Brahmi Plant Benefits | ब्राह्मी के लाभ
Different Names Of Brahmi Plant Benefits (ब्राह्मी):
- Hindi- Brahmi, Brahmi, Vami,
- Sanskrit – Mandukapani,
- Bengali- Virmi,
- Marathi- Brahmi,
- Gujarati – Brahmi,
- Kannada- Ondegal,
- Telugu – Shambranechetta,
- Tamil – Vimee,
- Persian- Jarnav,
- English- Indian Pennywort,
- Latin— Hydrocotyl asiatica (Cintella hydrocotly)
Brahmi is used in traditional Indian medicines for centuries. for the treatment of bronchitis, chronic cough, asthma, hoarseness, arthritis, rheumatism, backache, fluid retention, blood cleanser, chronic skin conditions, constipation, hair loss, fevers, digestive problems, depression, mental and physical fatigue and many more. Brahmi Plant Benefits
It is used to treat all sorts of skin problems like eczema, psoriasis, abscess and ulceration. It stimulates the growth of skin, hair and nails. Brahmi possesses anti cancer activity. It is taken to get relief from stress and anxiety. According to the Ayurveda Brahmi has an antioxidant property. It has been reported to reduce oxidation of fats in the blood stream, which is the risk factor for cardiovascular diseases. Brahmi is considered as the main rejuvenating herb for the nerve and brain cells. Brahmi Plant Benefits
Bacopa monnieri is a perennial, creeping herb native to the wetlands of southern and Eastern India, Australia, Europe, Africa, Asia, and North and South America. Brahmi Plant Benefits
Brahmi is rich in Vitamin C and can be used in the salads, soups and sandwiches. Brahmi oil restores and preserves the memory. In India it is given to the infants to boost memory power intelligence.
Two chemicals in bacopa, bacosides A and B, improve the transmission of impulses between nerve cells in your brain. The neurobiological effects of these isolated molecules were found to increase protein kinase activity and new protein synthesis, specifically in cells in region of the brain associated with long-term memory. Bacopa also increases your level of serotonin, a brain chemical known to promote relaxation. The herb’s ability to boost brain function while reducing anxiety may explain why it helps treat ADHD.
Aside from increasing intellectual and cognitive function, Brahmi induces a sense of calm and peace in its users. It is unique in its ability to invigorate mental processes whilst reducing the effects of stress and nervous anxiety. This makes Brahmi extremely applicable in highly stressful work or study environments where clarity of thought is as important as being able to work under pressure. Many people have the intelligence to perform to strict standards, but lack the composure and self-confidence to reach them. Additionally, Brahmi helps soothe the restlessness and distraction that nervousness causes. Brahmi is ideal for students and workers faced with this problem.
ब्राह्मी के लाभ | Brahmi Plant Benefits
ब्राह्मी के विभिन्न नाम:
- हिन्दी में— ब्राह्मी, ब्रह्मी, वामी,
- संस्कृत में— मण्डूकपणीं,
- बंगला में— विर्मि, मराठी में— ब्राह्मी,
- गुजराती में— ब्राह्मी,
