Berberis Aristata Benefits, दारु हल्दी

Berberis Aristata Benefits | दारू हल्दी के लाभ

Different Names of Berberis Aristata Benefits (दारु हल्दी):

  • Sanskrit — Darvi, Daru Haridra, parjyanya, parjni, kat-kateri, peeta, panchpacha, kalithak kale, Peeladru, Haridra, Peetdas, Kapitak.
  • Hindi — Daru, Haldi, Rasaunt
  • Gujarati — Daru Haldar
  • Kannad — Mar Darshina
  • Telugu — Manipsupu
  • Bengali — Daru Haridra
  • Parsee — Daruchob
  • Tamil — Marmanjil
  • Arabian — Daru Halad
  • Marathi — Halad
  • Latin — Berberis Aristata

Brief Description of Berberis Aristata:

Berberis Aristata (Berberis Aristata Benefits), also known as Indian Barberry or Tree Turmeric, belongs to the family Berberidaceae and the genus Berberis. The genus comprises approximately 450-500 species of deciduous evergreen shrubs and is found in the temperate and sub-tropical regions of Asia, Europe, and America. B. Aristata is native to the Himalayas in India and in Nepal. Berberis Aristata (Berberis Aristata Benefits) is also naturally found in the wet zone of Sri Lanka.

Berberis Aristata (Berberis Aristata Benefits) is characterized by an erect spiny shrub, ranging between 2 and 3 meters in height. It is a woody plant, with bark that appears yellow to brown from the outside and deep yellow from the inside. The bark is covered with three-branched thorns, which are modified leaves, and can be removed by hand in longitudinal strips. The leaves are arranged in tufts of 5-8 and are approximately 4.9 centimetres long and 1.8 centimetres broad. The leaves are deep green on the dorsal surface and light green on the ventral surface. The leaves are simple with pinnate venation. The leaves are leathery in texture and are toothed, with several to many small indentations along the margin of the leaf.

Astrological Significances of Berberis Aristata.

This Berberis Aristata (Berberis Aristata Benefits) plant shows divine effects. The wood is available in the market if fresh could not be collected. Fill about 100 to 150 gm in a nylon bag. Before taking bath dip this bag into the bath water and take bath after 5 to 7 minutes. Take the nylon bag out get dried. Do it for 80 days. All the malefic effects of planets will be removed. There will be no nightmare after that. It will also remove the obstacles in marriages.

Medicinal significance of Berberis Aristata:

  • The root bark contains berberine, quaternary ammonium salt of isoquinoline alkaloid. Berberine has antibacterial, antifungal, antiviral and antioxidant properties.
  • Berberis Aristata (Berberis Aristata Benefits) can possess anti-inflammatory, anti-tumour and anti-diabetic activities. Some institutes designed a study to provide scientific evidence for the use of Berberis Aristata in the treatment of urinary troubles caused as a side effect of the anti-cancer chemotherapy drug, cisplatin.
  • In a scientific study of the anti-diabetic activity of the plant, diabetic rats treated with the ethanol extract of the roots showed a significant reduction of serum glucose level. Berberis Aristata also showed a significant increase in the level of HDL cholesterol.
  • Additional research must be conducted to determine if the hypolipidemic properties of the plant could serve as a protective mechanism against the development of atherosclerosis, which is usually associated with diabetes.
  • A preparation called rasaunt is prepared from this plant. Rasaunt (Berberis Aristata Benefits) is prepared by boiling the bark of the root and of the lower part of the stem in water. The solution is then strained and evaporated till a semi-solid mass is obtained; this is rasaunt.
  • Berberis Aristata is mixed with either butter or alum, or with opium and lime-juice. It is also reported to be a mild laxative.
  • Berberis Aristata (Berberis Aristata Benefits) are valued for its anti psoriatic effects and its antibacterial, antifungal, anti-inflammatory, and antioxidant activity. It also has been used for treating acne, eczema, and Candida infection. Plant alkaloids have been found to be antibacterial, antifungal, anti-inflammatory, antioxidant, and anti diarrheal. Berberine is a uterine stimulant.
  • The person who takes the juice two spoonfuls for 7 days, it purifies his blood and results a fresh look.
  • If Rasaunt is dissolved in water and washed the vagina, all the vaginal infection goes away. And ovary also becomes strong.
  • Some people have problems of defecation as intestine comes out from the anus. If Rasaunt is dissolved in water and wash the anus this problem goes off slowly.

