Kali Mahavidya | काली महाविद्या
Kali Mahavidya (काली महाविद्या): Goddess Ma Kali maintains the principal position. Among all the ten significant Dus Mahavidya’s. Kali means “The black one”. Due to her complexion and appearance in black she is known as Ma Kali (Kali Mahavidya). The aspirant Sadhak, having perfected this Sadhna get all Ashtsidhis. This Sadhna evokes innumerable advantages which are realised instantly after the accomplishment of the Sadhna (Kali Mahavidya). The name Kali comes from kala, which means black, time, death or lord of death. In tantric Sadhna of Dus Mahavidya Sadhak consider Mahakali to be more influential and powerful giving immediate results.
अथ काली मन्वक्ष्ये सद्दोवाक्सिद्धिपायकान्, आरावितैर्य: सर्वेष्टं प्राप्नुवन्ति जना भुवि।
Atha Kali Manvakshey Sasddowaksiddhipayakana, Aravitairya Sarveshtang prapnuwanti Jana Bhuvi।
Kali is Adi Mahavidya, the primary Mahavidya. She is the first and the foremost among the Mahavidyas. Even before the Mahavidya cult came into being. She was a major goddess with large following of devotees immersed in her mythologies, hymns and songs. She is not only the first but also the most important of the Mahavidyas. It is said, the Mahavidya tradition is cantered on Kali (Kali Mahavidya) and her attributes. Kali is the epitome of the Mahavidyas. The rest of the Mahavidyas emanate from Kali and share her virtues and powers in varying shades. The Saktisamgama-tantra says, “All the Mahavidyas, Siddhi-vidyas, Vidyas, and Upa-vidyas, are different forms that Kali assumes” (Kali Mahavidya). She is the exemplary Mahavidya; she alone symbolizes the fully awakened consciousness; and she alone reveals the ultimate truth.
Mahavidyas are symbols of female independence; and, Kali (Kali Mahavidya) demonstrates that freedom with great abandon. She is never depicted as a submissive consort luring with charm, she is always dominant, striding on the male with a destructive frenzy. She challenges and demolishes the conventional notions about looks, manners and the limited ways of understanding things.
There are thousands of accomplishments are there in this world but our Sages have given significance to accomplishment of Mahavidyas (Kali Mahavidya). The people who accomplish more Mahavidyas, he is ranked higher among the sages. But destiny plays a significant role in this.
Kali Mahavidya Benefits:
Sadhna of Kali Mahavidya requires proper initiation by an able teacher (Guru). But yet one can attain her blessings by other means of worship. Goddess Kali is pleased by chanting mantras, doing worship either on the image, or by the help of Yantras (mystical diagrams) and by certain rituals and offerings etc(Kali Mahavidya). Ones goddess Kali is pleased then all the aspirations of man get fulfilled.
Maa Kaali Mantra helps individual get immediate relief from the suffering and agony created during malefic period of Shani (Mahadasha or Antardasha). Period of Shani Sade sati & Shani Dhaiyya are also cut down by regular & guided chanting of Maa Kaali Mantra (Kali Mahavidya). It helps mitigate evil effects of Shani Dosha and protects one from evil spirit, sorcery and untimely demise.
- Completion of accomplishment of this Sadhana makes a person healthy and hearty and capable.This accomplishment is capable of giving all the carnal pleasures of the life and after the death a person gets salvation.For defeating the enemies, this Sadhana has no alternative.This ends the enemies and tantric obstaclesIt gives financial gains and Manursharth.·This accomplishment provides worthy son and progress in his life and security as well as long life.This accomplishment removes all the scarcities of life.
Rules of Accomplishment:
- You must install before you the consecrated & energized Yantra & picture of Mahakali.
- Meal should be taken only once a day & that also vegetarian diet without adding garlic or onion.
- Avoid the use of cot or bed. You should retire on the ground.
- On the first day, after worshipping & contemplating on the Goddess, you should start the recitation of the Mantra.
- You are free to perform either mental worship or worshipping with five articles (vermillion, flowers, incense, lamp & Prasad).
