बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम्/Budha Panchavimshatinama Stotram
बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम्/Budha Panchavimshatinama Stotram
बुधो बुद्धिमतां श्रेष्ठो बुद्धिदाता धनप्रदः।
प्रियंगुकुलिकाश्यामः कञ्जनेत्रो मनोहरः॥ १॥
ग्रहोपमो रौहिणेयः नक्षत्रेशो दयाकरः।
विरुद्धकार्यहन्ता सौम्यो बुद्धिविवर्धनः ॥२॥
चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानी ज्ञो ज्ञानिनायकः।
ग्रह्पीडाहरो दारपुत्रधान्यपशुप्रदः ॥३॥
लोकप्रियः सौम्यमूर्तिः गुणदो गुणिवत्सलः।
पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि यः पठेत्॥४॥
स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति।
तद्दिने वा पठेद्यस्तु लभते स मनोगतम् ॥५॥
Budh panchvinshatinama Stotram/बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम्
Budho intellects bestow wisdom Dhanpradah.
Priyangukulikashyam: Kanjnetro Manoharah. 1॥
Grahopmo rouhineyah nakshatrasho dayakarah.
Virudhakaryahanta Soumyo Buddhivivardhan: 2॥
The chandratma who is the knowledgeable person of Vishnu, the knowledgeable one.
Grahpidaharo darputradhanyapashupradah 3 ||
Popular: Soumyamurthy: Gunado Gunivatsalah.
Panchavishtinamani Budhasayatani yaha pathet4॥
Smritiva Budham, always tasya pain, sarva vinyasti.
Taddine wa pathedyastu labhte sa manogtam 5॥
Budh panchvinshatinama Stotram/बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम् विशेषताए:
बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम् के साथ-साथ यदि नव्ग्रह आरती या नव्ग्रह चलीसा का पाठ किया जाए तो, इस स्तोत्रम का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तोत्र का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस अष्टकम का पाठ करे|
इस स्तोत्रम् के पाठ के साथ साथ बुद्ध गुटिका और बुध ग्रह यंत्र का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही देवी की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस बुध पंचविंशति नाम स्तोत्रम् पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|