Kushmanda Devi Kavach, कुष्मांडा देवी कवच

Kushmanda Devi Kavach | कुष्मांडा देवी कवच

Kushmanda Devi Kavach (कुष्मांडा देवी कवच): On the fourth day of Navratri, Kushmanda Devi, the fourth form of Goddess Durga is worship. This goddess, who created the universe with her gentle smile, is said to be the original form of creation. Due to Kushmanda Devi residing in the world within the solar system, her appearance is very stunning. The seeker starts gaining Energy, Enthusiasm, Age, Fame, Strength and Good health by recites Kushmanda Devi Kavach.

If the seeker recites Kushmanda Devi Kavach regularly. Then all the sorrows, sufferings, fear and grief etc. Coming in his life automatically start going away. The person gets relief from various types of diseases by wearing Durga Kavach with recites Kushmanda Devi Kavach. Even the biggest problems gradually start going away. The seeker’s good fortune, good health and wealth start make better. All types of poverty go away. There is no shortage of any kind to be seen in life. Maa Kushmanda Devi removes all the sorrows of the person wearing this kavach.

कुष्मांडा देवी कवच | Kushmanda Devi Kavach

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥

Kushmanda Devi Kavach | कुष्मांडा देवी कवच

Hansarai Men Shir Patu Kooshmande Bhavanashinim।

Hasalakarim Netrech, Hasaraushch Lalatakam॥

Kaumari Patu Sarvagatre, Varahi Uttare Tatha, Purve Patu Vaishnavi Indrani Dakshine Mam।

Digivdikshu Sarvatrev Koom Bijam Sarvadavatu॥

कुष्मांडा देवी कवच के लाभ:

नवरात्री के चौथे दिन माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। अपनी हल्की मुस्कान के द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली इस देवी को सृष्टि का आदि स्वरूप कहा जाता हैं। कुष्मांडा देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में होने के कारण इनका स्वरूप बहुत ही तेजस्वी हैं। कुष्मांडा देवी कवच का पाठ करने से साधक को ऊर्जा,उत्साह, आयु, यश, बल और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होने लगती हैं। यदि साधक कुष्मांडा देवी कवच का नित्य पाठ करता हैं, तो उसके जीवन में आने वाले सभी दुःख, कष्ट, भय और शोक आदि स्वत: ही दूर होने लगते है, साधक को सभी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होने लगती हैं

कुष्मांडा देवी के कवच का पाठ करने के साथ दुर्गा कवच धारण करने से विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलने लगती हैं। बड़े से बड़े संकट धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। साधक के सौभाग्य, अच्छे स्वास्थ्य और धन में उन्नति होने लगती हैं। सभी प्रकार की दरिद्रता दूर होती है, जीवन में किसी तरह से कोई आभाव देखने को नही मिलता, माँ कुष्मांडा देवी इस कवच को धारण किये हुए साधक के सभी दुःख दूर कर देती है।