Berberis Aristata Benefits, दारु हल्दी

दारु हल्दी के लाभ | Berberis Aristata Benefits

दारू हल्दी के विभिन्न नाम:

  • संस्कृत — दार्वी दारूहरिद्रा, पर्जन्या, पर्जनी, कट-कटेरी, पीता, पंचपचा, कालीथक काले, पीलद्रु, हरिद्र पीतदास, कपीतक
  • हिन्दी — दारु-हल्दी, रसौंत
  • गुजराती — दारु हालदार
  • कन्नड़ — मर दर्शिना
  • तेलुगु — मनिप्सुपु
  • बंगला — दारु हरिद्रा
  • फारसी — दारुचोब
  • तमिल — मरमण्जिल
  • अरबी — दारुहलद्
  • मराठी — हलद
  • अंग्रेजी —  Barberis (बरबेरिज)
  • लेटिन — बेर्बेरिस आरिस्टाटा (Berberis aristata)

दारु हल्दी का संक्षिप्त परिचय:

दारु हरिद्रा की स्वयं जात झाड़ियां पायी जाती है। इसके अतिरिक्त यह बिहजार, पारसनाथ की पहाड़ी एवं नीलगिरी में भी पायी जाती है, कई जातियां हैं, जिनका प्रयोग दारुहरिद्रा के समान ही होता है।

दारुहल्दी (Berberis Aristata Benefits) के पौधे 5 फीट से लेकर 18 फीट तक ऊँचे होते हैं, ये कंटीले होते हैं, तथा इनका तना 8 इंच तक मोटा होता है, इसकी शाखायें बहुत ज्यादा होती हैं, जो कि पीलापन लिये हुये होती हैं। पत्तियां 2 से 3 इंच लम्बी, मोटी, मजबूत, चौड़ी तथा स्पष्ट शिरा युक्त होती हैं। इन पर दूर-दूर कांटे स्थित होते हैं। पुष्प सवा इंच आकार के हल्के पीले होते हैं, जो कि गुच्छे के रूप में होते हैं। फल अधिकतम आधे इंच तक लम्बे, अण्डाकार, नीले रंग के होते हैं। इनका पुष्प बसंत ऋतु में होता है और ग्रीष्म ऋतु में फल बनते हैं।

रसौंत का ज्योतिषीय महत्व:

रसौंत (Berberis Aristata Benefits) में दिव्य प्रभाव दर्शाने वाली इसकी लकड़ी है। यदि यह ताज़ी उपलब्ध हो तो अतिश्रेष्ठ अन्यथा बाजार में इसकी सूखी लकड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसकी लकड़ी के टुकड़ों को पानी छानने हेतु किसी बड़ी नायलोन की थैली में 100-150 ग्राम लेकर भर लें। जिस समय आप स्नान करने जाए, उस समय इस थैली को स्नान के जल में 5-7 मिनट के लिए डाल दें। इसके पश्चात इसे निकालकर दूसरे दिन के लिए सुरक्षित रख दें। जिस जल में लकड़ी डुबो रखी थी उससे स्नान करने वाले के समस्त ग्रहदोष दूर होते है, शरीर स्वस्थ एवं उत्तम रहता है, उसे दु;स्वप्न नहीं आते, उसके कार्यो में आने वाली रुकावटें समाप्त होती है। जिस कन्या का विवाह न हो पा रहा हो उसे इस प्रकार का स्नान 80 दिनों तक कराने से उसके विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है। ईश्वर की कृपा से उसका विवाह शीघ्र होता है।

रसौंत का औषधीय महत्व:

