Coral Bead Vine Benefits | श्वेत गुंजा के लाभ
Different Names of Coral Bead Vine Benefits (श्वेत गुंजा):
- Sanskrit– Goonja , Raktika
- Punjabi – Ratti, Laldee
- Hindi – Ghungchi,
- Malayalam – Kunchi
- Bengali – Kunch
- Parsee – Surkh Chasamkharos
- Marathi – Gunch
- Latin – Abrus Precatorius
Brief Description of Coral Bead Vine:
White bead Vine (Coral Bead Vine Benefits) known commonly as jequirity is a slender, perennial climber that twines around trees, shrubs, and hedges. It is a legume with long, pinnate-leafleted leaves. The plant is best known for its seeds, which are used as beads and in percussion instruments, and which are toxic because of the presence of abrin. Ingestion of a single seed, well chewed, can be fatal to both adults and children. The Coral Bead Vine (Coral Bead Vine Benefits) plant is native to India and grows in tropical and subtropical areas of the world where it has been introduced. It has a tendency to become weedy and invasive where it has been introduced.
Religious use of Coral Bead Vine:
White bead vine (Coral Bead Vine Benefits) has a religious importance. The seeds are used for the fulfilment of desire. The roots are also used in religious performances. The person who trusts on this act are always benefited. Basically Roots and beads are the most significant parts. Some of the usefulness of the above two is given here under.
One day prior to Ravi Pushya or Guru Pushya constellation, water this plant and pray the tree after burning an aggarbatti and resolute that your work becomes successful. Next day again water the plant burn aggarbatti and take out the root with the help of a wooden stick during sunrise and by keeping silence bring it home.
Thereafter wash it with water of Ganges. Sit on a woollen mattress facing east or north. Take a wooden stool cover it by a red cloth and put the root on it. Show a lit aggarbatti to it and chant the spell of your own deity for one rosary. Coral Bead Vine (Coral Bead Vine Benefits) will remove the obstacles for which your business is being affected. Moreover your debts will be finished. After sanctifying the root, keep the root wrapped by the red cloth in your chest. Money will start flowing in.
If the root is crushed and made paste by a virgin girl and that paste is used as punctum, he will never fail in any work, and get respect from others.
The piece of root if crushed with goat milk and rubbed with the palms, the man becomes intelligent and his memory becomes sharp.
Astrological significance of Coral Bead Vine:
- For deflexion the roots of red White bead if planted on Tuesday or Saturday in the courtyard of the house, the position of the residents will be elevated.
- For immediate delivery of a woman under matured pregnancy if the roots of the red White vine (Coral Bead Vine Benefits)are tied around the waist of the woman, delivery will be earlier.
- If the seed of this Coral Bead Vine (Coral Bead Vine Benefits) tree which is formed on the north side is tied in the hair of the pregnant lady, delivery will be earlier and without complications..
- If all the three types of seeds ten each are kept in the pockets, Goddess Laxmi will remain forever. Moreover his attraction is enhanced and no sorcery can affect him.
- The person keeps 10 seeds each of three types of seeds; malefic effects of Navgrah will be eradicated.
- If 11 seeds of black White vine is kept it the pocket, the malefic effect of Saturn is removed.
Vaastu significance of Coral Bead Vine:
It is auspicious to have a White bead vine (Coral Bead Vine Benefits) in the house. If it is in the eastern or northern side of the house, it gives positive results. The house wherein this grows, it gives the prosperity.
Medicinal significance of Coral Bead Vine Benefits:
- This has poisonous seeds which are red in color but white seeds are also found. The other parts of the plant are used for various medicinal purposes. The leaf acts as an aid for body inflammation and wounds.
- The grinder seeds in rice water help to treat premature hair loss and skin imperfection.
- Leaves are used on gum for the mouth sores and to prepare the preparations of skin cancer.
- The tea made from leaves is a cure for colds, fevers and coughs.
- In Ayurveda, the plant is used to promote hair growth.
- Coral Bead Vine (Coral Bead Vine Benefits) is also used as ingredient in the Indian hair product.
- The water extract made from dried roots and leaves is used for eye ailments.
- In Ayurvedic medicine, Coral Bead Vine seeds are used as abortifacient.
- The decoction made from dried seeds helps to promote abortion.
