Kadamb benefits/कदम्ब के लाभ
Different Names of Kadamb (Kadamb Benefits/कदम्ब):
Hindi — Kadamb, Kadam.
Malayalam — Rajkadamba
Gujarati — Kadambo
Kannad — Kadau
Bengali — Kadamba gaach
Marathi — kadam
Telugu — Kadimuchedu
Latin — Anthocephalus cadamba
Brief description of Kadamb (Kadamb Benefits):
This is a mediocre sized tree. The leaves of this tree are in opposite serials. The leaves are uniform in blades and pointed heads. The flowers blossom during September to November. The flowers bloom in bunches and are too beautiful. There is a light aroma in it. The fruits are also round in shape containing tiny seeds. The log is woody and grey. This Kadamb tree (Kadamb Benefits) is usually implanted on the road side or along the temples. The shadow of this tree is cool and soothing.
The religious importance of Kadamb (Kadamb Benefits):
This tree saves a house, business and individual from the evil sights. It is a simple process which can be done easily. Take some dry twigs of Kadamb (Kadamb Benefits), one cow dung cake, 5 tablets of camphor and 50 gm of powdered benzyl. Cut the twigs in small pieces so that all are accommodated on the cow dung cake. Put three camphor tablets on that and burn the camphor with match stick in the central room of the house. When the camphor tablets are completely burnt, put a little benzyl on it. It will start emitting smoke.
Wait there for few minutes and repeat it to all the rooms and nook and corner of the house. Don’t let the smoke out forcibly. Thereafter put the thing on the main gate and put all the left benzyl powder and 2 tablets of camphor in it. This will eradicate all the evil sight malefic affects. Thereafter the ashes of the cow dung cake are to be flown in the moving water or drop it on the four ways crossing of the road. While doing this act one must chant the spell of his/her deity.
The person who worships daily the tree of Kadamb (Kadamb Benefits) and water it, he/she always blessed by Lord Krishna. The spell “Shri Krishnam sharanam prapaddey” if chanted and circumbulate the tree daily no problems can touch him.
The person who makes Havan with the flower of Kadamb (Kadamb Benefits), ghee, honey and jiggery, goddess Laxmi’s blessings always remain with him. This Havan if done on full moon day, a permanent blessings remains with him/her.
The per son who uses black sesame along with the other above said material in the Havan, all the administrative obstacles will be eradicated. He will be having a good position in the society and can achieve prosperity.
The dry twigs of Kadamb (Kadamb Benefits) if soaked in honey, curd and ghee and burnt 108 times, all the chronic diseases are eradicated and peace prevails in the house. Who Circumbulate the Kadamb (Kadamb Benefits) tree daily, he never suffers from insomnia.
Importance of Kadamb in Astrology (Kadamb Benefits):
If Kadamb (Kadamb Benefits) flower is soaked in bathing water and taken bath by that water, malefic effects of Jupiter will be eradicated. On the day of post Bhadra constellation, if the person suffering from the malefic effects of Jupiter worship and circumbulate the Kadamb tree (Kadamb Benefits), all his problems will be over.
Importance of Kadamb in Vaastu (Kadamb Benefits):
According to Vaastu Science, the Kadamb tree (Kadamb Benefits) around the border of the house is too auspicious. Especially, in the south-west, west and south side. If the tree is on other than the said sides, plant an Ashok tree near to it.
कदम्ब के लाभ/Kadamb Benefits
कदम्ब के विभिन्न नाम (Kadamb Benefits):
हिन्दी में — कदम, कदम्ब,
गुजराती में — कदम्बो,
बंगला में — कदम गाछ,
तेलुगु में — कडिमुचेदु,
मलयालम में — राजकदम्ब,
कन्नड़ में — कडऊ,
मराठी में — कदम,
अंग्रेजी में — Kadamba tree
लेटिन में — एन्थोसिफेलस कडम्बा (Anthocephalus cadamba)
कदम्ब का संक्षिप्त परिचय (Kadamb Benefits):
यह एक मध्यम श्रेणी का वृक्ष होता है। इसकी पत्तियां विपरीत क्रम में लगी होती हैं। पत्तियां बड़ी, साधारण सलंग किनारे वाली एवं नुकीले सिरे वाली होती हैं। इनके पुष्प सितम्बर से नवम्बर के बीच लगते हैं। जोकि देखने में गोल गुच्छे के रूप में बहुत सुन्दर होते हैं, इनमें हल्की महक भी होती है। फल भी फूले हुये होते हैं, जिनमें छोटे-छोटे बीज होते हैं, तना काष्ठीय एवं भूरा होता है, प्राय: ये वृक्ष सड़क के किनारे एवं मंदिर के आस-पास लगाये जाते हैं, वहाँ ये बहुतायत से प्राप्त होते हैं, इस वृक्ष की छाया शीतल एवं सुखद होती है।
