Ketu Kavacham, केतु कवचम

Ketu Kavacham | केतु कवचम

Ketu Kavacham (केतु कवचम): Ketu is considered a sinful planet. It is considered a symbol of salvation in astrology. Any person who has the Ketu defect in his horoscope, faces unnecessary obstacles in his every work. Such a person has to face physical, mental and financial losses in life. Domestic fights, discord, women’s troubles and disorientation remain in life. Reciting Ketu Kavach is considered important to overcome these obstacles. The seeker gets protection from all Troubles, Sorrows, Evil eye, Graha obstacles etc. by continuously reciting Ketu Kavach.

The seeker starts getting saved from the negative effects of various types of diseases and serious illnesses. Ketu defect starts getting removed from the horoscope of the seeker and he starts attaining spiritual happiness. If Ketu Kavacham is recited after wearing Ketu Graha Kavach, then all kinds of stress, anxiety and fear start going away from the mind of the seeker. Ketu Gutika is also very beneficial. The seeker starts attaining good wisdom by wearing Ketu Gutika with reciting Ketu Kavach. He is completely protected from the dosh caused by Ketu. He starts getting success in his every work.

केतु कवचम | Ketu Kavacham

ध्यानम्

धूम्रवर्णं ध्वजाकारं द्विभुजं वरदांगदम्

चित्राम्बरधरं केतुं चित्रगन्धानुलेपनम् ।

वैडूर्याभरणं चैव वैडूर्य मकुटं फणिम्

चित्रंकफाधिकरसं मेरुं चैवाप्रदक्षिणम् ॥

केतुं करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।

प्रणमामि सदा देवं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥

कवचम

चित्रवर्णः शिरः पातु फालं मे धूम्रवर्णकः ।

पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥

घ्राणं पातु सुवर्णाभो द्विभुजं सिंहिकासुतः ।

पातु कण्ठं च मे केतुः स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः ॥

बाहू पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महोरगः ।

सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥

ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी च प्रकोपनः ।

पातु पादौ च मे रौद्रः सर्वाङ्गं रविमर्दकः ॥

इदं च कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।

सर्वदुःखविनाशं च सत्यमेतन्नसंशयः ॥

॥ इति पद्मपुराणे केतु कवचम् ॥

Ketu Kavacham | केतु कवचम

Dhyānam

dhūmravarṇaṁ dhvajākāraṁ dvibhujaṁ varadāṁgadam

citrāmbaradharaṁ kētuṁ citragandhānulēpanam |

vaiḍūryābharaṇaṁ caiva vaiḍūrya makuṭaṁ phaṇim

citraṁkaphādhikarasaṁ mēruṁ caivāpradakṣiṇam ||

kētuṁ karālavadanaṁ citravarṇaṁ kirīṭinam |

praṇamāmi sadā dēvaṁ dhvajākāraṁ grahēśvaram ||

kavacham

citravarṇaḥ śiraḥ pātu phālaṁ mē dhūmravarṇakaḥ |

pātu nētrē piṅgalākṣaḥ śrutī mē raktalōcanaḥ ||

ghrāṇaṁ pātu suvarṇābhō dvibhujaṁ siṁhikāsutaḥ |

pātu kaṇṭhaṁ ca mē kētuḥ skandhau pātu grahādhipaḥ ||

bāhū pātu suraśrēṣṭhaḥ kukṣiṁ pātu mahōragaḥ |

siṁhāsanaḥ kaṭiṁ pātu madhyaṁ pātu mahāsuraḥ ||

ūrū pātu mahāśīrṣō jānunī ca prakōpanaḥ |

pātu pādau ca mē raudraḥ sarvāṅgaṁ ravimardakaḥ ||

idaṁ ca kavacaṁ divyaṁ sarvarōgavināśanam |

sarvaduḥkhavināśaṁ ca satyamētannasaṁśayaḥ ||

॥ iti padmapurāṇē Ketu Kavacham ॥

केतु कवचम के लाभ:

केतु को एक पाप ग्रह माना जाता हैं,ज्योतिष में इसे मोक्ष का प्रतीक माना गया है, जिस किसी भी व्यक्ति की कुंडली में केतु का दोष होता है, उसके प्रत्येक कार्य में बिना बात के बाधाएँ आती ही रहती हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि देखनी पड़ती है, घरेलू झगड़े, कलह, स्त्री कष्ट और जीवन में भटकाव बना रहता है। इन बाधाओं के निवारण के लिए केतु कवच का पाठ करना महत्वपूर्ण माना जाता हैं। केतु कवच का नित्य पाठ करने से साधक को सभी कष्टों, दुखो, बुरी नज़र, ग्रह दोष आदि से सुरक्षा प्राप्त होने लगती हैं

साधक विभिन्न प्रकार के रोगों, गंभीर बीमारियों के नकारात्मक प्रभाव से बचने लगता हैं। साधक की कुंडली से केतु दोष दूर होने लगता हैं तथा उसे आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होने लगती हैं। यदि केतु ग्रह कवच को धारण करके केतु कवचम का पाठ किया जाए, तो साधक के मन से सभी प्रकार के तनाव, चिंता, भय दूर होने लगते हैं। केतु गुटिका भी अत्यंत लाभकारी हैं। केतु कवचम का पाठ करने के साथ केतु गुटिका को धारण करने से साधक को सद्बुद्धि प्रप्त होने लगती हैं, वह केतु के बने दोष से पूरी तरह सुरक्षित रहता है, उसे अपने प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होने लगती हैं।