- कन्नड़ में— औंदेगल,
- तेलुगु में— शम्ब्रनीचेट्ट, तमिल में— वीमी,
- फारसी में— जर्णव,
- अंग्रेजी में— Indian Pennywort,
- लेटिन में— Hydrocotyl asiatica (cintella hydrocotly)
ब्राह्मी का संक्षिप्त परिचय:
ब्राह्मी भारत के शीत प्रधान प्रदेशों में पायी जाती है। सामान्यत: यह नदी-नालों के किनारों पर, खेतों की नमीदार झाड़ियों पर, घरों में तथा नमीदार बगीचों में पायी जाती है। एक बार लग जाने पर यह कठीनता से दूर होती है। वर्षा काल में यह स्वयं सड़-गल जाती है और शीत ऋतु में स्वयं पैदा होती है। ग्रीष्म एवं बसंत ऋतु में यह पुष्पित होती है अर्थात् बसंत में इसमें फूल खिलते हैं तथा फल बनते हैं।
ब्राह्मी का ज्योतिषीय महत्व:
जिस समय ब्राह्मी के पौधे पुष्पयुक्त हो उस समय उसके 50 से 100 ग्राम पौधे एकत्रित कर छाया में सुखा लें। सुखाने के पश्चात उन्हें पीसकर महीन चूर्ण बना लें। इनसे बनने वाले चूर्ण को अलसी के 200 ग्राम तेल में मिला दें। फिर इस मिश्रण को शीशी में डालकर शुक्लपक्ष की एकम से लेकर पूर्णिमा तक भवन की छत पर खुले में रख दें ताकि उस पर सूर्य की किरणें और चन्द्रमा की किरणें पड़ें। 15 दिनों के पश्चात इस तेल को घर में सुरक्षित रख दें। अब नित्य रुई की एक बत्ती बनाकर इस तेल में डुबोकर बच्चे जहां पढाई करते हों वहां इसका दीपक लगा दें। इससे बच्चों को पढाई करने पर काफी सफलता मिलेगी, बच्चों के स्वभाव में उत्तम सकारात्मक परिवर्तन आता है। बच्चों की सफलता तथा उनके व्यवहार को अच्छा करने हेतु यह प्रयोग श्रेष्ठ है।
ब्राह्मी का वास्तु महत्व:
घर की सीमा में ब्राह्मी का होना शुभ होता है। इसके घर की सीमा में रहने से किसी भी प्रकार का अशुभत्व नहीं होता है।
ब्राह्मी के औषधीय महत्व:
स्मरण शक्ति बढाने वाली औषधियों में ब्राह्मी का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद की अनेक औषधियों में ब्राह्मी का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
मानसिक शक्तिवर्द्धक के लिए यह आसान सा प्रयोग किया जा सकता है, इसके लिए 50 ग्राम शुष्क ब्राह्मी, 50 ग्राम बादामगिरी तथा 10 ग्राम कालीमिर्च लेकर इन्हें पानी के साथ अच्छी प्रकार से घोंट लें। इसके बाद लगभग 3-3 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इसकी एक एक गोली सुबह तथा रात्रि सोने से पूर्व 200 मि.ली. हल्के गर्म दूध के साथ सेवन करने से दिमागी शक्ति में वृद्धि होती है। छात्रों के लिए यह प्रयोग अत्यंत लाभदायक है।
ब्राह्मी का पंचांग चूर्ण प्राप्त करें फिर इसे बारीक पीसकर छान लें, 200 मि.ली. हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच ब्राह्मी पाउडर मिलाकर सेवन करने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
जो व्यक्ति अनिद्रा के शिकार है, वह 200 मि.ली. दूध में एक चम्मच अथवा 5 ग्राम ब्राह्मी चूर्ण मिलाकर सेवन करें। अगर ताज़ी ब्राह्मी मिलती है तो इसका 5-10 ग्राम रस का प्रयोग किया जा सकता है। इसके सेवन से रात्रि में ठीक से नींद आती है और तनाव से मुक्ति प्राप्त होती है।
3 ग्राम ब्राह्मी में 5 दाने कालीमिर्च के मिलाकर जल के साथ ठीक से घोंट लें। इसका 2-3 बार एक दिन में सेवन करने से सिरदर्द दूर होकर स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
बालों की समस्याओं को दूर करने में भी ब्राह्मी के अनेक प्रयोग है। ब्राह्मी से बने तेल की सिर में मालिश करने से बाल मजबूत बनते है, साथ ही उनकी चमक में भी वृद्धि होती है। बालों की वृद्धि भी होती है। यह तेल घर में भी बनाया जा सकता है।