  • रसौंत अर्थात दारु हल्दी का मुख्य प्रयोग चिकित्सा में ही किया जाता है। औषधीय रूप में इसका लाभ प्राचीनकाल से लिया जाता रहा है। इसके ऐसे अनेक सामान्य प्रयोग है, जिन्हें आप स्वयं काम में ला सकते है और लाभ प्राप्त कर सकते है।
  • रसौंत की थोड़ी सी मात्रा लेकर उसका क्वाथ बना लें। इस क्वाथ में बिना शक्कर मिलाये हुए उससे कुल्ला करने से मुंह में हुए छालों में काफी आराम आता है।
  • बराबर मात्रा में रसौंत (Berberis Aristata Benefits) तथा हाथी दांत की मसी ले लें। 50-50 ग्राम मात्रा दोनों की पर्याप्त है। दोनों ही वस्तुएं बाजार में आसानी से मिल जाती है। इन्हें लगभग 4 गुने बकरी के दूध में इतना उबालें कि दूध पूरा जल जाएँ। जो पदार्थ अवशेष बचता है उसे अथवा उसमें सिद्ध किए हुए नारियल के तेल को सिर में लगाने से गंजापन धीरे धीरे दूर होता है। केशों का स्वास्थ्य उत्तम होता है।
  • श्वेत प्रदर के निवारणार्थ दारु हल्दी के लगभग 20 ग्राम चूर्ण को थोड़ी सी शक्कर मिलाकर 8 गुना पानी में उबालें। जब काढ़े की लगभग 60 ग्राम मात्रा शेष रह जाए तब इसे छान लें। इसके दो भाग कर लें। इसका एक भाग सुबह और दूसरा भाग शाम को जल के साथ लें। लगभग 15 दिनों तक इस प्रयोग को सम्पन्न करने पर ल्यूकोरिया में काफी लाभ होता है।
  • कभी कभी शरीर पर कोई घाव पक जाता है जिसके कारण उसमें पीव बनने लगता है। यह काफी कष्ट देता है। इसे सुखाने हेतु दारुहल्दी की काष्ठ लेकर उसका चूर्ण बना लें। उस चूर्ण को उस पके हुए घाव में भर दें अथवा उस पर लगा दें। ऐसे करने से वह घाव 1-2 दिनों में ही सूख जाता है।
  • दारुहल्दी की मूल की छाल को गोमूत्र में पीसकर एक्जिमा पर लगाने से वह बहुत जल्दी ठीक हो जाता है। यदि इसके मूल को छाल उपलब्ध न हो सके तो उस स्थिति में मूल जैसी भी उपलब्ध हो उसे ही गोमूत्र के साथ पीसकर लगा देने से लाभ होता है।
  • जो लोग अत्यधिक पान सुपारी का सेवन करते है, उनकी मुख गुहा में छोटे छोटे घाव हो जाते है या कट्स लग जाते है जो यदाकदा परेशान करते है। ऐसे लोगों को लगभग 10 ग्राम दारुहल्दी (Berberis Aristata Benefits) को पीसकर एक गिलास जल में उबालना चाहिए। उबालने की क्रिया तब तक करें जब तक कि जल की मात्रा आधी रह जाए। इस जल को छान कर मुंह में भरकर 2-5 मिनटों तक रखें फिर कुल्ला कर दें। ऐसा करने से मुख गुहा के घाव दूर होते है। यदाकदा इस प्रयोग को करने वाले के मसूढ़े तंदरुस्त रहते है, उसके दांतों में कीड़े नहीं पड़ते।
  • जो व्यक्ति दारुहल्दी के काढ़े की 2 चम्मच मात्रा मात्र 7 दिनों तक निरंतर लेता है उसका रक्त शुद्ध होकर चेहरा साफ़ हो जाता है। काढा उपरोक्तानुसार बनाया जाता है।
  • मुखपाक की स्थिति में थोड़ी सी रसौंत को जल में मिलाकर कुल्ले करने से तुरंत आराम होता है। इस प्रयोग को मात्र 1-2 बार करने से मुखपाक ठीक हो जाता है।
  • थोड़ी सी रसौंत को जल में घोल लें। इस घोल से योनि प्रक्षालन करने से योनि की दुर्गन्ध दूर होती है। इस प्रयोग के लगातार कुछ दिनों तक करने से गर्भाशय भी ताकतवर होता है।
  • कभी कभी किसी व्यक्ति को मल त्याग करते समय कुछ आंत्र बाहर निकल आती है जिसे कांच निकलना कहता है। रसौंत को जल में घोलकर उस जल से गूदा प्रक्षालन करने से कांच निकलना बंद हो जाता है।
  • कभी कभी पेशाब के साथ आटे के समान पदार्थ उत्सर्जित होने लगता है। इस रोग को पिष्ट्मेह कहते है। इसके निवारणार्थ रसौंत (Berberis Aristata Benefits) को जल में घोल कर अथवा दारुहल्दी के क्वाथ की 2 चम्मच मात्रा में एक चुटकी भर हल्दी मिलाकर देने से लाभ होता है। प्रयोग 3 दिनों तक करना पर्याप्त है।