Baglamukhi Mahavidya Sadhna | बगलामुखी महाविद्या साधना
Method of Baglamukhi Mahavidya Sadhna (बगलामुखी महाविद्या साधना): Start this Baglamukhi Mahavidya Sadhna on Navratri or on any Sunday. For this the Sadhak should take bath at about quarter past 9 pm and wear yellow dress. Sit on the ground facing east. Put a wooden stool covered with yellow cloth. Take a platter and make a Hexagon by turmeric and fill it with yellow muster and keep the sainted Bagalamukhi Yantra on it. Burn the cow milk ghee lamp and as per the rules do the resolution and then take water on the right palm and perform appropriation:
ॐ अस्य श्रीबगलामुखी महामंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप् छन्द: श्रीबगलामुखी देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्ति: ह्लरीं कीलकं मम श्रीबगलामुखी प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:।
Pledge to the sages: Take water on the left palm and join all the five fingers of right hand pour the fingers into the water and touch different parts of the body feeling that all your body parts are being sanctified and scrumptious. This Baglamukhi Mahavidya Sadhna will empower the body parts and makes sensible.
नारद ऋषये नम: शिरसि (सर को स्पर्श करें)
त्रिष्टुप छन्दसे नम: मुखे (मुख को स्पर्श करें)
श्रीबगलामुखीदेवतायै नम: ह्रदये (ह्रदय को स्पर्श करें)
ह्रीं बीजाय नम: गुहे (गुप्तांग को स्पर्श करें)
स्वाहा शक्तये नम: पादयो: (पैरों को स्पर्श करें)
ह्लरीं कीलकाय नम: नाभौ (नाभि को स्पर्श करें)
विनियोगाय नम: सर्वांगे (पुरे शरीर को स्पर्श करें)
Hand pledge: Touch the fingers with your thumbs which make your fingers sensible.
ॐ ह्रीं अंगुष्ठाभ्यां नम:।
बगलामुखी तर्जनीभ्यां नम:।
सर्वदुष्टानां मध्यमाभ्यां नम:।
वाचं मुखं पदं स्तम्भय अना:।
जिह्वां कीलय कीलय कनिष्ठिकाभ्यां नम:।
बुद्धिं नाशय ह्रीं ॐ करतलकर पृष्ठाभ्यां नम:।
Heart Pledge: Again take water on the left palm and join all the five fingers of right hand pour the fingers into the water and touch different parts of the body feeling that all your body parts are being sanctified and scrumptious. This Baglamukhi Mahavidya Sadhna will empower the body parts and makes sensible.
ॐ ह्रीं ह्रदयाय नम:। (ह्रदय को स्पर्श करें)
बगलामुखी शिरसे स्वाहा । (सर को स्पर्श करें)
सर्वदुष्टानां शिखायै वषट्। (शिखा को स्पर्श करें)
वाचं मुखं पदं स्तम्भय कवचाय। (कंधों को स्पर्श करें)
जिह्वां कीलय कीलय नेत्रत्रयाय वौषट्। (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)
बुद्धिं नाशय ह्रीं स्वाहा-अस्त्राय फट्। (सर पर उंगलियाँ घुमाकर चारों दिशाओं में एक-एक चुटकी बजाएं)
Meditation of Bagalamukhi: Thereafter with folded hand meditate on Maa Bagalamukhi (Baglamukhi Mahavidya Sadhna) and then worship. Use incense, joss stick, rice and chant the Bagalamukhi spell.
मध्ये सुधाब्धि मणिमण्डप रत्नवेदी सिंहासनो परिगतां परिपांतवर्णम्।
पीताम्बरा भरणमाल्य विभूषितागीं देवीं नमामि धृत मृद्गरवैरि जिह्वाम।।
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परि पीडयन्तीम्।
गदा भिधातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढयां द्विभुजां नमामि।।
After the Puja take the sainted Yellow Hakik rosary and chant the following spell for 23 rosaries for 11 days and thereafter recite the Kavach.
