Crystal Shree Yantra Benefits, स्फटिक श्री यंत्र लाभ

Crystal Shree Yantra Benefits | स्फटिक श्री यंत्र के लाभ

Crystal Shree Yantra Benefits (स्फटिक श्री यंत्र लाभ): Just as the importance of Parad Shivling is important in Shivling, in the form of Sri Yantra, the Crystal Shree Yantra is important, because the crystal stone is of Venus, Lakshmi is called Venus in Indian astrology.

A rhinestone is a shiny stone that looks like a glass, it is found under mountains of snow, the crystal stone is transparent, heavy, and strong and cool in appearance.

Artificial Crystal Shree Yantra:

In the market there is a flood of Crystal Shri Yantra, most of the glass and plastic Shri Yantra are being sold in the name of Sphatik Shree Yantra, so identify when taking the rhinestone Shri Yantra, the rhinestone Shri Yantra is heavy and transparent by weight, it shines in the dark, while plastic and glass Shree Yantra are lightweight.

 Siddha Crystal Shree Yantra Benefits:      

Even after getting the real and good crystal Sri Yantra, the Sphatik Shree Yantra is not completely beneficial, unless the crystal Sri Yantra is awakened, the awakened Shri Yantra is considered to be completely beneficial.

Some people believe that washing the crystal Sri Yantra with raw milk awakens the Sri Yantra, but it is not so, to wake up the crystal Sri Yantra, one has to perform Sri Chakra, Srisukta Kriya in Kartik month, which is considered the Beej Mantra of Mahalakshmi. Mantra, then this Shri Yantra is proven to be energized.

Siddha seekers of Astro Mantra have prepared the crystal Sri Yantra (Crystal Shree Yantra Benefits) with such actions, which can be easily received by all.

Crystal Shree Yantra Benefits:

  • Yantra is the king in instruments, if Shree Yantra of the perfect crystal is obtained, then there is no shortage of Shri in life.
  • If the Siddha energized Sphatik Shree Yantra (Crystal Shree Yantra Benefits) is established in the north of the house, then the poverty of the house is destroyed, the grace of Mahalakshmi always remains in the house.
  • If the money does not remain in the house, the crystal Sri Yantra (Crystal Shree Yantra Benefits) must be installed in the house.
  • The establishment of a crystal Shri Yantra in a shop or office greatly benefits in the business.
  • The money trapped in the business is withdrawn by installing the Siddha crystal Shri Yantra at the work place and offering prayers regularly.
  • All the Gods and Goddesses reside in Shri Yantra, so worshiping Shri Yantra destroys the negative energy in the house and elevates all the members of the house.
  • To get rid of debt, you should offer vermilion on the Sphatik Shree Yantra (Crystal Shree Yantra Benefits) for 108 days.

How to awaken Crystal Shree Yantra:

To get the full benefit of the Crystal Shree Yantra (Crystal Shree Yantra Benefits), on any Friday, after a bath, make a swastika out of rice in a plate, install the crystal Shree Yantra in the place of worship, then sit on the red woollen seat, chanting following mantra 108 times, offering 108 Akshata (rice) on the Sri Yantra, by doing so, the Sphatik Shree Yantra (Crystal Shree Yantra Benefits) becomes active, giving full results.

II Om shreen kleen shreen hreen siddh lakshyamayen namah II

।। ॐ श्रीं क्लीं श्रीं ह्रीं सिद्ध लक्ष्यमयें नमः ।।

Crystal Shree Yantra Benefits, स्फटिक श्री यंत्र लाभ

स्फटिक श्री यंत्र के लाभ | Crystal Shree Yantra Benefits

जिस प्रकार शिवलिंगो में पारद शिवलिंग की महत्त्वता है उसी प्रकार श्री यंत्रो में स्फटिक श्री यंत्र का महत्त्व है, क्यूंकि स्फटिक पत्थर शुक्र ग्रह का होता है, भारतीय ज्योतिष में लक्ष्मी को शुक्र ग्रह कहा गया है।