ब्राह्मी के आगे दिये गए प्रयोग से बालों का झड़ना रुक जाता है। इस प्रयोग के अंतर्गत ब्राह्मी के पंचांग का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में लेकर जल से सुबह शाम सेवन करें। 2-4 सप्ताह तक यह प्रयोग करने से आशाजनक लाभ की प्राप्ति होगी।
शरीर में दाह की समस्या के लिए 5 ग्राम ब्राह्मी तथा आधा चम्मच पिसा अथवा साबुत धनिया एक कप जल में भिगो दें। प्रात: उसी जल में दोनों को अच्छी प्रकार से पीस कर छान लें। इसमें स्वाद के अनुसार मिश्री भी पीसकर मिला लें और पी जाएँ। कुछ दिन के सेवन से दाह में लाभ प्राप्त होता दिखाई देता है।
टॉनिक के रूप में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। ब्राह्मी के पत्तों के चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा को सुबह के समय दूध के साथ लेते है तो उससे शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार होता है। न केवल यह प्रयोग ऊर्जा देता है बल्कि इसे नित्य सम्पन्न करने वाले की बुद्धि एवं स्मरण शक्ति में भी पर्याप्त विकास होता है। अग्नि पुराण में वर्णित है कि ब्राह्मी का नित्य जल से ही सेवन करने वाले की आयु दीर्घ होती है।
मूत्र अवरोध की समस्या से मुक्ति में भी ब्राह्मी का उपयोग लाभ देता है। कई लोगों को खुलकर पेशाब नहीं होता है अथवा उन्हें बूंद बूंद पेशाब उतरता है या फिर पेशाब करने के तुरंत पश्चात पुन: पेशाब करने हेतु दबाव बनता है, ऐसे लोगों को ब्राह्मी के पत्तों का स्वरस लगभग 10 ग्राम मात्रा में 4-6 दिनों तक पीना चाहिए। यदि स्वरस निकालने में असुविधा हो तो इसके लगभग 50 पत्तों को भली प्रकार से पीसकर एक कप भर जल में घोलकर पीना चाहिए। ऐसे करने से उपरोक्त वर्णित मूत्र विकार समाप्त होता है।
गले की आवाज में मिठास बढाने हेतु नित्य कुछ दिनों तक ब्राह्मी की पत्तियों को खूब चबा चबाकर उसका रस गले में उतारना चाहिए। इस हेतु एक बार में इसकी 20-30 पत्तियों को लेना चाहिए। पत्तियों के स्थान पर इसकी जड़ को भी चूसा जा सकता है। चमत्कारिक प्रयोग है।
छोटे छोटे बच्चों को छाती में कफ जम जाने से वे काफी परेशान हो उठते है। ऐसी स्थिति में आप जो भी डॉक्टरी उपचार करवा रहे हों वे कराएं किन्तु उसी के साथ साथ यह भी प्रयोग करें तो शीघ्र लाभ की प्राप्ति होगी। ब्राह्मी के कुछ पौधों को लेकर उन्हें खरल में अथवा सिलबट्टे पर भलीभांति पीस लें। फिर इस चटनी को किसी कटोरी में लेकर सहन करने योग्य गर्म कर इसका लेप बच्चे की छाती पर कर दें। ऐसा मात्र 2-3 बार करने के बाद ही बच्चे की छाती में जमा कफ बाहर आ जाता है।
कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए ब्राह्मी का उपयोग लाभ करता है। जिस व्यक्ति को प्राय: कब्ज रहती हो उसे ब्राह्मी की मूल का स्वरस एक ग्राम केवल एक गिलास जल में मिलाकर सोने से दो घंटे पहले देना फायदेमंद होता है। इस प्रयोग को 2-3 दिनों तक करने से कब्ज की समस्या दूर होती है तथा पेट साफ़ रहता है।
वीर्य में शुक्राणुओं की कमी सन्तान होने में बाधक होती है। शुक्राणुओं की वृद्धि एवं पुष्टि करने हेतु ब्राह्मी के पंचांग की 10 ग्राम मात्रा को दूध और मिश्री के साथ नित्य कुछ दिनों तक लेने से लाभ होता है। इस प्रयोग के परिणामस्वरुप वीर्य गाढ़ा भी होता है तथा व्यक्ति में वीर्य को रोकने की क्षमता बढती है।
ब्राह्मी के पंचांग का काढ़ा लेने से वात रोगों में लाभ होता है। इस हेतु ब्राह्मी के 10-20 पत्ते लेकर उन्हें एक गिलास भर जल में इतना उबालें कि जल की मात्रा तीन चौथाई रह जाए। इसे छानकर पीना ही पर्याप्त है। इस प्रयोग को लगातार कुछ दिनों तक करना पड़ता है।