Calotropis Gigantea Benefits | आर्क के लाभ
Different Names Of Calotropis Gigantea Benefits (आर्क):
- Latin Name: Calotropis Gigantea.
- Kannad: Pakke.
- Family: Asciepiadaceae.
- Arabian: Usher.
- Hindi: Ark, Madar, Arkvan.
- Guajarati: Aarkado.
- Bengali: Aakando.
- Telegu: Gillet Chettu.
- Marathi: Rui.
- Parsee: Kharak.
The plant of Madar (Calotropis Gigantea Benefits) is of two types, one is white Madar and another is Red Madar. White Madar is a rare earth. This is usually available in India but very rare. The red Madar plants have pinkish and bluish lustre. It is available in easily in every place. The height of the plant is 6 to 7 feet, and the scrub is spread all over. Sometimes it is spread more. It has a fat twigs, leaves are like banyan tree leaves and flowers are found in bunches. The seeds are like the seeds of flax. In Vedic scripture Madar (Calotropis Gigantea Benefits) is believed to be divine medicine. Its juice is whitish is too poisonous.
Use as divine Medicine:
In Vedic scripture Madar (Calotropis Gigantea Benefits) is believed to be a divine medicine. If it is mixed with cow milk for 48 hours and massaged on the genetic parts, it can cure the impotency.
Hypnotism through Calotropis Gigantea:
During the Sun Pushya constellation, collect the plant with roots and these roots should be crushed with cow urine and ghee of cow milk and make a paste. By chanting the Ganesha main spell “Om gang ganapataye Namah” 101 times use the paste as punctum. People will be under your influence.
Use of Calotropis Gigantea for protection:
During the Sun Pushya constellation, collect the plant with roots and chant Ganesha main spell “Om gang ganapataye Namah” 1001 times and once held it, you can get rid of evil powers and exorcism.
To Get cured from Haemorrhoid:
On Saturday during Pushya constellation, early in the morning pluck seven leaves from the plant and thereafter after finishing the toilet rub the leaves on the buttock and hole and through them on the south side. Do this Calotropis Gigantea (Calotropis Gigantea Benefits) for 21 days, you will be totally recovered.
For the Recovery of Elephant Foot:
The disease of elephant foot makes the foot and testis swallowed. For the cure
On Sunday at Pushya constellation, roots of the north side grown Madar (Calotropis Gigantea Benefits) tree to be plucked as per the scripture and coiling it with a red string and tying it on the foot will give relief from the disease.
For having off springs :
On Sunday at Pushya constellation, pluck some roots of Madar and immediately after plucking show benzyl smoke to it and recite the Ganapati main spell “Om gang ganapataye Namah” 21000 times and then perform Yajna to sanctify it. Thereafter tie this root on the waste of the woman, she will surely conceive.
For Removing Evil sight from the Children:
If any child is suffering from the evil sight, put a garland of the Madar flower around his /her neck. He/she will get rid of it.
For Protection from Fire:
If the roots of the Madar (Calotropis Gigantea Benefits) are kept with anybody duly sanctified, there will be no chance for fire accident for the person.
For Delaying in Ejaculation:
On Sunday at Pushya constellation pluck the roots of the Madar tree (Calotropis Gigantea Benefits) and tie it when you have sex. This will delay the ejaculation.
For keeping the housefly away:
During the Magha constellations pluck some roots and mixing with wood honey if kept into the house or on the field all the pests and rodents also do not come near along with house fly.
For recovering from Fever:
On Sunday at Pushya constellation, if the roots are removed from Madar tree (Calotropis Gigantea Benefits) and if tied with the ear, it will cure from fever. Use it after sanctifying it by Ganesha spell.
To Remove Eye Problems:
If the juice of Madar (Calotropis Gigantea Benefits) is rubbed with cotton to the toes of opposite side of the eyes, it will remove eye problem.
Prediction through Madar:
It is said that when the tree is blossomed, the rate of gold falls.
