Baglamukhi Mahavidya, बगलामुखी महाविद्या

Baglamukhi Mahavidya | बगलामुखी महाविद्या

Baglamukhi Mahavidya (बगलामुखी महाविद्या): Ma Baglamukhi Mahavidya is the creator, controller and destroyer of whole universe. She is Aadi Shakti means she is the energy which is the reason for the existence of this whole universe. Without energy no one can survive. She is the supreme power.

बिंदु त्रिकोण षट्कोणव्रत्ताष्टदलमेव  च।
वृत्त च षोडशदलं यंत्र च भूपुरात्मकम्।।

She is the super power who can destroy all evil powers. Devi Baglamukhi gives one the power to put a bridle (control) on his enemies. She blesses one with the power of confident and decisive speech. She is also called ‘Pitambari Devi’ as complexion is golden; she wears yellow clothes and sits on a golden throne. Baglamukhi Mahavidya Mantra is portrayed as an angry goddess who holds a club in her right hand with which she kills a demon, while pulling his tongue out with her left hand.

Baglamukhi Mahavidya is also known as ‘Brahmashtra Roopini’ and ‘Stambhan Devi’. Eighth of Dus Mahavidya, Goddess Baglamukhi is believed to have a crane face as per the classical text. It is symbolic of her trait of being focused on her objective while waddling in the water. She has the undisputed power to protect those who worship her by controlling their enemies from harming them in any manner; thereby turning failures into achievements and defeats into victories.

Pitambara:

Dressed in yellow attire, the golden aura around her has given her the titles of Pitambara Devi and Brahmashtra Roopini. According to the Peetambari Peeth, Goddess Bagalamukhi (Baglamukhi Mahavidya) came to existence when the floods and storm that could have washed out the human existence from earth needed to be controlled. She wears the garland of yellow flower. There is a good relation between Devi and yellow colour.

Baglamukhi Mahavidya Yantra:

The Gold-plated Bagalamukhi Yantra contains the vital energy of Maa Baglamukhi Mahavidya, which is also known as Shakti. The worship of a Baglamukhi Mahavidya Yantra has many key benefits, and it can improve the overall quality of your life.  It provides you protection from the evil intentions of your enemies. It helps you become more successful professionally and improve your financial condition. Baglamukhi Mahavidya removes all negative energies from your surroundings. It makes family life more harmonious and peaceful. Baglamukhi Mahavidya can remove any curse that has been laid on you by other people. It helps you on the journey of salvation (Moksha).

Approximately all the tantric in India have agreed that the Baglamukhi Mahavidya Yantra is the best Yantra which shows result instantly. In rare book Mantra Maharnav, it is mentioned that

ब्रह्मास्त्रं च प्रवक्ष्यामि खेद्य प्रत्यय कारणम् ।
यस्य  स्मरणमात्रेण  पवनोऽपि   स्थिरायते ।।

It means that after being sainted only it can halt the movement of Air. Each and every tantric have recommended this Yantra. In present era, wherein enemies are all around and always trying their best to remove you from your place, he should observe this Baglamukhi Mahavidya Sadhana definitely which will remove all his obstacles and he can make desired improvement. The person who wants to reach the top, Sadhana of Baglamukhi Mahavidya is very important to them.

Note: Common man should do this Baglamukhi Mahavidya Sadhana under the guidance of his Guru. Since a general priest also afraid of performing this. If any mistake is done, it will harm him. It must be done under the guidance of a high level pundit.

Method of Baglamukhi Mahavidya Sadhana:

  • In tantras it is called the sainted Vidya. In this Baglamukhi Mahavidya Sadhana usually yellow materials are used. It has to be done very carefully because it effects instantly.
  • The Baglamukhi Mahavidya Sadhana should be done in solitude or isolated place, on the top of the hills, in the Shivalaya or before the preceptor, who will guide you the method.
  • Perform this during the night only. After 9 pm and before 4 am chanting the spell is said to be auspicious. But who has completed the Baglamukhi Mahavidya Sadhana during the night can chant the spell during the day time. He should perform this Baglamukhi Mahavidya duly sanctified and has to follow the celibacy.
  • The Sadhak should wear yellow dresses. Dhoti and Ang- Vastra both should be yellow in colour. He should have one meal a day and meal should be with gram flour.
  • The Sadhak should not sleep during the day and not talk uselessly. Do not keep any touch with any woman.
  • For Sadhana, use Siddha Bagalamukhi Yantra, Yellow Hakik rosary or Turmeric rosary.
  • Do not cut your hair nor shave during this period.
  • The wicks to be used must be coloured with yellow dye and chant the Mantra of 36 words which will provide success.

