Brahmand Mohan Durga Kavach, ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच

Brahmand Mohan Durga Kavach | ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच

Brahmand Mohan Durga Kavach (ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच) is the most powerful kavach in the world. There is no other protective kavach like this kavach. Maa Durga protects the seeker from all Fear, Sorrow, Suffering and Tantra-Mantra-Yantras by reciting this kavach. If any kind of evil forces reside or enter a seeker’s house, due to which diseases persist in the house. Money keeps getting spent on diseases, there is a constant argument among the family members. Not getting success in work, Enemies are increasing, tantra obstacle are remains due to enemies, so seeker must recite this kavach.

If there are people around a seeker who do not want him to succeed, hinderance in his success. They use Black Magic, Sorcery etc., to influence him. Then in such a situation, seeker must recite Brahmand Mohan Durga Kavach. by reciting this kavach, seeker’s enemies start becoming friends. Every seeker should recite Brahmand Mohan Durga Kavach in daily worship. So that he and his family can be protected from all negative energy.

ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच

नारद उवाच।

भगवन्सर्वधर्मज्ञ सर्वज्ञानविशारद। ब्रह्माण्डमोहनं नाम प्रकृते कवचं वद॥

नारायण उवाच।

शृणु वक्ष्यामि हे वत्स कवचं च सुदुर्लभम् । श्रीकृष्णेनैव कथितं कृपया ब्रह्मणे पुरा ॥

ब्रह्मणा कथितं पूर्वं धर्माय जान्हवीतटे । धर्मेण दत्तं मह्यं च कृपया पुष्करे पुरा ॥

त्रिपुरारिश्च यद्धृत्वा जघान त्रिपुरं पुरा । ममोच ब्रह्मा यद्धृत्वा मधुकैटभयोर्भयात् ॥

सञ्जहार रक्तबीजं यद्धृत्वा भद्रकालिका । यद्धृत्वा हि महेन्द्रश्च सम्प्राप कमलालयाम् ॥

यद्धृत्वा च महायोद्धा बाणः शत्रुभयङ्करः । यद्धृत्वा शिवतुल्यश्च दुर्वासा ज्ञानिनां वरः ॥

ॐ दुर्गेति चतुर्थ्यंतः स्वाहान्तो मे शिरोऽवतु । मन्त्रः षडक्षरोऽयं च भक्तानां कल्पपादपः ॥

विचारो नास्ति वेदे च ग्रहणेऽस्य मनोर्मुने । मन्त्रग्रहणमात्रेण विष्णुतुल्यो भवेन्नरः ॥

मम वक्त्रं सदा पातु ॐ दुर्गायै नमोऽन्तकः । ॐ दुर्गे इति कण्ठं तु मन्त्रः पातु सदा मम ॥

ॐ ह्रीं श्रीमिति मन्त्रोऽयं स्कन्धं पातु निरन्तरम् । ह्रीं श्रीं क्लीमिति पृष्ठं च पातु मे सर्वतः सदा॥

ह्रीं मे वक्षस्थले पातु हं सं श्रीमिति सन्ततम् । ऐं श्रीं ह्रीं पातु सर्वाङ्गं स्वप्ने जागरणे सदा ॥

प्राच्यां मां पातु प्रकृतिः पातु वह्नौ च चण्डिका । दक्षिणे भद्रकाली च नैऋत्यां च महेश्वरी ॥

वारुण्यां पातु वाराही वायव्यां सर्वमङ्गला । उत्तरे वैष्णवी पातु तथैशान्यां शिवप्रिया ॥

जले स्थले चान्तरिक्षे पातु मां जगदम्बिका । इति ते कथितं वत्स कवचं च सुदुर्लभम् ॥

यस्मै कस्मै न दातव्यं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् । गुरुमभ्यर्च्य विधिवद्वस्त्रालङ्कारचन्दनैः ॥

कवचं धारयेद्यस्तु सोऽपि विष्णुर्न संशयः । स्नाने च सर्वतीर्थानां पृथिव्याश्च प्रदक्षिणे ॥

यत्फलं लभते लोकस्तदेतद्धारणे मुने । पञ्चलक्षजपेनैव सिद्धमेतद्भवेद्ध्रुवम् ॥

लोके च सिद्धकवचो नावसीदति सङ्कटे । न तस्य मृत्युर्भवति जले वह्नौ विषे ज्वरे ॥

जीवन्मुक्तो भवेत्सोऽपि सर्वसिद्धीश्वरीश्वरि । यदि स्यात्सिद्धकवचो विष्णुतुल्यो भवेद्ध्रुवम् ॥

॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते प्रकृतिखण्डान्तर्गत ब्रह्माण्ड मोहनाख्यं दुर्गा कवचम् सम्पूर्णम् ॥