Spell of Bagalamukhi Mantra:
॥ ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ फट् ॥
Kavach:
॥ अथ बगलामुखी कवचं प्रारभ्यते ॥
श्रुत्वा च बगला पूजां स्तोत्रं चापि महेश्वर।
इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं वद मे प्रभो।
वैरिनाशकरं दिव्यं सर्वाऽशुभ विनाशकम्।
शुभदं स्मरणात्पुण्यं त्राहि मां दु:ख-नाशनम्॥
॥ श्री भैरव उवाच ॥
कवच श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि। प्राणवल्लभम्।
पठित्वा-धारयित्वा तु त्रैलोक्ये विजयी भवेत्॥
सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग का पाठ करे
Perform the appropriation taking water on the right palm:
“ॐ अस्य श्री बगलामुखीकवचस्य नारद ऋषि: अनुष्टुप्छन्द: श्रीबगलामुखी देवता। ह्लीं बीजम्। ऐं कीलकम्। पुरुषार्थचतुष्टयसिद्धये जपे विनियोग:॥
॥ अथ कवचम् ॥
शिरो मे बागला पातु ह्रदयैकक्षरी परा।
ॐ ह्रीं ॐ मे ललाटे च बगला वैरिनाशिनी॥
गदाहस्ता सदा पातु मुखं मे मोक्षदायिनी।
वैरि जिह्राधरा पातु कण्ठं मे बगलामुखी॥
उदरं नाभिदेंश च पातु नित्यं परात्परा।
परात्परतरा पातु मम गुह्रं सुरेश्वरी
हस्तौ चैव तथा पादौ पार्वती परिपातु मे।
विवादे विषमे घोरे संग्रामे रिपुसंकटे॥
पीताम्बरधरा पातु सर्वांगं शिवंनर्तकी।
श्रीविद्या समयं पातु मातंगी पूरिता शिवा॥
पातु पुत्रीं सूतञचैव कलत्रं कलिका मम।
पातु नित्यं भ्रातरं मे पितरं शूलिनी सदा॥
रंध्रं हि बगलादेव्या: कवचं सन्मुखोदितम्।
न वै देयममुख्याय सर्वसिद्धि प्रदायकम्॥
पठनाद्धारणादस्य पूजनादवांछितं लभेत्।
इंद कवचमज्ञात्वा यो जपेद् बगलामुखीय॥
पिबन्ति शोणितं तस्य योगिन्य: प्राप्य सादरा:।
वश्ये चाकर्षणे चैव मारणे मोहने तथा॥
महाभये विपतौ च पठेद्वरा पाठयेतु य:।
तस्य सर्वार्थसिद्धि:। स्याद् भक्तियुक्तस्य पार्वति॥
This Baglamukhi Mahavidya Sadhna is an accomplishment of 11 days. Follow the instructions of accomplishment thoroughly. With full trust and fearlessly chant the spell. Keep this Baglamukhi Mahavidya Sadhna a secret. At the end with 10% of the total spell numbers perform the Yajna with yellow muster, Ghee and Havan materials. After the Yajna tie the Yantra around your neck or keep it in the worship place and rest of the Puja materials flow into the running water. This way the accomplishment is said to be completed. Mother Bagalamukhi gives blessing to such Sadhak and fulfils his resolution and all his enemies are destroyed. This Baglamukhi Mahavidya Sadhna enhances wisdom and removes poverty.
