Batuk Bhairav Stotra, बटुक भैरव स्तोत्र

Batuk Bhairav Stotra | बटुक भैरव स्तोत्र

Batuk Bhairav Stotra (बटुक भैरव स्तोत्र): To overcome all obstacles in life, Bhairav ​​Devata has great importance in worship. If you do recite the words of Batuk Bhairav, especially if you are reciting Bhairav Ashtami on the day of the Ashtami or Saturdays, then you will surely be able to make all your work successful and meaningful, as well as the problems in your business, business and life, Will achieve complete success in disruption, obstacle, enemy, court cases, etc. in the lawsuit.

Batuk Bhairav ji is the son of Durga who is happy immediately. By the practice of Batuk Bhairav, a person can take worldly benefits by removing worldly obstacles in his life.

Bhairav ​​has been considered as Rudra Avatar of Shiva. Eight forms of Bhairav ​​are also more popular in the system practice: 1. Accepting Bhairav, 2. Ru-Ru Bhairav, 3. Chand Bhairav, 4. Krodhonmatta Bhairav, 5. Bhayankar Bhairav, 6. Kapali Bhairav, 7. Greedy Bhairav ​​and 8. Bhairav Adi Shankaracharya has also written the names of Asht-Bhairav in ‘Prapanch-Sara‘ system. They are mentioned in tantra Shastra too. Apart from this, there are seven Bhairav in Saptuvishanti mystery. There is also mention of ten Veer-Bhairav in this book. In this, three Batuk-Bhairav are mentioned. The names of 52 Bhairav are mentioned in the Rudrayamala system.

‘Batuk Bhairav’ ritual, by accomplishing this ritual, the seeker can fulfill his wishful desires. Batuk Bhairav Stotra ritual must be accomplished only by Ravi-Pushy Nakshatra, Holi’s full moon, eclipse period, Durgashtami. As required, it can be accomplished in Guru-Pushy and universal Siddhi Yoga. This ritual is worthwhile to be finished at night.

Batuk Bhairav Stotra Benefits:

  • By following the recitation of Batuk Bhairav Stotra, surely all your work will be successful and meaningful, and you will get complete success in your business, business and life, troubles, obstacles, obstacles, enemies, court tricks and so forth.
  • From the psalms of Batuk Bhairav, one can take worldly advantage by removing worldly obstacles in his life.

 बटुक भैरव स्तोत्र | Batuk Bhairav Stotra

जीवन में आने वाली समस्त प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए भैरव आराधना का बहुत महत्व है। खास तौर पर भैरव अष्टमी के दिन या किसी भी शनिवार को श्री बटुक-भैरव-अष्टोत्तर-शत-नाम-स्तोत्र का पाठ करें, तो निश्चित ही आपके सारे कार्य सफल और सार्थक हो जाएंगे, साथ ही आप अपने व्यापार, व्यवसाय और जीवन में आने वाली समस्या, विघ्न, बाधा, शत्रु, कोर्ट कचहरी, और मुकदमे में पूर्ण सफलता प्राप्त करेंगे।

यह बटुक भैरव स्तोत्र 52 भैरव का स्वरूप है, जैसे काल भैरव, कापली भैरव, चंड भैरव, रुरु भैरव, भीषण भैरव, उन्मंत भैरव, क्रोध भैरव, बटुक भैरव आदि, यह बहुत ही शक्ति बटुक भैरव स्तोत्र है, इस स्तोत्र का पाठ करने से आप पूरी से सुरक्षित हो जाते है, आपके उपर किसी भी प्रकार का कोई भी तंत्र प्रयोग, इल्म, मुठ, नकारात्मक उर्जा का प्रभाव नही होता, क्योंकि आपकी रक्षा 52 भैरव करते है।

भैरव ध्यान:

वन्दे बालं स्फटिक-सदृशम्, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम्।
दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयैः, किंकिणी-नूपुराढ्यैः॥
दीप्ताकारं विशद-वदनं, सुप्रसन्नं त्रि-नेत्रम्।
हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं, शूल-दण्डौ दधानम्॥

मानसिक पूजन करे:

      ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये घ्रापयामि नमः।
ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये निवेदयामि नमः।
ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

बटुक भैरव स्तोत्र:

