माँ धूमावती स्तुति | Maa Dhumavati Stuti
माँ धूमावती स्तुति/Maa Dhumavati Stuti
विवर्णा चंचला कृष्णा दीर्घा च मलिनाम्बरा,
विमुक्त कुंतला रूक्षा विधवा विरलद्विजा,
काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा,
सूर्पहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता,
प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा,
क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा काल्हास्पदा |
Maa Dhumavati Stuti | माँ धूमावती स्तुति
Vivarna Chanchala Krishna Gallery Ch Malinambara,
Vimukt Kuntala Ruksha Widow Virladvija,
Kakdhwajaratharuda delayed Payodhara,
Surpahastatirukshakshi Dhruthahasta Varanvita,
Pravrddhghona ye bhrisham crooked crooked,
Kshutpipasardita nityam bhayada kalahaspada.
माँ धूमावती स्तुति विशेषताएँ:
इस स्तुति के साथ-साथ यदि धूमावती अष्टकम या धूमावती स्तोत्र का पाठ किया जाए तो, इस स्तुति का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तुति शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तुति का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तुति का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तुति का पाठ करे|
इस स्तुति के पाठ के साथ साथ धूमावती गुटिका को भी धारण करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही माँ धूमावती की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस स्तुति पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है| और माँ धूमावती का पाठ करने से बुरी शक्ति दूर रहेती है|- Maa Dhumavati