बगलामुखी महाविद्या साधना | Baglamukhi Mahavidya Sadhna
बगलामुखी महाविद्या साधना विधि: यह साधना नवरात्रि या किसी भी रविवार को प्रारम्भ करें। इसके लिए साधक रात्रि सवा 9 बजे के आसपास स्नान कर स्वछ पीले रंग के वस्त्र धारण करें। पूर्व दिशा की तरफ मुख करके अपने सामने किसी बाजोट(चौकी) पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर उस वस्त्र पर किसी प्लेट में हल्दी से षटकोण बनाये, उसमें पीली सरसों भर दें, उस पर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित ‘बगलामुखी यंत्र’ स्थापित करें। यंत्र के सामने शुद्ध गाय के घी का दीपक जलायें और मन्त्र विधान अनुसार संकल्प आदि कर सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग करें –
ॐ अस्य श्रीबगलामुखी महामंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप् छन्द: श्रीबगलामुखी देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्ति: ह्लरीं कीलकं मम श्रीबगलामुखी प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:।
ऋष्यादि न्यास: बाएँ(Left Hand) हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ(Right Hand) की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करें और ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र बन रहे है। ऐसा करने से अंग शक्तिशाली बनते है और चेतना प्राप्त होती है।
नारद ऋषये नम: शिरसि (सर को स्पर्श करें)
त्रिष्टुप छन्दसे नम: मुखे (मुख को स्पर्श करें)
श्रीबगलामुखीदेवतायै नम: ह्रदये (ह्रदय को स्पर्श करें)
ह्रीं बीजाय नम: गुहे (गुप्तांग को स्पर्श करें)
स्वाहा शक्तये नम: पादयो: (पैरों को स्पर्श करें)
ह्लरीं कीलकाय नम: नाभौ (नाभि को स्पर्श करें)
विनियोगाय नम: सर्वांगे (पूरे शरीर को स्पर्श करें)
कर न्यास: अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें, ऐसा करने से उंगलियों में चेतना प्राप्त होती है।
ॐ ह्रीं अंगुष्ठाभ्यां नम:।
बगलामुखी तर्जनीभ्यां नम:।
सर्वदुष्टानां मध्यमाभ्यां नम:।
वाचं मुखं पदं स्तम्भय अना:।
जिह्वां कीलय कीलय कनिष्ठिकाभ्यां नम:।
बुद्धिं नाशय ह्रीं ॐ करतलकर पृष्ठाभ्यां नम:।
ह्र्दयादि न्यास : पुन: बाएँ(Left Hand) हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ(Right Hand) की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करें और ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र बन रहे है। ऐसा करने से अंग शक्तिशाली बनते है और चेतना प्राप्त होती है। बगलामुखी महाविद्या
ॐ ह्रीं ह्रदयाय नम:। (ह्रदय को स्पर्श करें)
बगलामुखी शिरसे स्वाहा । (सर को स्पर्श करें)
सर्वदुष्टानां शिखायै वषट्। (शिखा को स्पर्श करें)
वाचं मुखं पदं स्तम्भय कवचाय। (कंधों को स्पर्श करें)
जिह्वां कीलय कीलय नेत्रत्रयाय वौषट्। (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)
बुद्धिं नाशय ह्रीं स्वाहा-अस्त्राय फट्। (सर पर उंगलियाँ घुमाकर चारों दिशाओं में एक-एक चुटकी बजाएं)
बगलामुखी ध्यान: इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती बगलामुखी का ध्यान करके पूजन करें। धुप, दीप, चावल, पुष्प से तदनन्तर बगलामुखी महाविद्या मन्त्र का जाप करें।
मध्ये सुधाब्धि मणिमण्डप रत्नवेदी सिंहासनो परिगतां परिपांतवर्णम्।
पीताम्बरा भरणमाल्य विभूषितागीं देवीं नमामि धृत मृद्गरवैरि जिह्वाम।।
