Betula Utilis Benefits | भोजपत्र के लाभ
Different Names of Betula Utilis Benefits (भोजपत्र):
- Hindi — Bhojpatra
- Marathi — Bhurjapatra
- Bengali — Bhujjipatra
- Gujarati — Bhojpatra
- Kannad — Bhurjapatra
Brief description of Betula Utilis:
A medium sized deciduous tree up to 20 m in height with white bark having horizontal lenticels and pink inner layers, peeling off in large papery layers; young shoots, petioles and leaves silky; leaves simple, ovate, acute, sharply irregularly serrate, base rounded, sticky when young with yellow resinous scales; flowers in catkins, male catkins at the tip of the long shoots, female spikes solitary on the top of the dwarf shoots; fruits narrower than the bracts, the wings narrower than the nut.
Religious significance of Betula Utilis:
The bark of this Betula Utilis (Betula Utilis Benefits) tree is found in layers and hence used for writing texts. This tree is said to be too virtuous so most of our texts are written on that. Now a day’s only mascots are being written on that therefore the mascots are too effective. Some of the examples of mascots are being written below so that the foreseen problems or running problems can be solved.
For forthcoming problems in the family, following mascot made on birch bark with the pen of twig of pomegranate and ink of Ashta Gandh during Abhijeet Muhurat and chanting the Betula Utilis Benefits mantra of own deity and after laminating keep it in the house. Show aggarbatti daily to it. All the problems will go away.
The businessman also having problems time to time, the following mascot can be made on Jupiter Pushya constellation period by the pen of twig of pomegranate and ink of Ashta Gandh by sitting in a woollen mat facing north. While making it, chant the Betula Utilis Benefits mantra of own deity and then show the smoke of aggarbatti. Then frame it and establish it in your business house. You will get the positive result.
For any type of fear write the following mascot in a birch bark and keep it in your pocket. This problem will be over.
The persons who are mostly in tour, the following mascot will be most beneficial for them. There are many types of problems faced when on tour, and keeping the following in pocket while travelling will protect him from all the adversities.
The persons who are involved in writing should keep a piece of blank bark with him. All his writings will be flawless.
The most significant part of this Betula Utilis (Betula Utilis Benefits) tree is its bark which is called birch bark. In comparison with paper its life is much more. Therefore all the ancient texts were being written on it. The mascot made on this bark is too effective as well. All the mascots are to be made on sitting on a woollen mat facing north with a pen of pomegranate twig and Ashta Gandh ink. The following mascot is to be kept into the chest and daily lit aggarbatti before it. Goddess Laxmi will make her abode there.
Write the following mascot in a birch bark and tie it on head. Betula Utilis (Betula Utilis Benefits) will relieve you from migraine pain.
Astrological significance of Betula Utilis:
The person who uses birch bark, nut grass, basil leaves and wood apple leaves in the bathing water all the malefic effects of planets will be eradicated. For this fill a trough with water. Put some birch barks, 21 wood apple leaves, 51, lawn grass, 51 basil leaves, two pieces of turmeric and 20 to 30 grams nut grass into the trough. Daily before taking bath use a bowl of that water with the bathing water and put a bowl of fresh water in the trough. For 40 days these act to be continued. All the malefic effects of the planets will be eradicated.
Vaastu significance of Betula Utilis:
This Betula Utilis (Betula Utilis Benefits) tree inside the boundary of the house is auspicious. If it is in eastern side and on the South east direction it is more auspicious.