स्फटिक एक चमकीला पत्थर होता है, जो एक दम शीशे की तरह लगता है, यह पत्थर बर्फ के पहाड़ों के नीचे पाया जाता है, स्फटिक पत्थर देखने में पारदर्शी, भारी, मजबूत और ठंडा होता है।

नकली स्फटिक श्री यंत्र:

मार्किट में स्फटिक श्री यंत्र की बाड आ रक्खी है, ज्यदातर स्फटिक श्री के नाम पर कांच और प्लास्टिक बेचा जा रहा है, इसलिए स्फटिक श्री यंत्र लेने पर पहचान करले, स्फटिक श्री यंत्र वजन से भारी और पारदर्शी होता है, यह अँधेरे में चमकता है, जबकि प्लास्टिक और कांच के श्री यंत्र हल्के होते है।

सिद्ध स्फटिक श्री यंत्र के लाभ:

असली और अच्छा स्फटिक श्री यंत्र प्राप्त होने पर भी स्फटिक श्रीयंत्र तब तक पूर्ण लाभकारी नही होता, जब तक की स्फटिक श्री यंत्र को जाग्रत न किया जाए, जाग्रत श्री यंत्र ही पूर्ण लाभकारी माना गया है।

कुछ लोग मानते है, की कच्चे दूध से स्फटिक श्री यंत्र को धोने से श्री यंत्र जाग्रत हो जाता है, पर ऐसा नही है, स्फटिक श्री यंत्र को जाग्रत करने के लिए कार्तिक मास में श्रीचक्र, श्रीसूक्त क्रिया करनी पड़ती है, जो महालक्ष्मी के बीज मन्त्र माने गये है, तब जाकर यह श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठित सिद्ध होता है।

अस्त्रों मंत्रा के सिद्ध साधकों ने इस तरह की क्रियाओं से स्फटिक श्री यंत्र तैयार किया है, जिसका लाभ सभी को आसानी से मिल सके।

स्फटिक श्री यंत्र के लाभ:

  • श्री यंत्र यन्त्रों में राजा है, यदि सिद्ध स्फटिक का श्री यंत्र प्राप्त हो जाए, तो जीवन में किसी प्रकार की कमी नही रहती।
  • सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित स्फटिक श्री यन्त्र यदि घर के उत्तर दिशा में स्थापित किया जाये तो, घर से दरिद्रता का नाश होता है, घर में सदा महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
  • यदि घर में पैसे नही रुकते हो, घर में स्फटिक श्री यंत्र को अवश्य ही स्थापित करना चाहियें।
  • दुकान या ऑफिस में स्‍फटिक श्री यंत्र की स्‍थापना करने से व्यापार में बहुत लाभ होता है।
  • सिद्ध स्फटिक श्री यंत्र को कार्यस्थल पर स्थापित करने और नियमित रूप से पूजा अर्चना करने से व्यापार में फंसा हुआ पैसा वापिस निकलता है।
  • श्री यंत्र में सभी देवी देवताओं का वास होता है, इसलिए श्री यंत्र की पूजा करने से घर में नकारात्मक उर्जा नष्ट होती है और घर के सभी सदस्यों की उन्नति होती है।
  • कर्ज मुक्ति के लिए स्फटिक श्री यंत्र पर 108 दिन तक सिंदूर अर्पित करना चाहियें।

स्फटिक श्री यंत्र कैसे जाग्रत करे?                      

स्फटिक श्री यंत्र का पूर्णरूप से लाभ प्राप्त करने के लिए, किसी भी शुक्रवार के दिन प्रात काल: स्नान करने के बाद, एक थाली में चावल से स्वस्तिक बनाकर, स्फटिक श्री यंत्र को पूजा स्थान में स्थापित करे, फिर लाल ऊनि आसन पर बैठकर निम्न मन्त्र 108 बार बोलते हुए, श्री यंत्र पर 108 अक्षत(चावल) चढ़ाये ऐसा करने से स्फटिक श्री यंत्र एक्टिव हो जाता है, और अपना पूर्ण फल देने लग जाता है।

।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्यमयें नमः ।।