Dhanurasana Benefits, धनुरासन

Dhanurasana Benefits | धनुरासन के लाभ

Method of Dhanurasana Benefits (धनुरासन): Lie down facing the ceiling. Alter that keep your palm on the ground near thigh. Join both the legs.  Gradually lift the legs and place those backward so that legs touch the ground. Hold the toes. The body from the legs to thigh and fingers of hands from shoulder should be straight. Keep this position as long as possible. Leave the toes and put the palm on the floor. Bring back the legs in position.

Note: Applying jerks or doing the Dhanurasana  hurriedly is harmful.

Dhanurasana Benefits:

  • Dhanurasana makes the backbone flexible which enables the person healthy and live long.
  • Blood circulation is properly regulated.
  • Removes the belly fats. Protects stomach ailments.
  • It is helpful in passing stool.
  • Dhanurasana (Dhanurasana Benefits) eases the rheumatism problems.
  • If practised daily this asana, digestion system improves.
  • It energizes the joints.
  • Dhanurasana removes the extra fats of hip.
  • In women menstrual problems removed and the problems in sex organs.

Dhanurasana Benefits, धनुरासन

धनुरासन के लाभ | Dhanurasana Benefits

धनुरासन विधि: जमीन पर पीठ के बल लेटकर हाथों की हथेलियों को पलटकर दोनों जंघाओं के निकट जमीन पर लगाकर दोनों पैरों को आपस में मिलाओ फिर धीरे धीरे पैरों को ऊपर की ओर उठाकर पीछे ले जाओ ताकि दोनों पंजे सिर के पीछे जमीन को स्पर्श करें फिर हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ लो और जंघा से पैर तक का भाग और स्कन्ध से हाथों की अँगुलियों तक का भाग बिल्कुल सीधा रहें, जितनी देर तक सम्भव हो, रोको फिर दोनों हाथों से पैरों को छोड़कर हथेलियाँ जमीन से टिका दें। धीरे धीरे पैरों को पहले वाली स्थिति में ले जाओ।

नोट: इस आसन को झटके से या जल्दी जल्दी करना हानिकारक है।

धनुरासन के लाभ:

  • सारे शरीर, विशेष कर रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, जिससे व्यक्ति निरोग, स्वस्थ और लम्बी आयु वाला होता है।
  • रक्त संचार को ठीक करता है।
  • बढ़े हुए पेट की फ़ालतू चर्बी को घटाने के लिए अति उत्तम है। उदर रोगों का दमन करता है।
  • यह धनुरासन (Dhanurasana Benefits) मल निष्कासन में सहायक है।
  • यह आसन गठिया, वात रोग में सहायक होता है।
  • प्रति दिन कम से कम 5 मिनट यह धनुरासन करने से पाचन विकार तथा वायु विकार दूर होते है। पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
  • यह धनुरासन शरीर के जोड़ों को पुष्ट तथा सक्रिय बनाता है।
  • नितम्ब की फ़ालतू चर्बी को कम करता है।
  • मेरुदण्ड में लचक उत्पन्न करता है। गर्दन, छाती, फेफड़े आदि को पुष्ट तथा क्रियाशील बना देता है।
  • महिलाओं के प्रजनन अंग तथा मासिक धर्म सम्बन्धी विकार दूर करता है।