माँ छिन्नमस्ता स्तुति/Maa Chhinnamasta Stuti
माँ छिन्नमस्ता स्तुति/Maa Chhinnamasta Stuti
छिन्न्मस्ता करे वामे धार्यन्तीं स्व्मास्ताकम,
प्रसारितमुखिम भीमां लेलिहानाग्रजिव्हिकाम,
पिवंतीं रौधिरीं धारां निजकंठविनिर्गाताम,
विकीर्णकेशपाशान्श्च नाना पुष्प समन्विताम,
दक्षिणे च करे कर्त्री मुण्डमालाविभूषिताम,
दिगम्बरीं महाघोरां प्रत्यालीढ़पदे स्थिताम,
अस्थिमालाधरां देवीं नागयज्ञो पवीतिनिम,
डाकिनीवर्णिनीयुक्तां वामदक्षिणयोगत: ||
Maa Chhinnamasta Stuti/माँ छिन्नमस्ता स्तुति
Chhinmasta kare vaame dharyanti swamastakam,
Prasaramukhim Bhima Lelihanagrajivikam,
Pivanti rodhirin dharam nijakanthavinirgatam,
Vikarnakeshpashanscha Nana Pushpa Samytham,
Do dakshine f kartri mundmalavibhushitam,
Digambarin Mahaghoran Pratalidhapade status,
Asthimaladharan Devi Nagyagno Pavitinim,
Dakinivarniniyuktam Left Dakshinayogat: ||
माँ छिन्नमस्ता स्तुति/Maa Chhinnamasta Stuti विशेषताए:
माँ छिन्नमस्ता स्तुति के साथ-साथ यदि छिन्नमस्ता माला से जाप किया जाए तो, इस स्तुति का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तुति शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तुति का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तुति का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तुति का पाठ करे|
माँ छिन्नमस्ता स्तुति के पाठ के साथ साथ छिन्नमस्ता गुटिका को भी धारण करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही माँ छिन्नमस्ता की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस माँ छिन्नमस्ता स्तुति पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|- Maa Chhinnamasta Stuti