Bichua Benefits, बिछुआ

Bichua Benefits | बिछुआ के लाभ

Different Names of Bichua Benefits (बिछुआ):

  • Sanskrit — Brischik
  • Latin — Martiniya annua
  • Hindi — Bichua                       
  • Gujarati — Bichchuo

Brief description of Bichua:

Bichua (Bichua Benefits) is a general plant which is available everywhere easily. This plant grows in rainy season and by September and October it ends. The height of this plant is about 2 feet, its stem is straight and about double of the thumb is its width and it is a green plant.

The leaves are big in size and the leaves are bunched in a place. On the upper end of the stem the flower blooms which appear like a pipe and pink in colour which turns in fruit. After the fruit dries, inside the fruit it looks like the head of a bird. There are two stings inside like scorpions so this is called Bichchua.

Religious significance of Bichua:

Collect the fruit in any auspicious moment. Put it in the sun to dry. After 2 or 3 days its pod will burst and inside there is a form of bird’s head comes out. Keep this Bichua (Bichua Benefits) in a small box with vermillion. There will be no sorcery effect on the person. If this Bichua one is rounded on a person about to marry, the marriage will have no obstacles.

Astrological significance of Bichua:

According to astrology the roots of this tree eradicates all the malefic effects of Planet Saturn. The person who cannot afford a Sapphire for retention, he/she can collect a root of this plant and put it in a blue or black cloth and tie it on the arm or put into a talisman and tying it with black silk thread hang it around the neck. This Bichua (Bichua Benefits) will remove the malefic effect of Saturn.

On any auspicious day collect the root of this plant after watering and offering it yellow rice. Bring it at home and wash it properly. The root should be kept in the bathing water of the person and then take out to put again on the next day. After 40 days doing this practice regularly the malefic effect of Saturn goes off.

The fruit of this Bichua (Bichua Benefits) plant is too significant. When it is dried, it turns black and looks like an insect. There are two sting type nails are there. In an auspicious period lit an agarbatti before it after dropping perfume in it and chant “Om Shanischaray Namah” for a complete rosary. The person who is the victims of Sadhe Saati should keep this with him. All the malefic effects will be eradicated.

The kid, who is suffering from evil sight, should keep the sanctified fruit is kept with him, nothing can harm him.

Vaastu significance of Bichua:

As per the Vaastu Shastra, a plant inside the house is not inauspicious. The Bichua (Bichua Benefits) plant should be worshipped with lit joss sticks. To keep the fruit is very auspicious.

Bichua Benefits, बिछुआ

बिछुआ के लाभ | Bichua Benefits

बिछुआ के विभिन्न नाम:

  • संस्कृत — वृश्चिक
  • हिन्दी — बिछुआ
  • गुजराती — बिछुओ
  • लेटिन — Martynia annua (मारटाईनिया एन्युआ)

बिछुआ का संक्षिप्त परिचय:

बिछुआ (Bichua Benefits) एक सामान्य पौधा है, जो हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यह पौधा वर्षा ऋतु में उत्पन्न होता है तथा अक्टूबर-नवम्बर तक समाप्त हो जाता है, इस प्रकार यह पौधा एकवर्षीय होता है। इसकी ऊँचाई 2 फीट तक होती है, इसका तना सीधा होता है, जो हाथ के अंगुष्ठ की मोटाई से अधिकतम 2 गुना मोटा और हरा होता है।

इसी तने पर बड़ी-बड़ी साधारण प्रकार की पत्तियाँ लगती हैं। ये एकान्तर क्रम से जमी होती हैं। तने के ऊपरी हिस्से में गुलाबी वर्ण के नली के समान पुष्प लगे होते हैं, जो कि बाद में हरे-हरे फलों में परिवर्तित हो जाते हैं। सूख जाने पर फल के अन्दर से किसी पक्षी की खोपड़ी के समान रचना निकलती है। इस रचना में पीछे की ओर 2 बिच्छू के डंक के समान नुकीली रचनायें होती हैं, इसलिये इसे बिछुआ कहते हैं।

बिछुआ के धार्मिक महत्व:

