Kamakhya Devi Kavach | कामाख्या देवी कवच
Kamakhya Devi Kavach (कामाख्या देवी कवच): Kamakhya Devi is considered a Tantric goddess. The person can be protected from the effects of Evil eye, Sorcery, Tantra-Mantra obstacle, Black magic etc. by recite the kavach of Goddess Kamakhya. So that negative energy can be removed from person’s life. Kamakhya Devi Kavach is the protective Astra of Goddess Kamakhya. This kavach is considered to be the most powerful among all kavach. This is believed Siddh Tantric, Mantric and yogis all over India, no matter what kind of problem they may face. If at the same time recites Maa Kamakhya Devi Kavach, then the person remains safe from the evil powers of all tantras and the bad effects of evil enemies.
This kavach provides protection to the person from demonic attacks. It is observe that, if any person recites Kamakhya Devi Kavach continual, even untreatable diseases gradually start going away, the body starts becoming completely healthy. Kamakhya Devi Kavach should be recited in front of Maa Kamakhya Devi Yantra, this helps the person attain mental stability. Various types of Mental stress, Disappointment, Suffering, Fear etc. start going away from the life of the person. An atmosphere of love and positivity starts forming among the family members.
कामाख्या देवी कवच | Kamakhya Devi Kavach
नारद उवाच कामाख्या देवी कवच:
कवचं कीदृशं देव्या, महा-भय-निवर्तकम्। कामाख्यायास्तु तद् ब्रूहि, साम्प्रतं मे महेश्वर।।
श्रीमहादेव उवाच:
श्रृणुष्व परमं गुह्यं, महा-भय-निवर्तकम्। कामाख्यायाः सुर-श्रेष्ठ, कवचं सर्व-मंगलम्।।
यस्य स्मरण-मात्रेण, योगिनी-डाकिनी-गणाः। राक्षस्यो विघ्न-कारिण्यो। याश्चात्म-विघ्नकारिकाः।।
क्षुत्-पिपासा तथा निद्रा, तथाऽन्ये ये च विघ्नदाः। दूरादपि पलायन्ते, कवचस्य प्रसादतः।।
निर्भयो जायते मर्त्यस्तेजस्वी भैरवोपमः। समासक्त-मनासक्त-मनाश्चापि, जप-होमादि-कर्मसु।।
भवेच्च मन्त्र-तन्त्राणां, निर्विघ्नेन सु-सिद्धये।।
अथ कवचम्:
ॐ प्राच्यां रक्षतु मे तारा, कामरुप-निवासिनी। आग्नेय्यां षोडशी पातु, याम्यां धूमावती स्वयम्।।
नैऋत्यां भैरवी पातु, वारुण्यां भुवनेश्वरी। वायव्यां सततं पातु, छिन्न-मस्ता महेश्वरी।।
कौबेर्यां पातु मे नित्यं, श्रीविद्या बगला-मुखी। ऐशान्यां पातु मे नित्यं, महा-त्रिपुर-सुन्दरी।।
ऊर्ध्वं रक्षतु मे विद्या, मातंगी पीठ-वासिनी। सर्वतः पातु मे नित्यं, कामाख्या-कालिका स्वयम्।।
ब्रह्म-रुपा महाविद्या, सर्वविद्यामयी-स्वयम्। शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा, भालं श्री भव-मोहिनी।।
त्रिपुरा भ्रू-युगे पातु, शर्वाणी पातु नासिकाम्। चक्षुषी चण्डिका पातु, श्रोत्रे नील-सरस्वती।।
