Kundalini Yoga Benefits/कुण्डलिनी योग के लाभ
Method of Kundalini Yoga (Kundalini Yoga Benefits/कुण्डलिनी योग):
Keep a little distance between your feet and stand straight. One by one heat the hip with the heel. Remember that the leg should come to its initial position after hitting and repeat it at least 25 times.
Kundalini Yoga Benefits:
This energizes and it awakens the Kundalini, the person comes to know the truth of life. Who is successful doing so, becomes free.
For the perineum circle of Kundalini Yoga:
Join your feet so that thighs are also joined. Keep the body straight and try to join the perineum and hip and through anus try to pull air and breathe normally. In fact the breathe stops when this is done and for using much forces the body starts trembling. Repeat it 2nd time but keeping the feet distance more 5 inches. Do this for 5 minutes.
Kundalini Yoga Benefits:
This makes an old man a youth. It reduces the stored waste products inside the body.
For Swadhisthan Circle of Kundalini Yoga (Kundalini Yoga Benefits):
Keep the feet at a distance of one foot and try to take in air through anus by pulling the muscle inside. When this is done, breathing stops. It needs a lot of energy and legs, knees and thighs start trembling. So this should be done very carefully.
Note of Kundalini Yoga (Kundalini Yoga Benefits):
While defecating or urinating the force is exerted downwards but here force is exerted upwards.
Kundalini Yoga Benefits:
Kundalini Yoga (Kundalini Yoga Benefits) helps in celibacy.
It helps to have more time in ejaculation.
Kundalini Yoga (Kundalini Yoga Benefits) is helpful for the women suffering from leucorrhea.
The person suffering from syphilis, wet dream, sexual problems, problems in ovary, diabetes, hemorrhoid, piles will be cured.
कुण्डलिनी योग के लाभ/Kundalini Yoga Benefits
कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga Benefits) विधि: अपने दोनों पैरों में थोड़ी दूरी रख पैरों से सिर तक के भाग को सीधा कर खड़े हो जाओ तथा दोनों पैरों को बारी बारी नितम्ब पृष्ठ पर जोर से मारो, नीचे आते समय पैर अपने स्थान पर ही पड़ने चाहिए। यह क्रम आरम्भ में 25 बार करो।
लाभ: इस क्रिया के दैनिक अभ्यास द्वारा कुंडलिनी (Kundalini Yoga Benefits) जाग्रत होती है, व्यक्ति को सत्य का ज्ञान प्राप्त होता है। जो व्यक्ति इसे जगा लेता है, मुक्त हो जाता है।
मूलाधार चक्र के लिए:
कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga Benefits) विधि: अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाओ, जंघाएँ आपस में सटी हो और पैरों से सिर तक का भाग सीधा कर गर्दन समावस्था में रखकर खड़े होकर मूलाधार तथा नितम्बपृष्ठ को दृढ़ता पूर्वक मिलाओ और गुदा को अंदर की शक्ति द्वारा अपान वायु समेत ऊपर खींचो और साधारण ढंग से सांस लेते रहें। वास्तव में जब यह क्रिया की जाती है तो सांस की गति रुक जाती है और अधिक बल लगने के कारण शरीर कांपने लगता है। इस व्यायाम को दोबारा करो पर इस बार पैरों में चार अंगुल की दूरी होनी चाहिए। यह व्यायाम आरम्भ में 5 मिनट तक करो।
लाभ (Kundalini Yoga Benefits): जब अपान वायु ऊपर खींची जाती है तो मूलबन्ध लग जाता है। जब अपान और प्राण वायु मिलते है तो मलमूत्र का क्षय होता है। सूक्ष्मता स्थूलता का स्थान ले लेती है। बूढ़े व्यक्ति भी इस व्यायाम के अभ्यास द्वारा जवान बन जाते है।
स्वाधिष्ठान चक्र के लिए:
व्यायाम विधि: अपने दोनों पैरों के बीच एक हाथ की दूरी रख सीधे खड़े होकर उपस्थ को गुदा समेत अन्दर की शक्ति से ऊपर की ओर खींचने का प्रयत्न करो, जब यह क्रिया की जाती है तो वास्तव में सांस की गति रुक जाती है और बहुत बल लगता है इसलिए पाँव, घुटना, जंघा आदि में कम्पन्न होने लगती है। इसलिए इस क्रिया को अच्छी प्रकार समझ कर सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
नोट: मलमूत्र त्यागने में नीचे की ओर बल लगाया जाता है परन्तु मूल बंध और उपस्थ की इस क्रिया में बल इससे उलट (ऊपर की ओर) लगाया जाता है।
कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga Benefits) के लाभ:
कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga Benefits) से ब्रहमचर्य की पुष्टि होती है।
स्तम्भन शक्ति बढती है।
कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga Benefits) से ल्यूकोरिया से पीड़ित स्त्रियों के लिए यह व्यायाम अत्यंत लाभदायक है।
सुजाक, आतशक, प्रमेह, स्वप्न दोष, यौन सम्बन्धी विकार, गर्भाशय के दोष, मधुमेह, भगन्दर, दोनों प्रकार की अर्श, आदि असाध्य रोग समूल नष्ट हो जाते है।