Golden Dragon Tree Benefits, कनक चम्पा

Golden Dragon Tree Benefits | कनक चम्पा के लाभ

Different Names of Golden Dragon Tree Benefits (कनक चम्पा):

  • Sanskrit — Swarn Champa,Chatravriksh,
  • Bengali — Muchkund Champa,
  • Hindi — Muchkund, Kanak Champa
  • Parsee — Gule Muchkund
  • Marathi — Muchkund
  • Gujarati — Kanak Champo, SonChampo

Brief description of Golden Dragon Tree:

The trees of Golden Dragon (Golden Dragon Tree Benefits) are tall the branches of which are covered with fiber. The leaves are 6 to 15 inches in length and 5 to 10 inches in width. It is smooth in texture and of deep color. The flowers are about 5 to 6 inch in diameter and highly aromatic. The fruits are 4 to 6 inches long and round in shape and sometimes it looks like a pentagon. From inside the fruit is too hard. Outer color is deep grey. The seeds are flat and grey covered with membranes. During the spring season flower starts blooming and during winter fruits are grown.

The Religious use of Golden Dragon Tree:

  • The religious use of this Golden Dragon tree (Golden Dragon Tree Benefits) is too beneficial. According to sages the use of this tree brings the person fortune. He/she is never short of fund. During ancient period, this tree was used mostly by the people and they used to get the benefit of that. In present days also if it is used religiously, it fetches the desired result.
  • For getting the wealth, the use of this tree is verysignificant. The flower which has fallen down naturally from the tree, should be picked without any hesitation and keep it in a glass tumbler or beaker safely. The glass may be kept inside the chest. Doing so the goddess of wealth Laxmi blesses and the person makes money. After one year repeat the same thing and replace the old one. The blessings of goddess Laxmi remains always with him.
  • The person who, during Uttara constellation on anyThursday soaks this flower in ghee and dessert and performs Yajna with that soaked flower, he earns the wealth. He/she prospers in life. If this act is done 4 times in a month, he/she gets the result instantly and peace remains in house.
  • If this flower is used with black sesame and gheefor sacrifice, all the administrative obstacles are eradicated. The incomplete work which remained pending for long are completed.
  • If ants are fed with sugar under a golden dragontree, it will be virtuous for him.
  • If a person sits on a woollen mat, facing northwardduring the Jupiter Pushya constellation and recite the hymns of Kanak Dhara, goddess Laxmi becomes happy with him and he never faces any financial problems ever. He always prospers and opportunities always come to him.

Astrological importance of Kanak Champa:

The person who put some flowers of Kanak Champa(Golden Dragon Tree Benefits) into the water for bath, and takes bath with that water, all the malefic effects of Jupiter is eradicated. This should be done for some days regularly. If not possible daily, do it on every Thursday. But it is only then when the person starts to get relief.

Take some roots of Kanak Champa (Golden Dragon TreeBenefits) in an auspicious moment. Wash it by water of Ganges and sanctify it. Keep it in the place of worship and daily light aroma sticks and thereafter put the same in s talisman wrap that in a yellow cloth and tie it on the right arm. This will keep you blessed by Jupiter.

The persons born with Zodiac sign Aries andSagittarius if circumbulate this tree or touches it, it will be good for him.

The person dreaming of snakes must take seeds ofKanak Champa (Golden Dragon Tree Benefits) put those in a small box and keep it under the pillow; there will be no dream of snake in future.  The person suffering from Kaalsarp Dosha should take some seeds and circumbulate 21 times around him and throw it in the flowing water and feed 2 to 4 poor people. Kaalsarp Dosha will be eradicated.

Importance of Kanak Champa in Vaastu:

It is auspicious to have Kanak Champa (Golden Dragon Tree Benefits) on the boundary of the house. It is more auspicious to have it in south west or west side. On the North West side it is malefic. If per chance it is on the North West side, establish a temple there. All the malefic effects will be removed. There will be peace and prosperity in the house.

Golden Dragon Tree Benefits, कनक चम्पा

कनक चम्पा के लाभ | Golden Dragon Tree Benefits

कनक चम्पा के विभिन्न नाम:

  • संस्कृत — स्वर्ण चम्पा, छत्रवृक्ष
  • हिन्दी — मुचकुन्द, कनकचम्पा
  • मराठी — मुचकुन्द
  • गुजराती — कनकचम्पो, सोनचम्पो
  • बंगाली — मुचकुन्द चांपा, सर्वण चम्पागाछ

कनक चम्पा का संक्षिप्त परिचय:

इस कनक चम्पा के ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष होते हैं, जिनकी कोमल शाखायें रोमावृत्त होती हैं। पत्तियां 6 इंच से 15 इंच लम्बी तथा 5 से 10 इंच चौड़ी, रूपरेखा में गोलाकार होती हैं। बनावट में यह चर्म के समान चिकनी और गाढ़े हरे रंग की होती है। पुष्प बड़े 5 से 6 इंच तक तथा अत्यन्त सुगन्धित होते हैं, और फल 4 से 6 इंच लम्बे, रूपरेखा में लम्बगोल तथा पंचकोणीय होते हैं। यह अंदर से कड़े होते हैं। बाहर की ओर यह गाढ़े भूरे रंग के होते हैं। बीज चपटे तथा भूरे रंग के झिल्लीनुमा पक्षयुक्त होते हैं। बसन्त ऋतु में पुष्प लगते हैं तथा जाड़ों में इनमें फल लगने लगते हैं।

कनक चम्पा का धार्मिक प्रयोग:

