Gopal Akshay Kavacham | गोपालाक्षय कवचम्
Gopal Akshay Kavacham (गोपालाक्षय कवचम्) is dedicated to Lord Shri Krishna. It is considered to be the child form of Lord Shri Krishna. The biggest problems from your family start getting resolved by reciting this Gopal Akshay Kavacham. An atmosphere of peace remains in the family, the children of the house progress, there is benefit in children’s education, marriage and progress. If a woman is not able to have the happiness of having a child for a long time. So, reciting Gopal Akshay Kavacham with wearing Santan Gopal Kavach, all the obstacles in achieving the happiness of children seem to be removed.
Childless couples start getting the happiness of having children. The emptiness in their life starts going away, family and marital life starts becoming happy. The seeker and all his family members become protected from evil powers by continuous reciting Gopal Akshay Kavacham. If any seeker wants to keep his children disease free and healthy, then he should recite this Gopal Akshay Kavacham regularly. The seeker gets progress, success, beauty, attraction, love, beauty etc. in life by continuously reciting this kavach.
गोपालाक्षय कवचम् | Gopal Akshay Kavacham
श्री गणेशाय नमः ।
श्रीनारद उवाच ।
इन्द्राद्यमरवर्गेषु ब्रह्मन्यत्परमाऽद्भुतम् ।
अक्षयं कवचं नाम कथयस्व मम प्रभो ॥ १॥
यद्धृत्वाऽऽकर्ण्य वीरस्तु त्रैलोक्य विजयी भवेत् ।
ब्रह्मोवाच ।
शृणु पुत्र मुनिश्रेष्ठ कवचं परमाद्भुतम् ॥ २॥
इन्द्रादिदेववृन्दैश्च नारायणमुखाच्छ्रतम् ।
त्रैलोक्यविजयस्यास्य कवचस्य प्रजापतिः ॥ ३॥
ऋषिश्छन्दो देवता च सदा नारायणः प्रभुः ।
अस्य श्रीत्रैलोक्यविजयाक्षयकवचस्य प्रजापतिऋर्षिः,
अनुष्टुप्छन्दः, श्रीनारायणः परमात्मा देवता,
धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः ।
पादौ रक्षतु गोविन्दो जङ्घे पातु जगत्प्रभुः ॥ ४॥
ऊरू द्वौ केशवः पातु कटी दामोदरस्ततः ।
वदनं श्रीहरिः पातु नाडीदेशं च मेऽच्युतः ॥ ५॥
वामपार्श्वं तथा विष्णुर्दक्षिणं च सुदर्शनः ।
बाहुमूले वासुदेवो हृदयं च जनार्दनः ॥ ६॥
कण्ठं पातु वराहश्च कृष्णश्च मुखमण्डलम् ।
कर्णौ मे माधवः पातु हृषीकेशश्च नासिके ॥ ७॥
नेत्रे नारायणः पातु ललाटं गरुडध्वजः ।
कपोलं केशवः पातु चक्रपाणिः शिरस्तथा ॥ ८॥
प्रभाते माधवः पातु मध्याह्ने मधुसूदनः ।
दिनान्ते दैत्यनाशश्च रात्रौ रक्षतु चन्द्रमाः ॥ ९॥
पूर्वस्यां पुण्डरीकाक्षो वायव्यां च जनार्दनः ।
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम् ॥ १०॥
तव स्नेहान्मयाऽऽख्यातं न वक्तव्यं तु कस्यचित् ।
कवचं धारयेद्यस्तु साधको दक्षिणे भुजे ॥ ११॥
देवा मनुष्या गन्धर्वा यज्ञास्तस्य न संशयः ।
योषिद्वामभुजे चैव पुरुषो दक्षिणे भुजे ॥ १२॥
निभृयात्कवचं पुण्यं सर्वसिद्धियुतो भवेत् ।
कण्ठे यो धारयेदेतत् कवचं मत्स्वरूपिणम् ॥ १३॥
युद्धे जयमवाप्नोति द्यूते वादे च साधकः ।
सर्वथा जयमाप्नोति निश्चितं जन्मजन्मनि ॥ १४॥
अपुत्रो लभते पुत्रं रोगनाशस्तथा भवेत् ।
सर्वतापप्रमुक्तश्च विष्णुलोकं स गच्छति ॥ १५॥
॥ इति ब्रह्मसंहितोक्तं श्री गोपालाक्षय कवचम् सम्पूर्णम् ॥
गोपालाक्षय कवचम् के लाभ:
गोपालाक्षय कवचम् भगवान श्री कृष्ण को समर्पित हैं। गोपाल, भगवान श्री कृष्ण जी का बाल स्वरूप माना गया है, इस गोपालाक्षय कवचम् का पाठ करने से आपके घर परिवार से बड़ी से बड़ी समस्या दूर होने लगती हैं। घर परिवार में शांति का वातावरण बना रहता है। घर के बच्चों की उन्नति होती है, बच्चों की शिक्षा, विवाह कार्य, उन्नति में लाभ होता है। यदि कोई महिला लम्बे समय से संतान का सुख नही प्राप्त कर पा रही हैं, तो गोपालाक्षय कवचम् का पाठ करने के साथ संतान गोपाल कवच धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति में आ रही सम्पूर्ण बाधाएँ दूर होंने लगती हैं।
नि:संतान दम्पतियों को संतान सुख प्राप्त होने लगता हैं। उनके जीवन का खालीपन दूर होने लगता है, पारिवारिक और वैवाहिक जीवन सुखी बनने लगता हैं। गोपालाक्षय कवचम् का नित्य पाठ करने से साधक तथा उसके परिवार के सभी सदस्यों की बुरी शक्तियों से सुरक्षा होने लगती हैं। यदि कोई साधक अपनी संतान को रोगमुक्त और स्वस्थ रखना चाहता हैं, तो उसे इस कवच का नित्य पाठ करना चहिये। इस कवच का निरंतर पाठ करने से जीवन में उन्नति, सफलता, सोंदर्य, आकर्षण, प्रेम, रूप आदि प्राप्त होता है।