Gopal Kavach, गोपाल कवच

Gopal Kavach | गोपाल कवच

Gopal Kavach (गोपाल कवच): The name Gopal of Lord Krishna is considered to be very wonderful and gives auspicious results. this kavach is a very impressive kavach dedicated to Shri Krishna. Reciting this kavach provides protection from Graha defects caused by the nine planets. Protects from the evil Graha defects, due to which there is progress in life and attainment of Goddess Lakshmi. Reciting Gopal Kavach provides relief from Evil eye, Black magic, Tantra-mantra obstacles etc. The most serious diseases and conditions of stress and anxiety gradually begin to go away by regularly reciting this powerful Gopal Kavach.

The obstacles coming in the life of the seeker for a long time in having a child start getting removed. If reciting Gopal Kavach with wearing Santan Gopal Kavach. Childless mothers start getting the happiness of having children. If any seeker wants to keep his children disease free and healthy, then he should recite this kavach regularly. The seeker gets Progress, Success, Beauty, Attraction, Love, Beauty etc. in life by continuously reciting this kavach. If any seeker wants complete love in life, want to do love marriage. So, from any Friday he should apply rose perfume on his body and recite Gopal Kavach for 27 days.

गोपाल कवच | Gopal Kavach

पुत्र प्राप्ति और बार-बार गर्भपात होने की स्थिति में इस स्तोत्र का उक्त स्तोत्र का पाठ नियमित करना चाहिये।

।। श्री गणेशाय नमः ।।

।। श्रीनारद उवाच ।।

इन्द्राद्यमरवर्गेषु ब्रह्मन्यत्परमाऽद्भुतम् ।

अक्षयं कवचं नाम कथयस्व मम प्रभो ।। 1 ।।

यद्धृत्वाऽऽकर्ण्य वीरस्तु त्रैलोक्य विजयी भवेत् ।

।। ब्रह्मोवाच ।।

श्रृणु पुत्र ! मुनिश्रेष्ठ ! कवचं परमाद्भुतम् ।। 2 ।।

इन्द्रादि-देव वृन्दैश्च नारायण मुखाच्छ्रतम् ।

त्रैलोक्य-विजयस्यास्य कवचस्य प्रजापतिः ।। 3 ।।

ऋषिश्छन्दो देवता च सदा नारायणः प्रभुः ।

सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़कर जल भूमि पर छोड़ दे।

विनियोगः- ॐ अस्य श्रीत्रैलोक्यविजयाक्षयकवचस्य प्रजापतिऋर्षिः, अनुष्टुप्छन्दः, श्रीनारायणः परमात्मा देवता, धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः ।

पादौ रक्षतु गोविन्दो जङ्घे पातु जगत्प्रभुः ।। 4 ।।

ऊरू द्वौ केशवः पातु कटी दामोदरस्ततः ।

वदनं श्रीहरिः पातु नाडीदेशं च मेऽच्युतः ।। 5 ।।

वाम पार्श्वं तथा विष्णुर्दक्षिणं च सुदर्शनः ।

बाहुमूले वासुदेवो हृदयं च जनार्दनः ।। 6 ।।

कण्ठं पातु वराहश्च कृष्णश्च मुखमण्डलम् ।

कर्णौ मे माधवः पातु हृषीकेशश्च नासिके ।। 7 ।।

नेत्रे नारायणः पातु ललाटं गरुडध्वजः ।

कपोलं केशवः पातु चक्रपाणिः शिरस्तथा ।। 8 ।।

प्रभाते माधवः पातु मध्याह्ने मधुसूदनः ।

दिनान्ते दैत्यनाशश्च रात्रौ रक्षतु चन्द्रमाः ।। 9 ।।

पूर्वस्यां पुण्डरीकाक्षो वायव्यां च जनार्दनः ।

इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम् ।। 10 ।।

तव स्नेहान्मयाऽऽख्यातं न वक्तव्यं तु कस्यचित् ।

कवचं धारयेद्यस्तु साधको दक्षिणे भुजे ।। 11 ।।

देवा मनुष्या गन्धर्वा यज्ञास्तस्य न संशयः ।

योषिद्वामभुजे चैव पुरुषो दक्षिणे भुजे ।। 12 ।।

विभ्रुयात्कवचं पुण्यं सर्वसिद्धियुतो भवेत् ।

कण्ठे यौ धारयेदेतत् कवचं मत्स्वरूपिणम् ।। 13 ।।

युद्धे जयमवाप्नोति द्यूते वादे च साधकः ।

सर्वथा जयमाप्नोति निश्चितं जन्मजन्मनि ।। 14 ।।

अपुत्रो लभते पुत्रं रोगनाशस्तथा भवेत् ।

सर्वताप प्रमुक्तश्च विष्णुलोकं स गच्छति ।। 15 ।।

।। इति ब्रह्मसंहितोक्तं श्रीगोपालाक्षयकवचं सम्पूर्णम् ।।

गोपाल कवच के लाभ:

भगवान कृष्ण का गोपाल नाम बहुत ही अद्भूत और शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता हैं। गोपाल कवच श्री कृष्ण को समर्पित एक बहुत ही प्रभावशाली कवच हैं। गोपाल कवच का पाठ करने से नवग्रहों से बने ग्रह दोषों से रक्षा होती है। बुरे ग्रहों के दोषों से बचाव होता है, जिससें जीवन में उन्नति होती है लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। गोपाल कवच का पाठ करने से नज़र दोष, काला जादू, तंत्र-मंत्र बाधा आदि से छुटकारा मिलता हैं। इस शक्तिशाली गोपाल कवच का नित्य पाठ करने से भयंकर से भयंकर रोगों तथा तनाव, चिंता की स्थिति धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।

ऐसा माना जाता है, कि यदि गोपाल कवच का पाठ करने के साथ संतान गोपाल कवच धारण किया जाए, तो साधक के जीवन में बहुत समय से संतान प्राप्ति में आ रही रूकावटे दूर होने लगती हैं। निःसंतान माँ को संतान सुख की प्राप्ति होने लगती हैं। यदि कोई साधक अपनी संतान को रोगमुक्त और स्वस्थ रखना चाहता हैं, तो उसे इस कवच का नित्य पाठ करना चाहियें। इस कवच का निरंतर पाठ करने से साधक को जीवन में उन्नति, सफलता, सोंदर्य, आकर्षण, प्रेम, रस, रूप आदि प्राप्त होता है। यदि कोई साधक जीवन में पूर्ण प्रेम चाहता है, प्रेम विवाह करना चाहता है, तो किसी भी शुक्रवार से 27 दिन तक उसे अपने शरीर में गुलाब का इत्र लगाकर गोपाल कवच का पाठ करना चाहियें।