श्वेत गुंजा के लाभ | Coral Bead Vine Benefits
श्वेत गुंजा के विभिन्न नाम:
- संस्कृत – गुंजा, रक्तिका, काकणन्ती, काम्बोजी
- हिंदी – घुंगची, घूंची, घुमची, गूंच
- बंगाली – कुंचा
- मराठी – गुंच
- गुजराती – चणोठी
- पंजाबी– रत्ती, लालड़ी
- मलयालम – कुंची
- फ़ारसी – सुर्ख, चश्मखरोश
- अंग्रेजी – Indian or Wild Liquorice
- लेटिन – Abrus Precatorius
श्वेत गुंजा का संक्षिप्त परिचय:
यह एक लम्बी लता का पौधा है। इसका तना पतला, गोल एवं हरा होता है। इसकी पत्तियां मिली हुई इमली के समान होती है। जिसके दोनों ओर 10 से 20 जोड़ी छोटी छोटी पत्तियां लगी होती है। यह पत्तियां स्वाद में मीठी होती है, इन्हें खाने से गला साफ़ होता है, पुराने जमाने में गायक इन पत्तियों को खाकर गायकी किया करते थे। सितम्बर अक्टूबर के मध्य इसमें पुष्प लगते है। पुष्प गुलाबी अथवा सफेद होते है। इसके फल फलीदार होते है। प्रत्येक फली में अनेक बीज होते है। ये बीज गोल, चिकने, लाल तथा सफेद होते है। प्रत्येक बीज का वजन हमेशा एक रत्ती होता है। इसलिए अति प्राचीन काल से इन बीजों का प्रयोग सोना तोलने हेतु किया जाता रहा है। इस विशेषता के कारण इन्हें रत्ती के बीज कहा जाता है।
श्वेत गुंजा का धार्मिक प्रयोग:
गुंजा का धार्मिक रूप से बहुत अधिक महत्व है। अपनी समस्याओं के समाधान तथा कामनाओं की पूर्ति के लिए किए जाने वाले उपायों में इसके बीजों का अधिक प्रयोग किया जाता है। इसके साथ साथ इसकी जड़ का भी अनेक धार्मिक कार्यो एवं उपायों के लिए प्रयोग किया जाता है। जो व्यक्ति इन उपायों का विश्वास के साथ प्रयोग करता है, उसे अवश्य लाभ की प्राप्ति होती है। मूल रूप से गुंजा (Coral Bead Vine Benefits) की जड़ एवं बीज को अत्यंत चमत्कारिक प्रभाव देने वाली माना गया है। इसलिए यहाँ पर इसकी जड़ तथा बीजों के कुछ उपयोगी उपाय दिए जा रहे है –
गुरु पुष्य अथवा रवि पुष्य योग में गुंजा की मूल को एक दिन पूर्व निमन्त्रण देकर, दूसरे दिन सूर्योदय के समय निकालकर मौन रहते हुए घर ले आयें। इसे निमन्त्रण देने हेतु जाकर जल चढाएं, कुछ पीले चावल डालें, दो अगरबत्ती लगायें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि हे माता, मैं कल प्रात: आपको मेरे साथ घर ले जाऊँगा। आप मेरे कल्याणकारी कार्यो को सिद्ध करें। दूसरे दिन प्रात: पुन: ऊपर लिखे अनुसार जल चढाएं, अगरबत्ती लगाएं और फिर जड़ को किसी लकड़ी के औजार से धीरे धीरे खोदकर प्राप्त कर लें। मौन रखते हुए इसे घर ले आयें। घर आकर शुद्ध जल अथवा गंगाजल से इसे स्वच्छ कर पौंछ लें। पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर ऊनी अथवा सूती आसन पर बैठ जाएँ। अपने सामने एक बाजोट अथवा पाटा रखें। उसके ऊपर स्वच्छ लाल वस्त्र बिछाएं। उसके ऊपर इस जड़ को स्थान दें।
अगर सम्भव हो तो बाजोट पर पहले गेहूं की छोटी ढेरी बनाएं और उसके ऊपर जड़ को स्थापित करें। इसके पश्चात जड़ को अगरबत्ती अर्पित करें। तत्पश्चात अपने इष्ट के किसी भी मन्त्र का एक माला जप करें। जप के बाद प्रणाम करें और आवश्यकतानुसार जड़ का प्रयोग करें। इस प्रकार से सिद्ध की गई मूल अत्यंत प्रभावी होती है। मुख्य रूप से यह प्रयोग धनाभाव की स्थिति को दूर करने के लिए किया जाता है। इसलिए जिन व्यक्तियों पर कर्ज अधिक है और वह उतर नहीं रहा अथवा जिन लोगों का अपना व्यवसाय है किन्तु कुछ प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष कारणों से लाभ कम तथा हानि अधिक हो रही है, वे यह प्रयोग अवश्य करें।
जड़ को सिद्ध करने के पश्चात इसे लाल रंग के नए वस्त्र में रखकर अपने धन रखने के स्थान पर अथवा अपने गल्ले आदि में रख दें। प्रभु कृपा से शीघ्र ही धनागमन में जो बाधाएं आ रही थी, वे धीरे धीरे दूर होंगी और इसी के साथ आपकी धन सम्बन्धी समस्याएं भी समाप्त होने लगेंगी।
इस जड़ के एक छोटे से टुकड़े को किसी कुंआरी कन्या से गंगाजल अथवा किसी कुएं के स्वच्छ जल में घिसवा लें। इस घिसे हुए जड़ के पेस्ट से तिलक लगाकर जो व्यक्ति जिस कार्य हेतु जाता है, उसका वह कार्य सिद्ध होता है। इसके साथ ही उसे काफी सम्मान भी प्राप्त होता है।
