई कि अगर मेरे पति की मृत्यु हो जाए तो मेरे लौटने तक उसका दाह-संस्कार न करना। (सोमवार व्रत की कथा)
लड़की के विवाहोत्सव में पहुँचकर जैसे ही सोमा धोबिन ने उस लड़की की माँग में सिन्दूर लगाया वैसे ही उसके पति का निधन हो गया। उसके परिवार के लोगों ने विचारा कि यदि सोमा आ जाएगी तो अधिक विलाप करेगी। सम्भव है कि उसके साथ ही कहीं चिता में बैठ जाए। इसलिए उसके लौटने से पहले ही जला देना चाहिए। यह सोचकर वह धोबी की अर्थी उठाकर श्मशान की ओर चल दिए। राह में उनकी भेंट लौटती हुई सोमा से हो गई। उसने पूछा, “यह किसकी अर्थी है?”
एक धोबी ने बताया, “अरी, अभागिन। यह तेरे पति की ही पार्थिव देह है जिसे दाग देने के लिए श्मशान ले जा रहे हैं।” पास में ही पीपल का वृक्ष था। सोमा ने अपने पति की पार्थिव देह को वहीं पर रखने के लिए कहा। इस समय उसके हाथ में मिट्टी का एक पूरवा था जो उसे ब्याह के घर से मिला था उसने उसे तोड़कर एक सौ आठ टुकड़े किए। फिर अपने पतिव्रत धर्म का ध्यान और शिव पार्वती का स्मरण करते हुए पीपल के वृक्ष की एक सौ आठ बार परिक्रमाएँ कीं, तत्पश्चात् अपनी तर्जनी चीरकर रक्त पति की पार्थिव देह पर छिड़का तो वह जी उठा। उसी दिन की घटना से विवाहोत्सव पर धोबिन के सुहाग दान की प्रथा चली है।
Other Weekly Fast List:
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