Baglamukhi Mahavidya, बगलामुखी महाविद्या

बगलामुखी महाविद्या | Baglamukhi Mahavidya

बगलामुखी महाविद्या: बगलामुखी महाविद्या दस महाविद्याओं में आठवें स्थान पर विद्यमान है जो सर्व प्रकार स्तंभन युक्त शक्ति पीताम्बरा के नाम से प्रसिद्ध है। बगलामुखी शब्द दो शब्दों से बना है पहला बगला‘ तथा दूसरा मुखी‘। बगला से अर्थ हैं ‘विरूपण का कारण’ (वगुला एक पक्षी हैं, जिसकी क्षमता एक जगह पर अचल खड़े हो शिकार करना है) तथा मुखी से तात्पर्य मुख से है जिसका अर्थ है, मुख को विपरीत दिशा में मोड़ना। जिसको बगलामुखी कहा जाता है

बिंदु त्रिकोण षट्कोणव्रत्ताष्टदलमेव  च।
वृत्त च षोडशदलं यंत्र च भूपुरात्मकम्।।

यह देवी मुख्यतः स्तम्भन कार्य से सम्बंधित हैं फिर वह शत्रु रूपी मनुष्य, घोर प्राकृतिक आपदा, अग्नि या अन्य किसी भी प्रकार का भय ही क्यों न हो। देवी महाप्रलय जैसे महाविनाश को भी स्तंभित करने की क्षमता रखती हैं, देवी स्तंभन कार्य की अधिष्ठात्री हैं। स्तंभन कार्य के अनुरूप देवी ही ब्रह्म अस्त्र का स्वरूप धारण कर, तीनों लोकों की प्रत्येक विपत्ति को स्तंभित करती हैं। देवी का मुख्य कार्य शत्रु की  जिह्वा स्तम्भन से हैं। शत्रु की जिह्वा या अन्य किसी भी प्रकार की शक्ति के स्तम्भन हेतु देवी की आराधना की जाती हैं।

देवी बगलामुखी स्तम्भन की पूर्ण शक्ति हैं, तीनों लोकों में प्रत्येक घोर विपत्ति से लेकर सामान्य मनुष्य तक किसी भी प्रकार की विपत्ति स्तम्भन करने में समर्थ है, जैसे किसी स्थाई अस्वस्थता, निर्धनता समस्या देवी कृपा से ही स्तंभित होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप जातक स्वस्थ, धन सम्पन्नता इत्यादि प्राप्त करता हैं। देवी अपने भक्तों के शत्रुओं के पथ तथा बुद्धि भ्रष्ट कर उन्हें हर प्रकार से स्तंभित कर रक्षा करती हैं। शत्रु अपने कार्य में कभी सफल नहीं हो पाता, शत्रु का पूर्ण रूप से विनाश होता ही हैं।

पीताम्बरा:

देवी पीताम्बरा का नाम तीनों लोक में प्रसिद्ध है, पीताम्बरा शब्द भी दो शब्दों से बना है, पहला पीत‘ तथा दूसरा अम्बरा‘, जिसका अभिप्राय हैं पीले रंग का अम्बर धारण करने वाली। देवी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। देवी पीले रंग के वस्त्र इत्यादि धारण करती है, पीले फूलों की माला धारण करती है। पीले रंग से देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। पञ्च तत्वों द्वारा संपूर्ण ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ हैं, जिनमें से पृथ्वी तत्व का सम्बन्ध पीले रंग से हैं। बगलामुखी  या पीताम्बरा देवी साक्षात ब्रह्म-अस्त्र विद्या हैं, जिसका तोड़ तीनों लोक में किसी के द्वारा संभव नहीं हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश देवी बगलामुखी में हैं।

बगलामुखी महाविद्या यन्त्र:

भारतीय तन्त्र-मन्त्र साहित्य अपने आप में अद्भुत, आश्चर्यजनक एवं रहस्यमय रहा है। ज्यों-ज्यों हम इसके रहस्य के मूल में जाते हैं, त्यों-त्यों हमें विलक्षण अनुभव होते हैं। इस साहित्य में कुछ तन्त्र-मन्त्र तो इतने समर्थ, बलशाली एवं शीघ्र फलदायी हैं कि चकित रह जाना पड़ता है। ऐसे ही यंत्रों में एक यन्त्र है- बगलामुखी यन्त्र जो किसी भी प्रचंड तूफ़ान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। शत्रुओं पर हावी होने, बलवान शत्रुओं का मान-मर्दन करने, भूतप्रेतादि को दूर करने, हारते हुए मुक़दमों में सफलता पाने एवं समस्त प्रकार से उन्नति करने में बगलामुखी यन्त्र श्रेष्ठतम माना जाता है। जिसके पास यह यन्त्र होता है उस पर किया गया तान्त्रिक प्रभाव निष्फल रहता है।

