Garbhasana Benefits | गर्भासन के लाभ
Method of Garbhasana Benefits (गर्भासन): Sit in the position of Padmasana. Put your hand between the calves and thighs. Slowly enter the hands more so that elbows comes out from the calves. Lift the knees as much as possible and try to bring near the shoulder. Hold your neck easily and remain in this position for few minutes.
Garbhasana Benefits:
- By this Garbhasana the look of a person becomes graceful because by this act the Carbon-di-oxide is removed from the body and takes much oxygen.
- This asana is beneficial for women and men both. The Garbhasana is little difficult but it has qualities of hundreds of Asanas.
- This Garbhasana gives a lot of strength and power in the body. He or she looks like the half of the age. Old age comes slowly.
- Girls around 14 years of age must do this Garbhasana (Garbhasana Benefits) to avoid the diseases related to ovary. If pregnant woman does this asana, she does not get the delivery pain. After the 40 days of delivery, the woman if does this asana, she will get a good figure back and this will enhance her power.
- Women must do this Garbhasana (Garbhasana Benefits) whether married or not because it protects the ovary from infections.
गर्भासन के लाभ | Garbhasana Benefits
गर्भासन विधि: पदमासन लगाकर जमीन पर बैठ जाओ अर्थात बाएं पैर की एड़ी को दाईं जंघा पर तथा दाएं पैर की एड़ी को बाईं जंघा पर लाओ। जंघाओं तथा पिंडलियों के मध्य हाथों को धीरे धीरे रखो फिर उनको धीरे धीरे इतना बाहर निकालो ताकि कोहनियाँ जंघाओं तथा पिंडलियों से बाहर आ जाएं फिर घुटनों को जहां तक सम्भव हो, ऊपर उठाओ और स्कन्ध के निकट लाने का यत्न करो तथा गले को हाथों से सुगमता से पकड़ो। जब तक हो सके इस स्थिति में रहो।
गर्भासन के लाभ:
- इस गर्भासन द्वारा मनुष्य का चेहरा कान्तिमान तथा शरीर सुंदर बनता है क्योंकि इसके द्वारा शरीर के भीतर इकट्ठी हुई कार्बन – डाई – आक्ससाइड निकल जाती है तथा शरीर अधिक मात्रा में आक्सीजन ग्रहण करता है।
- यह गर्भासन पुरुषों तथा स्त्रियों – दोनों के लिए लाभदायक है। यद्यपि यह आसन कुछ कठिन है परन्तु इसमें सैंकड़ों आसनों के गुण है।
- यह गर्भासन शरीर के विभिन्न अंगों को असीम बल तथा स्फूर्ति देता है। व्यक्ति अपनी आयु से आधी आयु का लगता है। बुढापा शीघ्र नहीं आता।
- लडकियों को 14 वर्ष की आयु से इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए ताकि उन्हें गर्भाशय जनित किसी प्रकार का रोग न हो। यह गर्भासन शिशु उत्पन्न होने से पहले करते रहने से प्रसव वेदना नहीं होती। शिशु उत्पन्न होने के 40 दिन पश्चात इस आसन को आरम्भ करके नियमित तीन मास तक करने से शरीर की सुन्दरता और शक्ति लौट आती है।
- यह गर्भासन प्रत्येक स्त्री को प्रतिदिन करना चाहिए चाहे वह सन्तान की इच्छुक हो या न हो क्योंकि स्त्रियों का स्वास्थ्य स्वस्थ गर्भाशय पर निर्भर करता है।