- One has to collect the Mascot of Mahakali duly mantra proven and a rosary of Rudraksha.
- Kali Mahavidya can be started any time but during Navratri it has a special significance. It should have started on the first day of Navratri and finish it by eighth day of Navratri.
- One lakh spells are to be chanted during this accomplishment. 24,000 chants also could be done.
- This one can be done by anyone whether a man or a woman. But if the women are in menstruation cycle, it should be stopped immediately.
- The seat can be of cotton or woolen but should be of black colour. It can be day or night both.
- One should face east while performing Sadhana.
- He should refrain from alcohol, gambling etc. during this period.
- Ghee lamp has to be lit. Joss sticks are not essential.
काली महाविद्या | Kali Mahavidya
काली महाविद्या (Kali Mahavidya): दस महाविद्याओं में भी काली महाविद्या (Kali Mahavidya) सर्वप्रमुख, महत्वपूर्ण और अद्वितीय कही गई है, क्योंकि यह त्रिवर्गात्मक महादेवियों – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती में प्रमुख है। शास्त्रों के अनुसार मात्र महाकाली साधना से ही जीवन की समस्त कामनाओं की पूर्ति और मनोवांछित फल प्राप्ति सम्भव होती है। इस सम्बन्ध में हम साधनात्मक ग्रंथो को टटोल कर देखें तो लगभग सभी योगियों, संन्यासियों, विचारकों, साधकों और महर्षियों ने एक स्वर से महाकाली साधना को प्रमुखता और महत्व प्रदान किया है। काली महाविद्या (Kali Mahavidya) काली कुल की सर्वोच्च दैवीय शक्ति है, जो दस महाविद्याओ में प्रथम स्थान रखती है। इनका जन्म अंधकार में होने के कारण इनका नाम ‘काली‘ पड़ा है।
अथ काली मन्वक्ष्ये सद्दोवाक्सिद्धिपायकान्
आरावितैर्य: सर्वेष्टं प्राप्नुवन्ति जना भुवि।
दस महाविद्याओं में सर्वश्रेष्ठ महाकाली महाविद्या (Kali Mahavidya) कलियुग में कल्पवृक्ष के समान शीघ्र फलदायक एवं साधक की समस्त कामनाओं की पूर्ति में सहायक हैं। जब जीवन के पुण्य जाग्रत होते हैं, तभी साधक ऐसी प्रबल शत्रुहन्ता, महिषासुर मर्दिनी, वाक् सिद्धि प्रदायक महाकाली (Kali Mahavidya/काली महाविद्या) की साधना में रत होता है। जो साधक इस साधना में सिद्धि प्राप्त कर लेता है, उसके जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं रहता और भोग तथा मोक्ष दोनों में समान रूप से सम्पन्नता प्राप्त कर वह जीवन में सभी दृष्टियों से पूर्णता प्राप्त कर लेता है। काली महाविद्या
संसार में सैंकड़ो-हजारों साधनाएं हैं परन्तु हमारे महर्षियों ने इन सभी साधनाओं में दस महाविद्याओं की साधना को प्रमुखता दी है। जो साधक अपने जीवन में जितनी ही महाविद्या (Kali Mahavidya) साधनाएं सम्पन्न करता है, वह उतना ही श्रेष्ठ साधक बन सकता है, परन्तु बिना भाग्य के इस प्रकार की महत्वपूर्ण साधनाओं को सिद्ध करने का अवसर नहीं मिलता।
महाकाली साधना के लाभ:
दस महाविद्याओं में प्रमुख और शीघ्र फलदायक होने के कारण पिछले हजारों वर्षों में हजारों साधक इस साधना को सम्पन्न करते आये हैं और उच्चकोटि के साधकों के मन में भी यह तीव्र लालसा रहती है कि अवसर मिलने पर किसी प्रकार से महाकाली साधना सम्पन्न कर ली जाय फिर भी जिन साधकों ने काली साधना को सिद्ध किया है, उनके अनुसार निम्न तथ्य तो साधना सम्पन्न करते ही प्राप्त हो जाते हैं।
