Clerodendrum Phlomidis Benefits | अरणी के लाभ
Different Names of Clerodendrum Phlomidis Benefits (अरणी):
- Sanskrit — Agnimanth joy, Shreeparni, Manikarika, Jya, Jayanti, Tarkari, Naadeyi, Vaijayantika.
- Hindi — Arni, Arani, Ganiyari, Agethu.
- Bengali — Ganir, Aagganto.
- Marathi — Thor, Arena.
- Gujarati — Arani.
- Kannad — Naruval.
- Telugu — Nelichematt.
Brief introduction of Clerodendrum Phlomidis:
It is a famous tree. Everywhere it is found. The tree of this is too tall. The leaves are almost round but from one side it is coniferous and soft. The flowers are white and grow in branch. A sweet smell is depicted by the flowers. During the spring season, the flowers blossom. After some days small fruits like gooseberry grows in it. The wood of it is usually hollow. If two twigs of this tree are rubbed, it generates fire. Hence it is also called Agnimanth. It is one of the main medicinal plant among ten main plants. There is a typical quality of providing heat is found in this tree.
Religious Importance of Clerodendrum Phlomidis:
The religious and astrological importance of this tree is in numbers. It cures many a diseases and problems.
In an auspicious period take out a twig of this tree measuring about six finger span. In the house pour it in the pure ghee. Thereafter burning an aroma stick and tying it in a red cloth tied with seven colored thread hang it on the South East corner of the house. Doing this will enable the kitchen to prosper. The food made there are always delicious and the person taken food from that kitchen gets cured from the prevailing disease.
If the woods of this tree is poured in ghee and honey and made a Yajna, the house members will remain happy. The ashes of this Yajna is to be thrown out in flowing waters and if not possible leave it under a Pipal tree and sprinkle some water on it.
The following table (Talisman) can give relief to many problems. One can get relief from the enemies who are scaring you and pushing for a loss. The table should be made with black ink and pen. Seat on a woollen seat facing west. Before writing, keep cardamom into the mouth and pray your deity and thereafter start writing. Then burn aroma sticks and offer the god this table praying for the solution of the problems. If any enemy has done something wrong, pray for the relief from that problem. Fold the paper in 4 way and wrap a black thread above it. With the help of that thread, hang the same on an Arni tree. The man will be relieved from the problem.
The Astrological Importance of Clerodendrum Phlomidis:
The pains and problems due to the moon can be eradicated if the twig of the tree is kept along.
The Archaeological Importance of Clerodendrum Phlomidis:
Never sow an Arni tree (Clerodendrum Phlomidis Benefits) inside the boundary of the house. It is most inauspicious.
Medicinal Importance of Clerodendrum Phlomidis Benefits:
- In the post delivery stage, the juice of this Clerodendrum Phlomidis (Clerodendrum Phlomidis Benefits) roots is also given to the mother along with 9 other roots.
- Clerodendrum Phlomidis (Clerodendrum Phlomidis Benefits) enhances the energy in the body. Hence the weak person can have the crush of it.
- If the juice of the flower of this tree is applied on the forehead, it energizes the man in getting wisdom.
- If the person is suffering from throat disorder, one should gargle with the juice of the roots to remove the disease.
- If the paste of the leaves is applied on the sprain, the pain is removed.
- If the juice of its leaves is taken two teaspoon full daily, diabetes is controlled.
- If the juice of the roots are taken daily, obesity will be controlled.
- The roots of this tree if crushed and the paste is applied on the face, it will remove the black spots from the face.