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परि पीडयन्तीम्।
गदा भिधातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढयां द्विभुजां नमामि।।
पूजन सम्पन्न कर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “हल्दी या पीली हकीक माला” से निम्न मंत्र की 23 माला 11 दिन तक मंत्र जप करें। मन्त्र जप के पश्चात् बगलामुखी कवच का पाठ करें —
बगलामुखी मन्त्र :
॥ ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ फट् ॥
॥ अथ बगलामुखी कवचं प्रारभ्यते ॥
श्रुत्वा च बगला पूजां स्तोत्रं चापि महेश्वर।
इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं वद मे प्रभो।
वैरिनाशकरं दिव्यं सर्वाऽशुभ विनाशकम्।
शुभदं स्मरणात्पुण्यं त्राहि मां दु:ख-नाशनम्॥
॥ श्री भैरव उवाच ॥
कवच श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि। प्राणवल्लभम्।
पठित्वा-धारयित्वा तु त्रैलोक्ये विजयी भवेत्॥
सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग करें:
ॐ अस्य श्री बगलामुखीकवचस्य नारद ऋषि: अनुष्टुप्छन्द: श्रीबगलामुखी देवता। ह्लीं बीजम्। ऐं कीलकम्। पुरुषार्थचतुष्टयसिद्धये जपे विनियोग:॥
॥ अथ कवचम् ॥
शिरो मे बागला पातु ह्रदयैकक्षरी परा।
ॐ ह्रीं ॐ मे ललाटे च बगला वैरिनाशिनी॥
गदाहस्ता सदा पातु मुखं मे मोक्षदायिनी।
वैरि जिह्राधरा पातु कण्ठं मे बगलामुखी॥
उदरं नाभिदेंश च पातु नित्यं परात्परा।
परात्परतरा पातु मम गुह्रं सुरेश्वरी
हस्तौ चैव तथा पादौ पार्वती परिपातु मे।
विवादे विषमे घोरे संग्रामे रिपुसंकटे॥
पीताम्बरधरा पातु सर्वांगं शिवंनर्तकी।
श्रीविद्या समयं पातु मातंगी पूरिता शिवा॥
पातु पुत्रीं सूतञचैव कलत्रं कलिका मम।
पातु नित्यं भ्रातरं मे पितरं शूलिनी सदा॥
रंध्रं हि बगलादेव्या: कवचं सन्मुखोदितम्।
न वै देयममुख्याय सर्वसिद्धि प्रदायकम्॥
पठनाद्धारणादस्य पूजनादवांछितं लभेत्।
इंद कवचमज्ञात्वा यो जपेद् बगलामुखीय॥
पिबन्ति शोणितं तस्य योगिन्य: प्राप्य सादरा:।
वश्ये चाकर्षणे चैव मारणे मोहने तथा॥
महाभये विपतौ च पठेद्वरा पाठयेतु य:।
तस्य सर्वार्थसिद्धि:। स्याद् भक्तियुक्तस्य पार्वति॥
यह ग्यारह दिन की बगलामुखी महाविद्या साधना है। इस साधना के बीच साधना के नियमों का अवश्य ही पालन करें। भय रहित होकर पूर्ण आस्था के साथ ग्यारह दिन तक मंत्र जप करें। नित्य जाप करने से पहले संक्षिप्त पूजन अवश्य करें। बगलामुखी महाविद्या साधना के बारे में जानकारी गुप्त रखें। ग्यारह दिन तक मन्त्र का जाप करने के बाद जिस मन्त्र का आपने जाप किया है उस मन्त्र का दशांश (10%) या संक्षिप्त हवन हल्दी, पीली सरसों, शुद्ध घी से करें। हवन के पश्चात् बगलामुखी यन्त्र को अपने गले में धारण कर लें या अपने घर के पूजा स्थान में रख दें और बाकि बची पूजा सामग्री को नदी या किसी पीपल के नीचे विसर्जित कर दें। इस तरह करने से यह बगलामुखी साधना पूर्ण मानी जाती है।
माँ बगलामुखी साधक के संकल्प सहित कार्य भविष्य में शीघ्र पूरे करती है। बगलामुखी साधना मुख्य रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति की साधना है जिसे करने से साधक के सभी शत्रु समाप्त, नष्ट, छिन्न-भिन्न हो जाते है। साधक अपनी समस्या पर पूर्ण विजय प्राप्त करता है। भगवती साधक के लिए धन प्राप्ति के नये-नये अवसर खोल देती है जिससे साधक सभी दृष्टियों से पूर्ण बना रहता है।