कदम्ब का धार्मिक महत्व (Kadamb Benefits):
इस प्रयोग के द्वारा आप अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान तथा भवन को किसी भी प्रकार की नजर से बचा सकते हैं। यह एक सरल प्रयोग है, जिसे आप आसानी के साथ कर सकते हैं। इसके लिये आपको कदम्ब (Kadamb Benefits) वृक्ष की कुछ सूखी लकडियां, एक उपला, 50 ग्राम लोबान, 5 टिकिया कपूर की आवश्यकता रहेगी। इस प्रयोग के लिये कोई विशेष दिन नहीं है, जब आपको सुविधा हो तब कर सकते हैं अथवा जब बार-बार विभिन्न रूपों में समस्यायें उत्पन्न होने लगे तब यह उपाय कर लें, यह उपाय आप संध्या पर करें।
अपने प्रमुख कक्ष में आकर उपाय प्रारम्भ करें, उपले पर कदम्ब (Kadamb Benefits) की लकड़ियों को छोटा-छोटा तोड़ लें। इतना छोटा की टूटी लकडियां उपले पर आ जायें, इनके ऊपर कपूर की तीन टिकिया रखें और अग्नि दिखा दें। कपूर के जलने से कदम्ब की लकडियां भी जलने लगेंगी। जब कपूर की टिकिया जल जायें और इससे लकडियां भी थोड़ी-बहुत जलने लगे तो इन लकड़ियों पर थोड़ा लोबान डाल दें, इससे धुआं उठने लगेगा। कुछ देर तक वहीं खड़े रहें। फिर दूसरे कमरे में आये जलती लकड़ियों पर थोडा लोबान डालें, इस प्रकार आपके जितने भी कमरे हैं, उन सभी में लोबान का धुआं दें, कमरे में भरे धुयें को निकालने के लिये पंखा नहीं चलायें, इसे अपने आप जलने दें, सब कमरों में घूम कर अपने मुख्य द्वार पर आ जायें, जितनी लोबान बची है, वह सारी लकड़ियों पर डाल दें और शेष बची दो टिकिया कपूर ऊपर रखकर जला दें।
इस उपाय से आपके भवन का किसी भी प्रकार का नजरदोष समाप्त हो जायेगा, बाद में उपले आदि को या तो जल में प्रवाहित कर दें अथवा अपने भवन से दूर किसी चौराहे पर डलवा दें, समस्त क्रिया करते समय अगर आप अपने इष्ट के किसी मंत्र का जाप भी करते रहें तो अति उत्तम है, यह प्रयोग आप अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान पर भी कर सकते हैं। जो व्यक्ति कदम्ब के वृक्ष की नित्य पूजा करता है तथा उस पर जल अर्पित करता है, उस पर भगवान श्रीकृष्ण (गोवर्धन नाथ) की विशेष कृपा होती है।
।। श्रीकृष्णं शरणं प्रपद्दे ।।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुये कदम्ब वृक्ष की नित्य परिक्रमा करने वाले व्यक्ति की बाधायें दूर होती हैं, साथ ही यह प्रयोग नित्य करने वाला व्यर्थ की समस्याओं से मुक्त रहता है। जो व्यक्ति कदम्ब (Kadamb Benefits) के पुष्पों का घी, शक्कर और मधु मिलाकर पूर्णिमा के दिन हवन करता है, उस पर लक्ष्मी की अत्यधिक कृपा रहती है, उसके यहाँ लक्ष्मी स्थिर होती है, यह हवन आप संक्षिप्त रूप में भी सम्पन्न कर सकते हैं, इसके लिये आप एक कण्डा प्राप्त करें, कण्डे को उल्टा रख कर उसके
ऊपर कदम्ब की लकड़ियों को छोटा-छोटा तोड़ कर रख दें, इसके ऊपर थोड़ा शुद्ध घी डाल कर अग्नि प्रज्ज्वलित कर लें। अब आप उक्त पदार्थों की आहुतियां दें, जब आहुतियां पूर्ण हो जायें तो कण्डे तथा लकड़ी आदि को ठण्डा होने दें, तत्पश्चात् इन्हें उठा कर पीपल वृक्ष के नीचे रख दें अथवा जल में प्रवाहित कर दें, ऐसा संक्षिप्त हवन करके आपको भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होने के साथ-साथ मानसिक शांति की भी प्राप्ति होगी।
कदम्ब (Kadamb Benefits) के पुष्पों को काले तिल, घी, मधु और शक्कर के साथ हवन करने वाले की प्रशासनिक बाधायें समाप्त होती हैं। प्रत्येक कार्य में उसकी विजय होती है। समाज में उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है, यह हवन भी आप संक्षिप्त रूप से ऊपर बताये अनुसार सम्पन्न करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
कदम्ब (Kadamb Benefits) की लकड़ी को मधु, घी, दही में डुबोकर घर में दहन करने से अथवा कदम्ब की लकड़ियां जलाकर उस पर उक्त पदार्थों 108 आहुतियां कुछ दिनों तक देने से घर में आरोग्य आता है तथा बिमारियों का सिलसिला टूटता है। सुख-शांति तथा समृद्धि में निरन्तर वृद्धि होती है और धन की किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है। जो व्यक्ति कदम्ब (Kadamb Benefits) की नित्य परिक्रमा करता है, उसे अनिद्रा रोग नहीं होता है।
कदम्ब का ज्योतिषीय महत्व (Kadamb Benefits):
स्नान के जल में कदम्ब (Kadamb Benefits) का फूल डालकर उस जल से स्नान करने वाला गुरु ग्रह की पीड़ा से मुक्त रहता है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र जिस दिन पड़े उस दिन गुरु ग्रह से पीड़ित व्यक्ति यदि कदम्ब (Kadamb Benefits) के वृक्ष का पूजन करें, उसकी परिक्रमा करे तो निश्चय ही वह गुरु ग्रह की पीड़ा से मुक्त रहता है।
कदम्ब का वास्तु में महत्व (Kadamb Benefits):
वास्तु विज्ञान की दृष्टि से कदम्ब (Kadamb Benefits) के वृक्ष का घर की सीमा में होना अत्यन्त शुभ है। घर के नैऋत्य, पश्चिम अथवा दक्षिण दिशाओं में इसका होना विशेष शुभ है। इन दिशाओं के अतिरिक्त यदि यह अन्य किसी दिशा में हो तो उस परिस्थिति में इसके पास ही सीता अशोक अथवा निर्गुण्डी का एक पौधा लगा देना चाहिये।