Brahmand Mohan Durga Kavach

Narada Uvacha

Bhagavan Sarva Dharmajja Sarvagnana Visharadha |

Bhramanda Mohanam Nama Prakrithe: Kavacham Vadha ||

Narayana Uvacha

Shrunu Vakshyami Hey Vathsa Kavacha Cha Su Dhurllabham |

Srikrishnenaiva Kadhitham Kripaya Bhramane Pura ||

Bhramana Kadhitham  Poorvam Dharmaya Jahnavee Thade |

Dharmena Dhaththam Mahyam Cha Kripaya Pushkare Pura ||

Thripurarischa Yadhruthva Jaghana Thripuram Pura |

Mumocha Dhatha Yadhruthva Madhu Kaidabhayor Bhayam ||

Jaghana Rakthabeejam Tham Yadhruthva Bhadrakalika |

Yadhruthva Hi Mahendhrascha Samprapa Kamalalayam ||

Yadhruthva Cha Mahakala: Chiranjeevi Cha Dharmika:

Yadhruthva Cha Mahagnani Nandhi Sanandhapoorvakam ||

Yadhruthva Cha Mahayoddha Bana: Shathru Bhayangaraya:

Yadhruthva Shiva Thulascha Durvassa Gnaninam Vara: ||

Om Durgethi Chathurthyantha: Swahantho Mey Shirovathu |

Manthra: Shadaksharoyam Cha Bhakthanam Kalpapadhapa: ||

Vicharo Nasthi Vedeshu Grahanesya Manormune |

Manthra Grahana Mathrena Vishnuthulyo Bhavennara: ||

Mama Vakthram Sadha Pathu Om Durgayai Namonthaka: |

Om Durge Raksha Ithi Cha Kandam Pathu Sadha Mama ||

Om Hrim Shrimithi Manthroyam Skandham Pathu Nirantharam |

Hrim Shrim Klimithi Prushtam Cha Mey Sarvatha: Sadha ||

Hrim Mey Vakshasthalam Pathu Hastham Srimithi Santhatham |

Aim Srim Hrim Pathu Sarvangam Swapne Jagarane Thadha ||

Prachyam Mam Prakrithi: Pathu Pathu Vahnaucha Chandika |

Dhakshine Bhadrakali Cha Nairrithyam Cha Maheshwari ||

Varunyam Pathu Varahi Vayavyam Sarvamangala |

Uththare Vaishnavi Pathu Thadhaishanyam Shivapriya ||

Jale Sthale Cha Anthareekshe Pathu Mam Jagadhambika |

Ithi The Kadhitham  Vathsa Kavacham Cha Sudhurllabham ||

Yasmai Kasmai Na Dhathavyam Pravakthavyam Na Kasyachith |

Gurumabhyarccha Vidhivath Vasthralankara Chandhanai: ||

Kavacham Dharayedhyasthu Sopi Vishnur Na Samshaya: |

Snane Cha Sarva Theerthanam  Prithivyascha Pradhakshine ||

Yath Phalam Labathe Loka: Thadhetha Dharananmune |

Pancha Laksha Japenaiva Sidhdhamethadh Bhavedh Dhruvam ||

Loke Cha Siddha Kavacho Nava Seedhathi Sangade |

Na Thasya Mrithyur Bhavathi Jale Vahnau Vishe Jware ||

Jeevan Muktho Bhaveth Sopi Sarva Siddhiravapnuyath |

Yadhi Sya Siddha Kavacho Vishnu Thulyo Bhaveth Dhruvam ||

|| Ithi Sri Bhrama Vaivarththa Purane Prakrithi Kande Bhramanda Mohanakhyam Durga Kavacham ||

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ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच के लाभ:

ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच विश्व का सबसे शक्तिशाली कवच हैं, इस कवच के समान कोई अन्य रक्षा कवच नही है। इस कवच का पाठ करने से माँ दुर्गा समस्त, भय, दुःख, कष्ट और तंत्र-मंत्र-यंत्र से साधक की रक्षा करती हैं। यदि किसी साधक के घर में किसी प्रकार की बुरी शक्तिओं का वास हो या आगमन है, जिसके कारण घर में बीमारियाँ बनी रहती हो, पैसा बीमारियों पर खर्च होता जाता हो, घर के लोगों में आपसी झगड़ा बना रहता हो, कार्यो में सफलता नही मिल रही हो, शत्रु बढ़ रहे हो, शत्रुओं के द्वारा तंत्र बाधा बनी रहती हो, तो उसे इस दुर्गा कवच का अवश्य ही पाठ करना चाहियें

यदि किसी साधक के आस-पास ऐसे लोग हैं जो उसे सफल नही होने देना चाहते हैं, उसकी सफलता में रुकावट बनते हैं, उसे प्रभावित करने के लिए जादू-मन्त्र, टोने-टोटके आदि का प्रयोग करते हैं, तो ऐसे में उसे ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। इस कवच का पाठ करने से उसके शत्रु मित्र बनने लगते हैं, उसकी सफलता में साथ देते हैं। प्रत्येक साधक को चाहिए कि वे नित्य पूजा में ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच का पाठ अवश्य करें, जिससे समस्त नकारात्मक ऊर्जा से उसकी तथा उसके परिवार की रक्षा हो सके।