किसी भी शुभ मुहूर्त में बिछुआ (Bichua Benefits) के फल तोड़ लें। इन्हें सूर्य के प्रकाश में रख दें। 2-4 दिनों में इनके सूखने पर इनके ऊपर का खोल फट जायेगा। उसे सावधानी से हटाने के पश्चात् भीतर से किसी पक्षी की खोपड़ी के समान जो रचनायें निकलेंगी उन्हें रख लें। इस रचना को किसी डिब्बी में थोड़ा सा सिन्दूर लगा कर रखने से उस घर में तंत्र-मंत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है।

शुभ मुहूर्त में निकाली गई इस रचना को जिस किसी भी जातक का विवाह होने वाला हो, उस पर से 7 बार उसार कर जल में प्रवाहित कर देने से उसका विवाह निर्विघ्न सम्पन्न होता है। विवाह का सम्पूर्ण कार्यक्रम नज़रदोष के प्रभाव से सुरक्षित रहता है।

बिछुआ का ज्योतिष महत्व:

ज्योतिषी शास्त्रानुसार बिछुआ की जड़ शनि ग्रह की पीड़ा के उपचारार्थ प्रयुक्त की जाती है। शनि से पीड़ित व्यक्तियों को ज्योतिष शास्त्र में नीलम रत्न पहनाया जाता है। जो व्यक्ति उसके महंगे होने के कारण नीलम धारण नहीं कर सकते, वे शुभ मुहूर्त में बिछुआ (Bichua Benefits) की जड़ को खोद कर ले आयें। इसे एक नीले अथवा काले वस्त्र के माध्यम से अपनी भुजा में बांध लें अथवा इसकी जड़ के एक टुकड़े को ताबीज में भरकर काले रेशमी डोरे के साथ गले में लटका लें। ऐसा करने से उन पर से शनि का कुप्रभाव समाप्त होता है।

बिछुआ की मूल को किसी भी दिन शुभ मुहूर्त में निकाल लें। निकालने के पूर्व प्रार्थना करें कि हे मूल, मैं आपको मेरे कल्याणार्थ लेने आया हूँ। आप मेरे साथ चलें तथा मेरा कल्याण करें। ऐसी प्रार्थना कर उसे जल अर्पित करें, कुछ पीले चावल भी डालें और फिर निकालकर घर ले आयें। इसे भली प्रकार से साफ करके रख लें। इस जड़ को शनि से पीड़ित व्यक्ति कुछ समय तक अपने स्नान के जल में डाले रहे और फिर निकाल लें। इस जड़ को अगले दिन प्रयोग के लिये रख लें तथा उस जल से स्नान कर लें। ऐसा 40 दिनों तक करने से शनि का कुप्रभाव समाप्त होता है।

बिछुआ (Bichua Benefits) का फल विशेष महत्व का होता है। यह फल सूखने पर काला हो जाता है तथा किसी कीड़े के समान दिखाई देता है। इसमें बिच्छू के डंक की भांति 2 कांटे सामने की ओर रहते है। इस फल को किसी भी शुभ मुहूर्त में पौधे से निकाल लें अथवा जब भी ये प्राप्त हो उसके पश्चात किसी भी शुभ मुहूर्त में उन पर थोडा सा इत्र लगाकर उन्हें अगरबत्ती का धुआं दे दें। साथ ही ।।ॐ शनैश्र्चराय नम:।। मन्त्र की 1 माला जाप करके उन्हें अभिमंत्रित कर दें। इस अभिमंत्रित फल को पास में रखने वाला शनि की पीड़ा से मुक्त रहता है। जिन लोगों की पत्रिका में शनि नीच राशि का हो अथवा जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही हो ऐसे व्यक्ति को इसे पास में रखने से शनि के कुप्रभाव के शिकार नहीं होते है। उनके कार्यो में उत्पन्न होने वाली बाधाएं दूर होने लगती है।

किसी बच्चे को नजर का प्रभाव हो तो इन अभिमंत्रित फलों को उसके पास रखने से उनका कल्याण होता है। किसी भी प्रतिष्ठान में एक काले वस्त्र में ऐसे 5 फलों को लटकाने से वह नजर आदि के दोष से मुक्त रहता है।

बिछुआ का वास्तु में महत्व:

वास्तुशास्त्र के अनुसार बिछुआ (Bichua Benefits) के पौधे का घर की सीमा में होना अशुभ कारक नहीं होता है। इसके घर में पनपने पर शनिवार को इसे अगरबत्ती लगाना तथा इसके फल बनने पर उन्हें रखना शुभ है।