- इस साधना को सिद्ध करने से व्यक्ति समस्त रोगों से मुक्त होकर पूर्ण स्वस्थ, सबल एवं सक्षम होता है।
- यह साधना जीवन के समस्त भोगों को देने में समर्थ है, साथ ही काली साधना से मृत्यु के उपरान्त मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शत्रुओं का मान मर्दन करने, उन पर विजय पाने, मुकदमे में सफलता और पूर्ण सुरक्षा के लिए इससे बढ़कर कोई साधना नहीं है।
- इस साधना से समस्त प्रकार के शत्रु एवं तंत्र बाधा समाप्त हो जाती है।
- इस साधना की सिद्धि से तुरन्त आर्थिक लाभ और प्रबल पुरुषार्थ की प्राप्ति सम्भव होती है।
- ‘काली पुत्रे फलप्रद:’ के अनुसार काली साधना योग्य पुत्र की प्राप्ति व पुत्र की उन्नति, उसकी सुरक्षा और उसे पूर्ण आयु प्रदान करने के लिए श्रेष्ठ साधना कही गई है।
- इस साधना से साधक अपने जीवन के सारे अभाव को दूर कर अपने भाग्य को बनाता हुआ पूर्ण सफलता प्राप्त करता है।
साधना नियम:
जो साधक या गृहस्थ महाकाली साधना सम्पन्न करना चाहे, उसे निम्न तथ्यों का पालन करना चाहिए, जिससे कि वह अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर सके-
- इस साधना को करने के लिए मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “महाकाली यन्त्र” और रुद्राक्ष माला की आवश्यकता होती है। इस सामग्री की साधना करने से पूर्व ही व्यवस्था कर लें।
- महाकाली साधना किसी भी समय से प्रारम्भ की जा सकती है परन्तु नवरात्रि में इस साधना का विशेष महत्व है। नवरात्रि के प्रथम दिन से ही इस साधना को प्रारम्भ करना चाहिए और अष्टमी को इसका समापन किया जाना चाहिए।
- इस साधना में कुल एक लाख मंत्र जप किया जाता है। पर चौबीस हजार मन्त्र जाप में इस साधना का फल देखा जा सकता है, हम यहाँ चौबीस हजार (लाभ पुश्चरण) का विधान दे रहे है।
- यह साधना पुरुष या स्त्री कोई भी कर सकता है परन्तु यदि स्त्री साधना काल में रजस्वला हो जाय, तो उसी समय उसे साधना बंद कर देनी चाहिए।
- साधना काल में स्त्री संसर्ग वर्जित है, साधक शराब आदि न पिये और न जुआ खेले।
- साधना प्रात: या रात्रि दोनों समय में की जा सकती है। यदि साधक चाहे तो प्रात:काल और रात्रि दोनों समय का उपयोग कर सकता है।
- साधना काल में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग ज्यादा उचित माना गया है।
- आसन सूती या ऊनी कोई भी हो सकता है, पर वह काले रंग का हो। यदि घर में साधना करें तो साधक पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठे सामने घी का दीपक लगा ले, अगरबत्ती लगाना अनिवार्य नहीं है।
- साधक के सामने पूर्ण चैतन्य महाकाली यंत्र और महाकाली चित्र फ्रेम में मढ़ा हुआ स्थापित होना चाहिए, जोकि मंत्र सिद्ध व प्राण प्रतिष्ठा युक्त हो।
- प्रथम दिन महाकाली देवी का पूजन कर उसका ध्यान कर मंत्र जप प्रारम्भ कर देना चाहिए। पूजन में कोई जटिल विधि-विधान नहीं है, साधक मानसिक या पंचोपचार पूजन कर सकता है।
- रात्रि में भूमि शयन करना चाहिए। खाट या पलंग का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- भोजन एक समय एक स्थान पर बैठकर जितना भी चाहे किया जा सकता है पर शराब, मांस, लहसुन, प्याज आदि का प्रयोग निषेध है।