गीर ललिताम्बिका स्तुति/Maa Lalitambika Stuti
गीर ललिताम्बिका स्तुति/Maa Lalitambika Stuti
कञ्जाक्षमुख्यामर पूजिताभ्यां निजाश्रिताशेषवरप्रदाभ्याम्।
शृङ्गाद्रिकाञ्चीपुरवासिनीभ्यां नमो नमो गीर्ललिताम्बिकाभ्याम्॥१॥
एकान्तपूजापरितुष्टहृद्भ्या-मेकाक्षरीशीलनलब्धपद्भ्याम्।
विधीशचित्ताब्जरविप्रभाभ्यां नमो नमो गीर्ललिताम्बिकाभ्याम्॥२॥
ईहाम्बुधेर्बाडवभारभृद्भ्या-मीकारयुङ्मन्त्रविबोधिताभ्याम्।
अजास्य शम्भ्वङ्कविभूषणाभ्यां नमो नमो गीर्ललिताम्बिकाभ्याम्॥३॥
Maa Lalitambika Stuti/गीर ललिताम्बिका स्तुति
Kanjakshamukhyamar pujitabhyam nijashritashesvarpradabhyaam.
Shringadrikanchipurvasinibhayam Namo Namo Girallitambikabhayam॥1॥
Solitude-worshipparitushta-heartbhya-mekaksharisheelalabdhapadbhayam.
Vidhishchittabjaviprabhabhayam Namo Namo Girallitambikabhayam॥2॥
Ihambudherbadavbharabhridbhaya-mikaryummantravibodhitabhyaam.
Ajasya shambhavankvibhushanabhyaam namo namo girallitambikabhayam॥3॥
गीर ललिताम्बिका स्तुति/Maa Lalitambika Stuti विशेषताए:
गीर ललिताम्बिका स्तुति का पाठ करने से मन शांत रहेता है और , इस स्तुति का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तुति शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तुति का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तुति का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तुति का पाठ करे|
इस स्तुति के पाठ से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही ललिता माँ की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस गीर ललिताम्बिका स्तुति पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|