ॐ  भैरवो भूत-नाथश्च,  भूतात्मा   भूत-भावनः।
क्षेत्रज्ञः क्षेत्र-पालश्च,   क्षेत्रदः     क्षत्रियो  विराट् ॥
श्मशान-वासी मांसाशी, खर्पराशी स्मरान्त-कृत्।
रक्तपः पानपः सिद्धः,  सिद्धिदः   सिद्धि-सेवितः॥
कंकालः कालः-शमनः, कला-काष्ठा-तनुः कविः।
त्रि-नेत्रो     बहु-नेत्रश्च,   तथा     पिंगल-लोचनः॥
शूल-पाणिः खड्ग-पाणिः, कंकाली धूम्र-लोचनः।
अभीरुर्भैरवी-नाथो,   भूतपो    योगिनी –  पतिः॥
धनदोऽधन-हारी च,   धन-वान्   प्रतिभागवान्।
नागहारो नागकेशो,   व्योमकेशः   कपाल-भृत्॥
कालः कपालमाली च,    कमनीयः कलानिधिः।
त्रि-नेत्रो ज्वलन्नेत्रस्त्रि-शिखी च त्रि-लोक-भृत्॥
त्रिवृत्त-तनयो डिम्भः शान्तः शान्त-जन-प्रिय।
बटुको   बटु-वेषश्च,    खट्वांग   -वर – धारकः॥
भूताध्यक्षः      पशुपतिर्भिक्षुकः      परिचारकः।
धूर्तो दिगम्बरः   शौरिर्हरिणः   पाण्डु – लोचनः॥
प्रशान्तः  शान्तिदः  शुद्धः  शंकर-प्रिय-बान्धवः।
अष्ट -मूर्तिर्निधीशश्च,  ज्ञान- चक्षुस्तपो-मयः॥
अष्टाधारः  षडाधारः,  सर्प-युक्तः  शिखी-सखः।
भूधरो        भूधराधीशो,      भूपतिर्भूधरात्मजः॥
कपाल-धारी मुण्डी च ,   नाग-  यज्ञोपवीत-वान्।
जृम्भणो मोहनः स्तम्भी, मारणः क्षोभणस्तथा॥
शुद्द – नीलाञ्जन – प्रख्य – देहः मुण्ड  -विभूषणः।
बलि-भुग्बलि-भुङ्- नाथो,  बालोबाल  –  पराक्रम॥
सर्वापत् – तारणो  दुर्गो,   दुष्ट-   भूत-  निषेवितः।
कामीकला-निधिःकान्तः, कामिनी    वश-कृद्वशी॥

जगद्-रक्षा-करोऽनन्तो, माया – मन्त्रौषधी -मयः।
सर्व-सिद्धि-प्रदो वैद्यः,   प्रभ –   विष्णुरितीव  हि॥

फलश्रुति:

अष्टोत्तर-शतं नाम्नां, भैरवस्य महात्मनः।
मया ते कथितं   देवि, रहस्य  सर्व-कामदम्॥
य इदं पठते स्तोत्रं, नामाष्ट-शतमुत्तमम्।
न तस्य दुरितं किञ्चिन्न च भूत-भयं तथा॥

न शत्रुभ्यो भयंकिञ्चित्, प्राप्नुयान्मानवः क्वचिद्।
पातकेभ्यो भयं नैव, पठेत् स्तोत्रमतः सुधीः॥
मारी-भये राज-भये,  तथा  चौराग्निजे   भये।

औत्पातिके भये चैव, तथा दुःस्वप्नज भये॥
बन्धने च महाघोरे, पठेत् स्तोत्रमनन्य-धीः।
सर्वं प्रशममायाति, भयं भैरव-कीर्तनात्॥

क्षमा-प्रार्थना:

आवाहन न जानामि, न जानामि विसर्जनम्।
पूजा-कर्म न जानामि, क्षमस्व परमेश्वर॥
मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वर।
मया यत्-पूजितं देव परिपूर्णं तदस्तु मे॥

।। इति बटुक भैरव स्तोत्रम् ।।

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बटुक भैरव स्तोत्र हिंदी | Batuk Bhairav Stotra Lyrics Video

बटुक भैरव आह्वान मंत्र | Batuk Bhairav Aahvaan Mantra

बटुक भैरव स्तोत्र विशेषताऐ:

Bhairav Stotra (बटुक भैरव स्तोत्र) भगवान की कृपा प्राप्त करने का और अपने शरीर की तथा अपने घर की सुरक्षा करने का अमोघ अस्त्र है। इस  का प्रतिदिन पाठ करे और परिणाम स्वयं देखे कितना प्रभावशाली है। भैरव स्तोत्र के साथ-साथ यदि भैरव चालीसा स्तोत्र का पाठ किया जाए तो, इस स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाता है, लक्ष्मी कवच, और लक्ष्मी नारायण कवच का प्रतिदिन पाठ और पूजा करने से सफलता की प्राप्ति होती है। यदि साधक इस बटुक भैरव स्तोत्र के पाठ के साथ-साथ  भैरव गुटिका धारण करता है, तो मनोवांछित कामना पूर्ण होती है।