Garud Tree Benefits | गरुड़ वृक्ष के लाभ
Other Names of Garud Tree Benefits (गरुड़ वृक्ष):
- Hindi — Garuda Vriksh
- Gujarati — Sapolo
- Latin — Radermachera Xylocarpa
Brief Description of Garud Tree:
This Garud Tree (Garud Tree Benefits) tree is a huge tree. It is usually grown in Madhya Pradesh, Gujarat, Rajasthan, Himachal, Kerala, Tamilnadu etc. in hilly areas and deep forests. This tree is too high and the stem is woody and hard. The branches grow at the top side of the tree. Leaves are usually joined. In one twig three leaves grow like wood apple leaves. The flowers are having scattered petals and looks like bells. The pods which are actually fruits are about one metre in length.
It looks like snake and a little flat. Inside the fruit white hard pulp is there. Around the seeds a transparent membrane has covered it which looks like the slough. The fruits are of chocolate colour. The speciality of this tree is if a piece of wood of it is placed before a snake, the snake becomes timid and not moves at all. Wherever this tree is found, around 100 square metres around it no snake can be visible. If it reaches near the tree it dies.
Religious Importance of Garud Tree:
- The person who keeps the pod of this tree in his bed room, there will be no nightmare for him. He or she will not dream of snakes.
- A punctum of vermillion and rice if made on a pod and kept it into the cash chest, it will enhance the wealth in the chest.
- This Garud Tree (Garud Tree Benefits) tree saves the people from the snake because wherever the tree is there, no snake comes nearby.
Astrological Importance of the Garud Tree:
The person who is suffering from Kaalsarp Dosha, a pod of this tree if kept in his bed room, it will be beneficial for him. Due to the effect of this wood The Kaalsarp Dosha is removed gradually. The person who keep a wood of this tree in water and takes bathe with that, he is also relieved from Sarp Dosha.
Vaastu Importance of Garud Tree:
This Garud tree is auspicious if it is grown in the west, south-west and south direction of the house.
गरुड़ वृक्ष के लाभ | Garud Tree Benefits
गरुड़ वृक्ष के विभिन्न नाम:
- हिन्दी में— गरुड़ वृक्ष,
- गुजराती में— सपोलो,
- अंग्रेजी में— Indian snake tree
- लेटिन में— राडरमचेरा झायलोकारपा (Radermachera xylocarpa)
गरुड़ वृक्ष का संक्षिप्त परिचय:
गरुड़ वृक्ष एक विशाल जाति का वृक्ष होता है। यह मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल, केरल, तमिलनाडु इत्यादि राज्यों में पहाड़ी इलाकों के घने जंगलों में कहीं-कहीं पाया जाता है। यह वृक्ष पर्याप्त ऊँचा होता है, इसका तना कठोर लकड़ी वाला होता है। तने पर कुछ ऊपर की ओर से शाखायें निकलती हैं। पत्तियाँ संयुक्त प्रकार की होती हैं। एक डण्डी पर 3 पत्तियाँ लगी होती हैं जैसे कि बेल पत्र लगे होते हैं। पुष्प ऊपर से छितरे-छितरे दलपत्र वाले घण्टी के आकार के होते हैं। इसकी फली जो कि फल होती हैं, एक मीटर या उससे कुछ अधिक तक लम्बी होती है।
यह सर्प के समान कुछ चपटी होती है। फली को चीरने पर इसमें गांठेदार सफेद हड्डी जैसा गूदा होता है। बीजों के ऊपर एक हल्की पारदर्शक पर्त चढ़ी होती है जो कि सर्प की केचुली के समान होती है। फली का रंग हल्का चाकलेटी होता है। इसकी लकड़ी में यह विशेषता है कि यदि सर्प के मुंह के पास इसे रख दें, तो सर्प अपने मुँह को पृथ्वी पर रख देता है, वह चुपचाप बिना किसी हलचल के सुस्त पड़ा रहता है। जहाँ-जहाँ भी यह गरुड़ वृक्ष होता है, वहाँ 100 -100 मीटर तक सर्प नहीं ठहरता है। यदि वह गलती से इस वृक्ष के नीचे पहुँच जाता है तो निश्चय ही उसकी मृत्यु हो जाती है।
गरुड़ वृक्ष का धार्मिक महत्व:
- जो व्यक्ति गरुड़ वृक्ष की सम्पूर्ण फली को अपने शयन कक्ष में रखता है उसे दु:स्वप्न नहीं आते, स्वप्न में सर्प के दर्शन नहीं होते।
- गरुड़ वृक्ष की एक फली पर कंकु-अक्षत का टीका लगाकर धन रखने वाली तिजोरी के पास रखने से या तिजोरी में रखने से धन की वृद्धि होती है।
- इस वृक्ष से मनुष्यों की सर्पों से रक्षा होती है, क्योंकि जिस स्थान पर गरुड़ वृक्ष की फली रखी होती हैं, वहाँ सर्प नहीं फटकते हैं।
गरुड़ वृक्ष का ज्योतिषीय महत्व:
जो व्यक्ति कालसर्प दोष से पीड़ित होता है उसके लिये गरुड़ वृक्ष की फली को उसके शयनकक्ष में रखना परम हितकर होता है। इस फली के प्रभाव से कालसर्प दोष का शनै:शनै: शमन होता है। इसी प्रकार इसके वृक्ष की काष्ठ के एक टुकड़े को जल में डालकर नित्य उससे स्नान करने वाला भी सर्पदोष से मुक्त रहता है।
गरुड़ वृक्ष का वास्तु में महत्व:
घर की सीमा में पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में गरुड़ वृक्ष का होना शुभ होता है।