भोजपत्र के लाभ | Betula Utilis Benefits
भोजपत्र के विभिन्न नाम:
- हिन्दी — भोजपत्र,
- बंगाली — भूज्जिपत्र,
- मराठी — भूर्जपत्र,
- गुजराती — भोजपत्र,
- कन्नड़ — भूर्जपत्र,
- अंग्रेजी — Jacquemon tree
भोजपत्र का संक्षिप्त परिचय:
सम्पूर्ण हिमालय क्षेत्र, सिक्किम, भूटान तथा 4100 मीटर तक की ऊँचाई तक पाया जाने वाला यह एक मध्यम श्रेणी का ब्राह्मण वर्ग का वृक्ष होता है। इसकी अधिकतम ऊँचाई 18-20 मीटर तक होती है। इसकी पत्तियाँ साधारण प्रकार की 4 से 6 से.मी. तक लम्बी तथा 3 से.मी तक चौड़ी होती हैं। पत्ती के आगे के हिस्से नुकीले होते हैं, इन पर धब्बे भी होते हैं। यह ग्रीष्म ऋतु में पुष्पित होते है। इसका तना कठोर होकर मध्य में सफेदी लिये हुये होता है। इसकी छाल नर्म, चमकीली, हल्की भूरी या गुलाबी तथा अनेक स्तरों वाली होती है।
भोजपत्र का धार्मिक प्रयोग:
भोजपत्र वृक्ष (Betula Utilis Benefits) की छाल अनेक स्तरों की होने के कारण इसका प्रयोग पहले ग्रंथ लिखने के लिये किया जाता था। यह वृक्ष अत्यन्त पवित्र माना जाता था, इसलिये हमारे पहले के समस्त धार्मिक ग्रंथ भोजपत्र (Betula Utilis Benefits) पर ही लिखे गये हैं। वर्तमान समय में भोजपत्र का उपयोग यंत्र निर्माण के लिये किया जाता है, जिससे यह यंत्र शीघ्र फलदायी होता है। आगे भोजपत्र पर निर्मित किए जाने वाले कुछ अत्यंत उपयोगी यंत्रों के बारे में जानकारी दी जा रही है। इनका निर्माण करना अत्यन्त सरल है, आप इन यंत्रो से आसानी से लाभ ले सकते हैं :—
परिवार पर आने वाली समस्याओं से बचाव के लिये आगे दिए गए यंत्र का निर्माण करके लाभ लिया जा सकता है। इस यंत्र का निर्माण आप सर्वार्थ सिद्ध योग में दिन के समय अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं। इस समय निर्मित किया गया यंत्र कल्याणकारी रहता है। अभिजीत मुहूर्त का समय दिन के 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक का होता है। यंत्र का निर्माण भोजपत्र (Betula Utilis Benefits) पर किया जाना चाहिये। इसके लिये अनार की कलम तथा अष्टगंध की स्याही का प्रयोग करें। यंत्र का निर्माण सूती आसन पर पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करें। यंत्र का निर्माण करते समय अपने इष्ट के किसी भी मंत्र का मानसिक जाप करते रहें। यंत्र का निर्माण करने के पश्चात् अगरबत्ती दिखायें। बाद में इसे लेमिनेट करवाकर घर में रखें। इससे अग्नि भय से मुक्ति प्राप्त होती है तथा अन्य किसी प्रकार की पीड़ादायक समस्याएं भी नहीं आती हैं। यंत्र इस प्रकार है –
जिन लोगों के अपने व्यवसाय हैं और उन्हें इसमें समय-समय पर अनेक प्रकार की समस्यायें आती हैं, उनके लिये इस यंत्र का निर्माण करके लाभ लिया जा सकता है। इस यंत्र का निर्माण गुरु पुष्य योग में करना श्रेष्ठ रहता है। लेखन के लिये अष्टगंध की स्याही तथा अनार की कलम का उपयोग करें। इसके लिये पूर्व अथवा उत्तर की तरफ मुख करके ऊनी अथवा सूती आसन पर बैठें। यंत्र लेखन करते समय मानसिक रूप से अपने इष्ट के किसी भी मंत्र का जाप करते रहें। जब यंत्र का लेखन पूर्ण हो जाये तो इसे अगरबत्ती की धूनी दें। तत्पश्चात् यंत्र को फ्रेम करवाकर अपने प्रतिष्ठान में स्थापित कर दें। व्यवसाय में आने वाली अवांछित समस्यायें समाप्त होकर सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है और समस्त कार्य व्यवस्थित रूप से होते चले जायेंगे। यंत्र इस प्रकार है –
