Kalika Ashtakam, कालिका अष्टकम

Kalika Ashtakam | कालिका अष्टकम

Kalika Ashtakam/कालिका अष्टकम

विरंच्यादिदेवास्त्रयस्ते गुणास्त्रीँ, समाराध्य कालीं प्रधाना बभूवुः।

अनादिं सुरादिं मखादिं भवादिं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥1॥

जगन्मोहिनीयं तु वाग्वादिनीयं, सुहृदपोषिणी शत्रुसंहारणीयं।

वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥2॥

इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली, मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात।

तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥3॥

सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता, लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवस्ते।

जपध्यान पुजासुधाधौतपंका, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥4॥

चिदानन्दकन्द हसन्मन्दमन्द, शरच्चन्द्र कोटिप्रभापुन्ज बिम्बं।

मुनिनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥5॥

महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा, कदाचिद्विचित्रा कृतिर्योगमाया।

न बाला न वृद्धा न कामातुरापि, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥6॥

क्षमास्वापराधं महागुप्तभावं, मय लोकमध्ये प्रकाशीकृतंयत्।

तवध्यान पूतेन चापल्यभावात्, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥7॥

यदि ध्यान युक्तं पठेद्यो मनुष्य, स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च।

गृहे चाष्ट सिद्धिर्मृते चापि मुक्ति, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥8॥

कालिका अष्टकम विशेषताएँ | Kalika Ashtakam:

कालिका अष्टकम के साथ-साथ यदि श्री सूक्तम, देवी सूक्तम का पाठ किया जाए तो, लक्ष्मी सूक्तम का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, यह सूक्तम शीघ्र ही फल देने लग जाता है| घर में सुख, शांति, समृधि रखने के लिए सिद्ध लक्ष्मी फ्रेम को घर में रखना चाहिए| और रोज़ सिद्ध लक्ष्मी फ्रेम की पूजा करनी चाहिए|