Indian Birthwort Benefits/ईश्वर मूल के लाभ
Different Names of Indian Birthwort (Indian Birthwort Benefits/ईश्वर मूल):
Sanskrit —Ishwarmool, Nakuli,Ishwari
Hindi — Ishwarmool, Ishraul,Isarmool, Ishrol
Parsee — Jarawande Hind
Marathi — Sapsan, Sapasand
Brief introduction of Indian Birthwort (Indian Birthwort Benefits):
It is found in every terrain forests all over India. These are usually arid and larger in size. The leaves of these plants are about 2 to 4 inches in length and 1 to 2 inches broad. A pungent smell comes out when the leaves are rubbed. During the month of November it blossoms with a typical flower which looks like a swan. So it is also called as swan creeper.
Religious importance of Indian Birthwort (Indian Birthwort Benefits):
During the period of Sun Pushya constellation, remove a root of the plant. Pray with burning benzyl, keep it in copper or silver talisman, put a black cord and put it around the neck. It will keep you away from the effect of witches and ghosts. The house containing the creeper of birthwort (Indian Birthwort Benefits), there will be no untimely death will occur at that house due to the blessings oflord Shiva.
The person who keeps bauhinia plant in house which signifies Lord Brahma, basil plant which signifies Lord Vishnu and birthwort (Indian Birthwort Benefits) which signifies Lord Shiva and water the plants daily, all the three deities bless them forever. He is always a successful man. All the three plants should be watered daily and aroma sticks to be burnt before them daily.
The roots of these plants should be kept in the worship place duly cleaned and properly plucking. Do this on any Monday on full moon fortnight. Light aroma sticks daily and chant the spell 108 times “Om Namah Shivaya”. Thereafter on every Monday worship it. This act will keep happy and maintain peace and harmony in the family.
Astrological importance of Indian Birthwort:
The person suffering from patriarchal malefic effects should grow birthwort (Indian Birthwort Benefits) in his house. He also should worship with aroma sticks. The evil effects will be removed. The killer of the demons Lord Shiva blesses and removes all the adversities if the roots are plucked in an auspicious time and groomed properly. If the roots are soaked in the water for bath, the malefic effects due to Ketu is removed.
Vastu importance of Indian Birthwort (Indian Birthwort Benefits):
According to Vaastu if the plant is in the boundary of the house it is highly auspicious. If it is groomed in the north east direction it will bring happiness and peace in the house. There will be no untimely death or evil effects of black magic.
ईश्वर मूल के लाभ/Indian Birthwort Benefits
ईश्वर मूल के विभिन्न नाम (Indian Birthwort Benefits):
संस्कृत में — ईश्वरमूल, नाकुली, ईश्वरी,
हिन्दी में — ईश्वरमूल, इसरौल, इसरमूल, इशरोल,
फारसी में — जरावंदे हिन्दी,
मराठी में — सापसण, सापसंद,
अंग्रेजी में — Indian Birthwort (इण्डियन बर्थवर्ट)
ईश्वर मूल का संक्षिप्त परिचय (Indian Birthwort Benefits):
यह समस्त भारत देश की निचली पहाड़ियों के जंगलों में पाई जाती है। ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) की लतायें प्राय: सुखी और बड़ी होती है। इसकी पत्तियां प्राय: 2 से 4 इंच लम्बी तथा आधा से 1-2 इंच तक चौड़ी होती हैं। पत्तियां एक विशेष आकार की होती हैं, पत्ती को मलने से अथवा यूं ही सूंघने से एक विशेष प्रकार की तीव्र गंध आती है। इसमें कार्तिक मास में एक विचित्र आकृति के बैंगनी रंग के पुष्प लगते हैं, जो कि बत्तख के समान दिखाई देते हैं। इसलिये इसे बत्तख बेल के नाम से भी जाना जाता है।
ईश्वर मूल का धार्मिक महत्व (Indian Birthwort Benefits):
रवि पुष्य योग में विधि-विधान से पूर्व निमंत्रण देकर ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) की जड़ को निकाल लें। इसे गूगल की धूनी देकर रजत अथवा ताम्र के ताबीज में बंद कर दें। इस ताबीज को काले डोरे में पिरोकर गले में धारण करने वाला भूत-प्रेत के प्रभाव से मुक्त होता है। इसको धारण करने वाले पर भूत-प्रेतों का प्रभाव नहीं पड़ता है। जिस घर में रूद्रजटा अर्थात् ईश्वर मूल की लता का पालन होता है, वहाँ भगवान शिव की कृपा से अकाल मृत्यु नहीं होती हैं।
जो व्यक्ति अपने घर में ब्रह्मा की प्रतीक कचनार, विष्णु की प्रतीक तुलसी और भगवान शिव की प्रतीक रूद्रजटा को पालता है और नित्य इन पर जल अर्पित करता है उसे त्रिदेवों की भरपूर कृपा की प्राप्ति होती है। उसका सर्वार्थ कल्याण होता है। ऋद्धि-सिद्धि उसके यहाँ सदैव विराजित रहती हैं। तीनों पौधों को अलग – अलग गमलों में लगाकर पास-पास रखें और प्रात: जल अर्पित करें। सम्भव हो तो अगरबत्ती भी लगायें।
ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) की जड़ पूर्ण विधि-विधान से प्राप्त कर गंगाजल आदि से स्वच्छ करके अपने घर के पूजा स्थल में स्थान दें। ऐसा आप शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को करें। इसके पश्चात् मूल को अगरबत्ती अर्पित करें। मूल के समक्ष ही 108 बार ॐ नम: शिवाय का जाप करें। इसके पश्चात् प्रत्येक सोमवार को यह जाप करते हुये मूल को अगरबत्ती दिखायें। ऐसा करने से आप पर भगवान शिव की निरन्तर कृपा बनी रहेगी। परिवार में सुख-शांति तथा समृद्धि की वृद्धि होगी।
ईश्वरमूल के ज्योतिषीय महत्व (Indian Birthwort Benefits):
जो व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित होते हैं उन्हें घर में ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) को पालना चाहिये। साथ ही प्रतिदिन इसकी लता के समक्ष एक अगरबत्ती लगानी चाहिये। नित्य ऐसा करने वाले का पितृदोष समाप्त होता है।
राक्षसों का संहार करने वाले भगवान शिव की प्रतीक ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) को शुभ मुहूर्त में निकाल कर सुरक्षित रख लें। इस ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) को स्नान के जल में नित्य डालकर उस जल से स्नान करने वाले की केतु जनित पीड़ा समाप्त होती है।
इस जड़ को निमंत्रण देकर ताबीज में भरकर अगरबत्ती का धुआं दें, फिर इस ताबीज को भूत प्रेत आदि से प्रभावित जो व्यक्ति धारण करता है वह उनके कुप्रभाव से मुक्त हो जाता है। शिवयोग माह में एक बार आता है।
ईश्वरमूल का वास्तु में महत्व (Indian Birthwort Benefits):
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की सीमा में ईश्वर मूल (Indian Birthwort Benefits) अर्थात् रूद्रजटा का होना अत्यन्त शुभ है। इसे ईशान क्षेत्र में पालने से उस घर में सुख-शांति रहती है। भगवान शिवजी की कृपा से उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती तथा उस घर को किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र आदि प्रभावित नहीं कर पाते। टोने-टोटकों का असर उस भवन तथा भवन में रहने वालों पर नहीं होता।