अरणी के लाभ | Clerodendrum Phlomidis Benefits
अरणी के विभिन्न नाम:
- संस्कृत — अग्निमंथ जय, श्रीपर्णी, गणिकारिका, ज्या, जयन्ती, तर्कारी, नादेयी, वैजयन्तिका,
- हिन्दी — अरनी, अरणी, गनियारी, अगेथू,
- बंगाली — गणिर, आगगन्त,
- मराठी — थोर, अरेण,
- गुजराती — अरणी,
- कन्नड़ — नरुवल,
- तेलुगु — नेलीचेमट्ट,
- अंग्रेजी — Indian fire generator
अरणी का संक्षिप्त परिचय:
अरणी (Clerodendrum Phlomidis Benefits) सर्वज्ञात वृक्ष है। सब जगह पैदा होता है। इसके पेड़ काफी ऊँचे होते हैं। पत्ते गोल-गोल किंचित नुकीले और अत्यन्त कोमल होते हैं। पुष्प सफेद तथा गुच्छेदार होते हैं। इनमें बहुत सुगन्ध आती है। बसन्त ऋतु में इन पर पुष्प आते हैं। कुछ दिनों के बाद इन पर छोटे-छोटे करौंदे की तरह फल लग जाते हैं। इसकी लकड़ी में खोखलापन अधिक पाया जाता है। इसकी दो लकड़ियों को रगड़ने से आग निकलती हैं, अत: इसका नाम अग्निमंथ भी है। यह दशमूल की एक प्रधान औषधि है, गर्मी प्रदान करना इसका विशेष लक्षण है।
अरणी का धार्मिक महत्व:
अरणी वृक्ष के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व इस प्रकार है, जो मनुष्य को अनेक प्रकार के रोग एवं समस्याओं से दूर रखने के लिए लाभदायक है।
अरणी की लकड़ी का 6 अंगुल लम्बा टुकड़ा शुभ मुहूर्त में निकाल लें। इसे घर लाकर इस पर थोड़ा सा शुद्ध घी चुपड़ दें। अगरबत्ती का धुआं देकर किसी लाल कपड़े में बांधकर सप्तरंगी धागे से रसोईघर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्वी कोने में) में लटका दें। ऐसा करने से रसोई में समृद्धि बनी रहती है। वहाँ का भोजन स्वाद बनता है तथा उस स्थान पर बनने वाले भोजन को खाने वाले आरोग्य प्राप्त करते हैं।
अरणी (Clerodendrum Phlomidis Benefits) की लकड़ी को घी एवं शहद में भिगोकर दहन करने से उस घर में आनन्द होता है। जलने के पश्चात् बनने वाली राख को जल में प्रवाहित करें। यदि जल में प्रवाहित करने की सुविधा न हो तो इस राख को पीपल वृक्ष के नीचे डालें तथा ऊपर से थोड़ा शीतल जल डाल दें।
आगे दिये गये यंत्र का प्रयोग करके आप अपनी अनेक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इसी यंत्र के माध्यम से आप अपने शत्रुओं के भय से भी मुक्त हो सकते हैं जो समय-समय पर आपको हानि दे रहे हैं। इस यंत्र का लेखन किसी भी कलम से काली स्याही के द्वारा करें। यंत्र लेखन के लिये सफेद कागज का प्रयोग करें। किसी भी शुभ मुहूर्त में यंत्र लेखन की तैयारी करके काले ऊनी आसन पर पश्चिम की तरफ मुख करके बैठ जायें। लेखन से पूर्व मुँह में हरी इलायची डाल लें। धीरे-धीरे इलायची चबाते हुये मानसिक रूप से अपने इष्ट का ध्यान करते हुये यंत्र का लेखन करें।
इसके पश्चात् यंत्र को अगरबत्ती दिखायें। इसके साथ ही आपने अगर अपनी किसी समस्या के समाधान के लिये यंत्र निर्माण किया है तो उस समस्या से मुक्ति के लिये यंत्र से निवेदन करें और अगर किसी शत्रु से परेशान होकर यंत्र निर्माण किया है तो उस शत्रु का नाम बोलकर मुक्ति की प्रार्थना करें। अब यंत्र को चार तह (मोड़े) करें और इसके ऊपर काला धागा लपेट दें। इसी काले धागे के माध्यम से अरणी के झाड़ में इस यंत्र को लटका दें। इसके प्रभाव से समस्या का निवारण शीघ्र हो जाता है। यंत्र –
अरणी का ज्योतिषीय महत्व:
अरणी की लकड़ी को पास में रखने वाले की चन्द्र पीड़ा समाप्त होती है।
अरणी का वास्तु में महत्व:
घर की सीमा में अरणी का वृक्ष शुभ एवं फलदायी नहीं होता। इसलिये इस वृक्ष को घर में कभी न लगायें।
अरणी का औषधीय महत्व:
- प्रसूति के पश्चात प्रसूता की कमजोरी दूर करने हेतु दशमूल काढा दिया जाता है। अरणी उन 10 मूलों में प्रधान है।
- इसके सेवन से शरीर में गर्मी बढती है, अत: ठण्डी प्रक्रति वालों के लिए अरणी (Clerodendrum Phlomidis Benefits) के काढ़े का सेवन लाभदायक है।
- इसके पुष्पों से प्राप्त रस को माथे पर लगाने से मस्तिष्क को ताकत मिलती है।
- इसकी मूल के काढ़े से गरारे करने से गले के रोगों में लाभ होता है।
- इसके पत्तों को पीसकर इसका लेप लगाने से मोच तथा शरीर पीड़ा में लाभ होता है।
- इसके पत्तों का रस नित्य दो चम्मच की मात्रा में लेने से मधुमेह नियंत्रित होता है।
- अरणी (Clerodendrum Phlomidis Benefits) का रस नित्य 2 चम्मच सुबह शाम लेने से मोटापा घटता है।
- इसके पत्तों को उबालकर उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पिलाने से पुराने से पुराना जुकाम ठीक हो जाता है।
- इसकी मूल को जल में घिसकर उसका लेप चेहरे पर करने से चेहरे के काले दाग दूर हो जाते है।