इस मूल के एक टुकड़े को बकरी के दूध में घिसकर लेप बना लें और इस लेप को नित्य कुछ दिनों तक हथेलियों पर मलें। ऐसा करने वाले व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है तथा उसकी स्मृति में तेजी से वृद्धि होती है।
श्वेत गुंजा का ज्योतिषीय महत्व:
- उच्चाटन के लिए लाल रत्ती की जड़ तथा इसका पौधा मंगलवार या शनिवार के दिन जिसके आंगन में लगा दिया जाए तो शीघ्र ही उस आंगन के निवासियों का उच्चाटन होगा।
- प्रसव के लिए लाल रत्ती की जड़ को खोदकर लाएं और गर्भिणी नारी के कमर में बाँध दें तो तत्काल प्रसव होगा।
- रत्ती की बेल के उत्तर दिशा में लगे फल लेकर गर्भिणी नारी के केशों में बाँधने से सुख से प्रसव होता है।
- पुष्य नक्षत्र युक्त रविवार को गुंजा (Coral Bead Vine Benefits) फल के पौधे की जड़ लाकर, नील सूत से एक को कमर में और दूसरी जड़ को सिर में बाँध देने से तत्काल प्रसव हो जाता है।
- गुंजा के सुंदर चमकदार लाल अथवा सफेद रंग के बीज फलियों में से निकलते है। लाल प्रकार के बीजों को किसी डिब्बी में कुछ दिनों तक बंद रखे जाने पर वे काले हो जाते है।
- जिन व्यक्तियों को मंगलदोष हो उन्हें लाल गुंजा के 21 बीजों को हर समय जेब में रखने से लाभ होता है। सफेद गुंजा के सात बीजों को जेब में रखने वाला चन्द्र पीड़ा से मुक्त रहता है जबकि काली गुंजा के 11 बीजों को जेब में रखने से शनि का कष्ट दूर होता है। तीनों ही प्रकार के 10-10 बीजों को जेब में रखने वाले को लक्ष्मी प्राप्त होती है, उसके आकर्षण एवं अधिकारों में वृद्धि होती है। उस पर जादू टोने आसानी से प्रभाव नहीं डाल पाते।
- श्वेत गुंजा (Coral Bead Vine Benefits) के 7 बीजों के उपरोक्तानुसार शर्ट में रखने वाला व्यक्ति चन्द्रमा के कुप्रभावों से मुक्त रहता है।
- जो काली गुंजा के 11 बीजों को अपनी शर्ट में रखता है वह शनि ग्रह की पीड़ा से मुक्त रहता है।
- जो व्यक्ति तीनों ही प्रकार के गुंजा के 10 बीजों को अपने पास सदैव रखता है वह नवग्रह पीड़ा से मुक्त रहता है।
- विष दूर करने के लिए सफ़ेद रत्ती की जड़ को पानी में धोकर, उस पानी को विष के रोगी को दें तो विष दूर हो जाता है।
- पुत्र प्राप्ति के लिए सफ़ेद रत्ती की जड़ को कमर में धारण करके भोग करने से पुत्र प्राप्त होता है।
- गुप्त शक्तियों के दर्शन के लिए सफ़ेद रत्ती की जड़ को शहद के साथ पीसकर, अंजन की भांति प्रयोग करने से गुप्त शक्तियों के दर्शन होते है।
- आकर्षण के लिए सफ़ेद रत्ती की जड़ का चन्दन की भांति तिलक करने से आकर्षण होता है।
श्वेत गुंजा का वास्तु में महत्व:
किसी भी प्रकार की गुंजा (Coral Bead Vine Benefits) की लता का घर की सीमा में होना अत्यंत शुभ होता है। इसे घर के पूर्व अथवा उत्तर में लगाने से और भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते है। जिस घर में गुंजा की लताएं पनपती है उस घर की सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। वहां आरोग्य स्थिर रहता है तथा समाज में उस परिवार की प्रतिष्ठा में व्रद्धि होती है।
गुंजा का औषधीय महत्व:
- सफेद दागों की समस्या से अनेक व्यक्ति पीड़ित रहते है। यह सफेद दाग व्यक्ति के सौन्दर्य को समाप्त करके उसमें हीनता की भावना उत्पन्न करते है। इस समस्या से मुक्ति के लिए सफेद दागों पर गुंजा के पत्तों के रस के साथ चित्रक की मूल को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
- दांत के कीड़ों को नष्ट करने हेतु इसकी मूल का प्रयोग दातून की तरह किया जाता है। आप चाहें तो इसका मंजन भी बना सकते है। इसके लिए गुंजा (Coral Bead Vine Benefits) की जड़ प्राप्त कर अच्छी प्रकार से सुखाकर उसका बारीक पाउडर बना लें। इस पाउडर से दांत साफ़ करने से भी दांतों के रोगों में पर्याप्त लाभ प्राप्त होता है।
- इसकी मूल का क्वाथ खांसी में लाभ करता है।
- गुंजा के पत्तों को पीसकर सरसों के तेल में पकाकर सिद्ध कर लें। तत्पश्चात इस तेल का संधिवात में लेप करने से पीड़ा कम होती है।