  • इसके धार्मिक प्रयोग अत्यन्त ही लाभदायक माने गये हैं। आचार्यों का मत है कि कनक चम्पा के विभिन्न प्रयोगों के पश्चात् व्यक्ति को महालक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है, उसे धन सम्बन्धी परेशानी नहीं आती है। पहले इस प्रकार के प्रयोग आम व्यक्तियों के द्वारा बहुत किये जाते थे और उन्हें इसका लाभ भी मिलता था। आज भी इन उपायों का प्रयोग आस्था एवं विश्वास से किया जाता है तो अवश्य ही वांछित लाभ की प्राप्ति होती है।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के लिये कनक चम्पा के पुष्प काप्रयोग अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं फल देने वाला है। कनक चम्पा का ऐसा पुष्प जो पूरा खिला हुआ हो और स्वत: नीचे गिर जाये, ऐसे किसी भी पुष्प को प्राप्त कर लें। इसमें आप यह विचार नहीं करें कि यह पुष्प नीचे गिरा हुआ है, इसका प्रयोग कैसे किया जाये? आप निश्चिंत होकर इस पुष्प को उठा लें। इसे घर में किसी भी काँच के गिलास या बीकर में सुरक्षित रख लें। चाहें तो इस गिलास को तिजोरी में भी रख सकते हैं। इसे संभाल कर रखने वाले को लक्ष्मी प्राप्त होती है, उसकी उन्नति होती है। एक वर्ष पश्चात् जब पुन: पुष्प आयें, तब पूर्व के रखे पुष्प को हटाकर नया पुष्प लगा दें। लक्ष्मीजी की कृपा हमेशा बनी रहेगी।
  • जो व्यक्ति समस्त उत्तरा नक्षत्रों में से किसी में भी अथवा गुरूवार के दिन कनक चम्पा के पुष्पों को खीर में डुबोकर घी के साथ हवन करता है, उसे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा उसकी सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। यह प्रयोग एक माह में 4 बार करने से बहुत ही जल्दी सकारात्मक एवं वांछित परिणाम दिखाई देते हैं तथा घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
  • कनक चम्पा के पुष्पों को काले तिल, जौ औरघी के साथ मिलाकर हवन करने से प्रशासनिक बाधायें दूर होती हैं। रुके हुये कार्य सम्पन्न होते हैं।
  • कनक चम्पा  के वृक्ष के नीचे चीटियों को शक्करडालने से मन की प्रफुल्लता में वृद्धि होती है एवं पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।
  • गुरु पुष्य योग में कनक चम्पा के वृक्ष के नीचेबैठकर 2 अगरबत्ती लगाकर, उत्तराभिमुख होकर, ऊनी आसन पर बैठकर जो व्यक्ति कनकधारा स्तोत्र का पाठ करता है, उस पर श्रीमहालक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। (कनकधारा स्तोत्र हेतु इसी लेखक एवं प्रकाशन की पुस्तक सुगम साधना देखें) ऐसे व्यक्ति को धन सम्बन्धी समस्यायें कम आती हैं। धन के कारण से कोई काम रुकता नहीं है तथा आगे बढ़ने एवं धन प्राप्ति के नवीन अवसर प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।

कनक चम्पा का ज्योतिषीय महत्व:

जो व्यक्ति कनक चम्पा के एक पुष्प को अपने स्नान के जल में डालकर उस जल से स्नान करता है, उसकी गुरु ग्रह की पीड़ा समाप्त होती है। प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करना पड़ता है। अगर इसमें किसी प्रकार की समस्या आती है तो सप्ताह में एक दिन गुरूवार को यह स्नान अवश्य करें। इसे तब प्रयोग करें जब तक गुरु की पीड़ा शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होने लगे। शुभ मुहूर्त में कनक चम्पा की मूल को पूर्व निमंत्रण देकर निकाल लें।

इस मूल को स्वच्छ जल अथवा गंगाजल से शुद्ध कर लें। फिर पूरी श्रद्धा से अपने पूजास्थल में रखकर अगरबत्ती का धुआं देकर या तो किसी ताबीज में भरकर गले में पहन लें अथवा किसी पीले वस्त्र में बांधकर दाहिनी भुजा में बांध लें। इसके प्रभाव से गुरु ग्रह की प्रसन्नता एवं कृपा प्राप्त होती है। धनु अथवा मीन राशि में जन्मे जातकों को स्वयं के कल्याण हेतु कनक चम्पा का स्पर्श अथवा इसकी परिक्रमा अवश्य करनी चाहिये।

इसलिए जिस व्यक्ति को सर्प के स्वप्न आते हो उसे इन बीजों को एक डिब्बी में लेकर सिरहाने रखकर सोना चाहिए, इससे सर्पों का स्वप्न में दर्शन बंद हो जाता है, जिस व्यक्ति को कालसर्प दोष हो उसे दो बीज अपने ऊपर से 21 बार उसार कर किसी पवित्र नदी में फूल के साथ प्रवाहित कर दे। साथ ही यथाशक्ति 2 से 4 गरीब व्यक्तियों को भोजन करा दें, ऐसा करने से कालसर्प दोष की शान्ति होती है।

कनकचम्पा का वास्तु में महत्व:

घर की सीमा में कनकचम्पा का होना शुभ फलदायी होता है। इस विशाल वृक्ष का नैऋत्य अथवा पश्चिम दिशा में होना शुभ है। ईशान क्षेत्र में यह कुछ नकारात्मक परिणाम देता है। ईशान में इसके होने पर इसके नीचे एक छोटा सा देव स्थान बना देना चाहिये। ऐसा करने से इसका नकारात्मक प्रभाव समाप्त होकर शुभत्व की प्राप्ति होने लगती है। घर में सुख-शांति के साथ-साथ समृद्धि में भी वृद्धि होती है।