आर्क के लाभ | Calotropis Gigantea Benefits
आर्क के विभिन्न नाम:
- लैटिन नाम — Calotropis Gigantea
- अरबी — उषर
- गुजराती — आर्कड़ो
- हिंदी — आर्क, आर्क, मदार, आर्कवन
- तेलगु — जिल्लेट चेट्टू
- बंगला — आर्कन्द
- फ़ारसी — खारक
- मराठी — रुई
- कन्नड़ —पक्के
आर्क का पौधा दो प्रकार का होता है, एक श्वेतार्क दूसरा रक्तार्क श्वेत आर्क की प्राप्ति बहुत दुर्लभ है। यह मिलता तो प्राय: भारत के सभी प्रदेशों में है, परन्तु बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। रक्तार्क के पौधे जिनके फूल, गुलाबी, नीली आभा लिए होते है। वह हर स्थान पर सुलभ और आसानी से मिल जाते है। इस पौधे की ऊँचाई 6-7 फुट, और झाड 4-5 फुट, सब तरफ फैला होता है। कहीं कहीं इसका विस्तार इससे भी अधिक होता है। इसकी मोटी टहनियां, बरगद के पेड़ जैसे पत्ते, गुच्छेदार सफेद दूध जैसे फूल और अलसी के बीजों जैसे बीज होते है। आर्क को वैदिक शास्त्र में दिव्य औषधि माना जाता है। इसका दूध सफेद होता है जो बहुत विषैला होता है।
दिव्य औषधि प्रयोग:
वैदिक शास्त्र में श्वेत आर्क को दिव्य औषधि माना जाता है। उदाहरण के लिए, आर्क के दूध को बारह पहर तक गाय के घी में खरल करना चाहिए। यह घी यदि एक रत्ती लेकर मूत्रेन्द्रिय पर मालिश करें तो हस्त मैथुन द्वारा पैदा नपुंसकता मिट जाती है।
श्वेत आर्क के द्वारा वशीकरण प्रयोग:
रवि पुष्य नक्षत्र में, श्वेत आर्क की जड़ विधि सहित प्राप्त करें, इस जड़ को गोरोचन तथा गाय के घी के साथ पीसकर, लेप तैयार करे, इस लेप को गणपति के मूल मन्त्र (ॐ गं गणपतये नमः) के द्वारा 101 बार अभिमंत्रित कर, तिलक लगाने से त्रिलोक वश में हो जाता है।
रक्षा के लिए श्वेत आर्क का प्रयोग:
रवि पुष्य नक्षत्र में सफेद आर्क की जड़ गणपति के मूल मन्त्र (ॐ गं गणपतये नमः) से 1001 बार अभिमंत्रित करके धारण करने से भूत प्रेत जिन्न आदि से रक्षा होती है। यह सिद्ध प्रयोग है।
श्वेत आर्क का पौधा विधि पूर्वक, घर के द्वार पर लगाने से घर पर किसी भी प्रकार का तांत्रिक प्रयोग काम नहीं करता। इस तरह प्रयोग करने से घर व घर के लोग सुरक्षित रहते है।
बवासीर दूर करने के लिए:
शनिवार पुष्य नक्षत्र को प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व, आर्क के सात पत्ते तोड़ लाएं और शौच क्रिया से निवृत्त होकर, गुदा को जल से धोकर, एक-एक पत्ते से क्रमशः गुदा को रगड़ या पोंछकर, अपने शरीर के दक्षिण दिशा की ओर इन पत्तों को फेंकते जाए। इसी क्रिया को 21 दिन तक करें तो, बवासीर की जलन तथा सूजन आदि सभी कष्ट दूर हो जाते है।
फील पाँव को नष्ट करने के लिए:
फील पाँव का रोग अंडकोष से होकर पैरों को सुजाकर मोटा कर देता है। फील पाँव को दूर करने के लिए यह प्रयोग करें।
रविवार पुष्य नक्षत्र में उत्तर दिशा में पैदा हुए श्वेत आर्क के पौधे की जड़ को शास्त्रोक्त विधि अनुसार उखाड़कर, सूती लाल रंग के धागे में लपेटकर, फील पाँव के रोग के स्थान पर धारण करने से फील पाँव शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
श्वेत आर्क से सन्तान प्राप्ति के लिए प्रयोग:
श्वेत आर्क (Calotropis Gigantea Benefits)की जड़ रवि पुष्य नक्षत्र में विधि सहित प्राप्त करें, फिर उसी समय इस जड़ को साफ़ करके धूप आदि देकर गणपति के मूल मन्त्र (ॐ गं गणपतये नमः) से 21000 बार जप करके अभिमंत्रित कर, हवन आदि करें, तो यह जड़ सिद्ध हो जाती है। फिर इस जड़ को बाँझ स्त्री की कमर में बाँध देने से सन्तान की प्राप्ति होती है।
श्वेत आर्क नजर दूर करने के लिए:
जब किसी बच्चे को नजर लगी हो तो उसे दूर करने के लिए, उस बच्चे को श्वेत आर्क की माला बनाकर पहनाने पर नजर का कुप्रभाव समाप्त हो जाता है।
अग्नि दुर्घटना दूर करने के लिए:
श्वेत आर्क की जड़ गणपति के मूल मन्त्र (ॐ गं गणपतये नमः) से अभिमंत्रित करके अपने पास रखने से अग्नि से दुर्घटना की आशंका नहीं रहती।
श्वेत आर्क से वीर्य स्तम्भन:
श्वेत आर्क की जड़ रवि पुष्य योग में प्राप्त करके, गणपति जी के मूल मन्त्र से अभिमंत्रित करके कमर में बाँध कर सम्भोग करने से वीर्य स्तम्भन होता है।
श्वेत आर्क मक्खियों को दूर करने के लिए:
माघ नक्षत्र में श्वेत आर्क की जड़ को लाकर, यष्टि मधु के साथ मिलाकर, घर या खेत में रख देने से, शस्य नाशक हर तरह की मक्खियों और चूहों आदि का मुख बंधन हो जाता है।
ज्वर नाश के लिए:
रवि पुष्य योग में आर्क की जड़ उखाड़कर कान में बाँधने से, अनेक प्रकार के ज्वरों का नाश होता है। यह प्रयोग प्रात: काल के समय बिना किसी व्यक्ति के टोके करें। इस प्रयोग में जड़ को गणपति के मूल मन्त्र (ॐ गं गणपतये नमः) से अभिमंत्रित कर, प्रयोग करें।
नेत्र रोग दूर करने के लिए:
जिस नेत्र में पीड़ा हो, उसके विपरीत पैर के अंगूठे पर श्वेत आर्क के दूध में रखे हुए रुई का फाया रखने से नेत्र पीड़ा दूर होती है।
आर्क से भविष्यवाणी:
जब आर्क के वृक्ष पर पुष्प अधिक आते है, तब सोने की कीमत में कमी आती है।