मुखं सौम्य-मुखी पातु, ग्रीवां रक्षतु पार्वती। जिह्वां रक्षतु मे देवी, जिह्वा ललन-भीषणा।।
वाग्-देवी वदनं पातु, वक्षः पातु महेश्वरी। बाहू महा-भुजा पातु, करांगुलीः सुरेश्वरी।।
पृष्ठतः पातु भीमास्या, कट्यां देवी दिगम्बरी। उदरं पातु मे नित्यं, महाविद्या महोदरी।।
उग्रतारा महादेवी, जंघोरु परि-रक्षतु। गुदं मुष्कं च मेढ्रं च, नाभिं च सुर-सुन्दरी।।
पदांगुलीः सदा पातु, भवानी त्रिदशेश्वरी। रक्त-मांसास्थि-मज्जादीन्, पातु देवी शवासना।।
महा-भयेषु घोरेषु, महा-भय-निवारिणी। पातु देवी महा-माया, कामाख्या पीठ-वासिनी।।
भस्माचल-गता दिव्य-सिंहासन-कृताश्रया। पातु श्रीकालिका देवी, सर्वोत्पातेषु सर्वदा।।
रक्षा-हीनं तु यत् स्थानं, कवचेनापि वर्जितम्। तत् सर्वं सर्वदा पातु, सर्व-रक्षण-कारिणी।।
फल-श्रुति:
इदं तु परमं गुह्यं, कवचं मुनि-सत्तम! कामाख्याया मयोक्तं ते, सर्व-रक्षा-करं परम्।।
अनेन कृत्वा रक्षां तु, निर्भयः साधको भवेत्। न तं स्पृशेद् भयं घोरं, मन्त्र-सिद्धि-विरोधकम्।।
जायते च मनः-सिद्धिर्निर्विघ्नेन महा-मते! इदं यो धारयेत् कण्ठे, बाही वा कवचं महत्।।
अव्याहताज्ञः स भवेत्, सर्व-विद्या-विशारदः। सर्वत्र लभते सौख्यं, मंगलं तु दिने-दिने।।
यः पठेत् प्रयतो भूत्वा, कवचं चेदमद्भुतम्। स देव्याः पदवीं याति, सत्यं सत्यं न संशयः।।
कामाख्या देवी कवच के लाभ:
कामख्या देवी एक तांत्रिक देवी मानी जाती हैं। कामख्या देवी कवच का पाठ करने से व्यक्ति नज़र दोष, टोना-टोटके, तंत्र-मंत्र बाधा, काले जादू आदि के प्रभाव से बच सकता हैं, जिससे उसके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सके। कामख्या देवी कवच भगवती कामख्या का रक्षा अस्त्र हैं, यह कवच सभी कवचों में बहुत ही शक्तिशाली माना गया है। इस बात को पुरे भारत के सिद्ध तांत्रिक, मान्त्रिक, योगी मानते है, कि चाहें कैसी भी समस्या आ जाये, यदि उसी समय कामख्या देवी कवच का पाठ करें तो, व्यक्ति सभी तंत्र की बुरी शक्तियों और दुष्ट शत्रुओं के बुरे प्रभाव से सुरक्षित रहता हैं। यह कवच व्यक्ति को असुरी अमोघ से रक्षा प्रदान करता है, देखा गया है की, यदि कोई व्यक्ति नित्य कामख्या देवी कवच का पाठ करता है, तो असाध्य रोग भी धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं, शरीर पूर्ण स्वस्थ होने लगता हैं।
कामख्या देवी कवच का पाठ माँ कामख्या देवी यंत्र के सामने करना चाहियें, इससें व्यक्ति को मानसिक स्थिरता प्राप्त होने लगती है। उसके जीवन से विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव, निराशा, कष्ट, भय आदि दूर होने लगते हैं। घर-परिवार के सदस्यों के मध्य प्रेम और सकारात्मकता का वातावरण बनने लगता हैं। नित्य पूजा में कामख्या देवी कवच पाठ करने से जीवन में प्रेम, वैवाहिक सुख प्राप्त होने लगता है तथा व्यवसाय, नौकरी में धन संबंधित समस्याएँ दूर होने लगती हैं। घर-पारिवारिक में शांति, सुख-समृद्धि आने लगती पुरे परिवार की उन्नति होती हैं।