Maa Tara Kavacham | माँ तारा कवच
Maa Tara Kavacham (माँ तारा कवच): The word “Tara” symbolizes light. Goddess Tara is known as the second Mahavidya among the 10 Mahavidyas. Happiness and prosperity start residing in the seeker’s home and family by reciting the Maa Tara Kavacham. It is observed, that nowadays every seeker needs someone’s guidance every moment to run his life smoothly. By reciting this kavach, the seeker starts experiencing the presence of Goddess Tara. The seeker starts getting a lot of benefits by reciting Maa Tara Kavacham. Mahavidya Tara helps her devotees to support and show the right direction.
Due to which the seeker becomes capable of facing various challenges of life and overcoming all the obstacles with courage and determination. If the position of planets in a seeker’s horoscope is inauspicious then he has to face a lot of problems throughout his life. In such a situation, if Maa Tara Kavacham is recited in front of Mahavidya Tara Yantra. Then the negative energy of the planets starts converting into positive energy. Due to which even the spoiled works of the seeker start getting completed. he starts achieving inner peace and happiness. The seeker starts getting mental peace and the stressful situation starts going away from his life.
माँ तारा कवच | Maa Tara Kavacham
ॐ कारो मे शिर: पातु ब्रह्मारूपा महेश्वरी । ह्रींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी ।।
स्त्रीन्कार: पातु वदने लज्जारूपा महेश्वरी । हुन्कार: पातु ह्रदये भवानीशक्तिरूपधृक् ।
फट्कार: पातु सर्वांगे सर्वसिद्धिफलप्रदा ।
नीला मां पातु देवेशी गंडयुग्मे भयावहा । लम्बोदरी सदा पातु कर्णयुग्मं भयावहा ।।
व्याघ्रचर्मावृत्तकटि: पातु देवी शिवप्रिया । पीनोन्नतस्तनी पातु पाशर्वयुग्मे महेश्वरी ।।
रक्त वर्तुलनेत्रा च कटिदेशे सदाऽवतु । ललज्जिहव सदा पातु नाभौ मां भुवनेश्वरी ।।
करालास्या सदा पातु लिंगे देवी हरप्रिया । पिंगोग्रैकजटा पातु जन्घायां विघ्ननाशिनी ।।
खड्गहस्ता महादेवी जानुचक्रे महेश्वरी । नीलवर्णा सदा पातु जानुनी सर्वदा मम ।।
नागकुंडलधर्त्री च पातु पादयुगे तत: । नागहारधरा देवी सर्वांग पातु सर्वदा ।।
।। इति माँ तारा कवच समाप्त ।।
Maa Tara Kavacham | माँ तारा कवच
Om Karo Me Shir: Patu Bramarupa Maheshvari। Hrinkar: Patu Lalate Bijarupa Maheshvari।।
Strinkar: Patu Vadane Lajjaarupa Maheshvari। Hunkar: Patu Hradaye Bhavanishaktirupdhruk।
Fatkar: Patu Sarvange Sarvasiddhifalprada।
Nila Maam Patu Deveshi Gandayugme Bhayavaha। Lambodari Sada Patu Karnyugmam Bhayavaha।।
Vyagracharmavruttakati: Patu Devi Shivpriya। Pinonnatastani Patu Pasharvayugme Maheshvari।।
Rakt Vartulanetra Ch Katideshe SadaऽVatu। Lalajjihav Sada Patu Nabhou Maam Bhuvaneshvari।।
Karaalasya Sada Patu Linge Devi Harapriya। Pingograikajata Patu Janghayam Vignanashini।।
Khadgahasta Mahadevi Januchakre Maheshvari। Nilavarna Sada Patu Januni Sarvada Mam।।
Nagakundaldhartri Ch Patu Padayuge Tat:। Nagaharadhara Devi Sarvang Patu Sarvada।।
।। Iti Maan Tara Kavach Samaapt ।।
माँ तारा कवच के लाभ:
“तारा” शब्द प्रकाश का प्रतीक हैं। देवी तारा को 10 महाविधाओं में दूसरी महाविधा के रूप में जाना जाता हैं। माँ तारा कवच का पाठ करने से साधक के घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होने लगता हैं। ऐसा देखा गया हैं, कि आजकल प्रत्येक साधक को अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रत्येक क्षण किसी न किसी के मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती हैं। इस कवच का पाठ करने से साधक को देवी तारा की उपस्थिति का अनुभव होने लगता हैं और उसे जीवन के प्रत्येक मार्ग पर मार्गदर्शन मिलने लगता हैं। माँ तारा कवच का पाठ करने से साधक को बहुत अधिक लाभ प्राप्त होने लगते हैं। महाविद्या तारा अपने साधको को समर्थन देने, सहारा देने और सही दिशा दिखाने में सहायता करती हैं।
जिससे साधक जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना करने तथा सभी बाधाओं को साहस और दृढ़ संकल्प के साथ दूर करने में सक्षम बनने लगता हैं। यदि किसी साधक की कुंडली में ग्रहो की दशा अशुभ हो, तो उसे जीवन भर अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। ऐसी स्थिति में, यदि महाविधा तारा यंत्र के सामने माँ तारा कवच का पाठ किया जाए, तो ग्रहो की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होने लगती हैं, जिससे साधक के बिगड़े हुए काम भी बनने लग जाते हैं, तथा उसे आंतरिक शांति और सुख की प्राप्ति होने लगती हैं। मानसिक शांति प्राप्त होने लगती हैं और उसके जीवन से तनाव की स्थिति दूर होने लगती हैं।