भारत के लगभग सभी तान्त्रिकों ने एक स्वर से यह स्वीकार किया है कि बगलामुखी यन्त्र के समान और कोई अन्य विधान नहीं है जो कि इतने वेग से और तुरन्त प्रभाव दिखा सके। एक तरफ़ जहां यह यन्त्र शीघ्र ही सफलतादायक है, वहीं दूसरी ओर विशेष अनुष्ठान व मन्त्र जप के द्वारा जो बगलामुखी  यन्त्र सिद्ध किया जाता है, वह तुरन्त कार्य सिद्धि में सहायता प्रदान करता है। दुर्लभ मन्त्र महार्णव में इसके बारे में लिखा है —

ब्रह्मास्त्रं च प्रवक्ष्यामि खेद्य प्रत्यय कारणम् ।
यस्य  स्मरणमात्रेण  पवनोऽपि   स्थिरायते ।।  

अर्थात इस मन्त्र को सिद्ध करने के बाद मात्र इसके स्मरण से ही प्रचंड पवन भी स्थिर हो जाती है। इस मन्त्र की भारत के श्रेष्ठ और अद्वितीय तांत्रिकों ने भी एक स्वर से सराहना की है। आज के युग में जब पग-पग पर शत्रु हावी होने की चेष्टा करते हैं और हर प्रकार से चारों तरफ़ शत्रु नीचा दिखाने का प्रयत्न करते हैं तब उन्नति चाहने वाले व्यक्ति के लिए यह साधना या यह यन्त्र धारण करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य समझना चाहिए। जो व्यक्ति अपने जीवन में बिना किसी बाधाओं के प्रगति चाहता है, प्रगति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचना चाहता है, उसके लिए बगलामुखी महाविद्या साधना  या बगलामुखी यन्त्र धारण करना आवश्यक है।

नोट : सामान्य व्यक्ति को यह साधना किसी योग्य गुरु के निर्देशन में करनी चाहिये, क्योंकि यह साधना तलवार की धार के समान है। सामन्य पंडित भी इस प्रकार की साधना सम्पन्न कराने में हिचकिचाते है। यदि थोड़ी सी भी ग़लती हो जाती है तो साधना करने वाले व्यक्ति को नुकसान हो जाता है। इस साधना को गुरु के निर्देशन में अवश्य ही करें या हमारे उच्चकोटि पंडितों से करवा सकते है और बगलामुखी “सिद्ध यन्त्र” प्राप्त कर धारण कर सकते है।

साधना के नियम:

  • तन्त्रों में इसे ‘सिद्ध विद्या’ कहा है। इस साधना में अधिकतर पिली वस्तुओं का प्रयोग करें। इस साधना का प्रभाव तुरन्त दृष्टिगोचर होता हैं, अत: सावधानी के साथ इस प्रयोग को करना चाहिए।
  • साधना घर के एकान्त कमरे में, देवी मन्दिर में, पर्वत शिखर पर, शिवालय में या गुरु के समीप बैठकर की जानी चाहिए। अत: गुरु से आज्ञा प्राप्त कर उनके बताए हुए रास्ते से ही साधना सम्पन्न करनी चाहिए।
  • यह साधना या मन्त्र जाप रात को ही करें। रात्रि के 9 बजे से प्रात: 4 बजे के बीच मंत्र जाप करना उचित माना जाता है परन्तु जो साधना सम्पन्न कर चुके हैं, वे साधक दिन को भी मन्त्र जप कर सकते हैं। बगलामुखी साधना (Baglamukhi Mahavidya) में साधक को पूर्ण पवित्रता के साथ जप करना चाहिए और उसे पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • साधक को पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। धोती तथा दुपट्टा-दोनों पीले रंग में रंगे हुए हों। साधक हो सके तो एक समय भोजन करे और बेसन से बनी हुई वस्तु का प्रयोग अवश्य करें।
  • साधक को दिन में सोना नहीं चाहिए  न व्यर्थ की बातचीत करें और न किसी स्त्री से किसी प्रकार का सम्पर्क ही स्थापित करें।
  • साधना करने के लिए “सिद्ध बगलामुखी यन्त्र” और “पीली हकीक” माला या “हल्दी माला” की आवश्यकता होती है।
  • साधना काल में बाल न कटवाएं और न क्षौर कर्म ही करें।
  • साधना काल में पीली गौ का घी प्रयोग में लें तथा दीपक में रुई का प्रयोग करें। उस रुई को पहले पीले रंग में रंग कर सुखा लें और इसके बाद ही उस रुई की बत्ती बनाएं। साधना में छत्तीस अक्षर वाला मन्त्र प्रयोग करना ही उचित है और यही मन्त्र शीघ्र सफलता देने में सहायक है।