किसी भी प्रकार का भय रहने पर उपरोक्त विधि अनुसार भोजपत्र पर आगे दिया गया यंत्र बनाकर पास में रखने से भय दूर होता है :—
जिन व्यक्तियों को अक्सर ही यात्रायें करनी पड़ती हैं, उनके लिये आगे दिया गया यंत्र अत्यन्त लाभदायक फल देने वाला है। यात्रा में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें सामान का चोरी हो जाना, दुर्घटना होना अथवा अन्य किसी प्रकार की समस्या हो सकती है। आचार्यों का इस बारे में कथन है कि जो व्यक्ति अमृतसिद्धि योग में भोजपत्र (Betula Utilis Benefits) पर लाल रंग की स्याही से निम्न यंत्र बनाकर यात्रा काल में अपने पास रखता है, उसकी यात्रा सफल होती है। यंत्र का निर्माण उपरोक्त विधि अनुसार करें। यंत्र इस प्रकार है:-
लेखन कार्य से जुड़े लोगों को अपने पास भोजपत्र का खाली टुकड़ा अवश्य रखना चाहिये। इसी प्रकार जहाँ बैठकर वे कार्य करते हों, वहाँ भी भोजपत्र अवश्य रखें। ऐसा करने से लेखन सम्बन्धी कार्य में सफलता मिलती है, लेखन में त्रुटियां नहीं होती है।
भोजपत्र वृक्ष (Betula Utilis Benefits) में सर्वाधिक उपयोग एवं दिव्य पदार्थ है इसकी अंतर्छाल, जो कि सामान्यत: भोजपत्र ही कहलाती है। कागज की तुलना में इसका आयुष्यकाल बहुत अधिक होता है, इसलिए प्राचीनकाल में लेखन हेतु इन्हीं पत्रों का प्रयोग किया जाता था। पुराने जमाने से ही अनेक यंत्रों का भोजपत्रों पर ही निर्माण किया जाता है। भोजपत्र पर विधिपूर्वक बनाया गया कोई भी यंत्र अत्यंत प्रभावशाली होता है। घर में भोजपत्र का एक टुकड़ा नित्य जलाने से घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से अनार की कलम द्वारा बनाये जाने वाले आगे दिया गया यंत्र अत्यंत प्रभावी है। प्रत्येक यंत्र ऊनी आसन पर बैठकर उत्तर की तरफ मुख करके बनाया जाता है। उससे होने वाला प्रभाव यंत्र के नीच ही लिखा गया है। यंत्र को बनाने के पश्चात इसे तिजोरी में रखें तथा नित्य अगरबत्ती दिखाएँ।
भोजपत्र का ज्योतिषीय महत्व:
जो व्यक्ति भोजपत्र, तुलसी, दुर्वा, हरिद्रा (हल्दी), नागरमोथा और बिल्व पत्र से स्नान करता है उसकी समस्त ग्रह पीड़ा शांत होती है। इस स्नान हेतु एक छोटी मिट्टी की हाँडी में जल भरकर उसमें कुछ टुकड़े भोजपत्र (Betula Utilis Benefits) के, 21 बिल्व पत्र, 51 दुर्वा, 51 तुलसीपत्र, 2 गाँठ हल्दी की तथा 20-30 ग्राम के लगभग नागरमोथा डाल दें। इस पर मिट्टी का ढक्कन रख दें। इस हाँडी को किसी छायादार स्थान पर रख दें। नित्य स्नान के समय इस हाँडी में से एक कटोरी पानी स्नान के जल में डाल दें। उतना ही शुद्ध पानी हाँडी में डाल लें। उक्त प्रकार के जल से युक्त 40 दिन तक स्नान करने से समस्त ग्रहों की पीड़ा शांत होती है। ग्रह पीड़ा शान्ति का यह अत्यन्त लाभकारी प्रयोग है। इस स्नान के पश्चात् ग्रहों के शुभत्व में वृद्धि होती है और व्यक्ति तीव्रता के साथ प्रगति करता है।
भोजपत्र का वास्तु महत्व:
भोजपत्र (Betula Utilis Benefits) के पेड़ का घर की सीमा में होना शुभ है। घर की सीमा में यह पूर्व दिशा में अथवा आग्रेय कोण या आग्रेय क्षेत्र में होने पर शुभफल देता है।