Moon Mantra, चन्द्र ग्रह मन्त्र

Moon Mantra | चन्द्र ग्रह मन्त्र

Moon Mantra/चन्द्र ग्रह मन्त्र: Moon is the cool types of satellite. It is the master of Cancer and its constellations are Rohini, Hasta and Shravan. It is feminine in form and having regal qualities. Taurus is its higher and Scorpio is its mean zodiac. Its friendly zodiacs are Gemini, Leo and Virgo. It keeps sight on the 7th house from its place. It remains in one zodiac for 2 and quarter days. This changes its position quickly and it gives instant result for which a regular change in people’s mind. When it is in Rohini, Sravan, Visakha and eastern Bhadra constellation, it gives providential results. It has an enmity with Sun. Its Mahadasha remains for 10 years.

Who has to do this Sadhana?

Although moon is the calm satellite but by its malefic effects it gives mental agony, suicidal tendency, get addicted, money loss, fighting, tantric hindrances, financial scarcity, poverty, unsuccessful in work, domestic anxiety and anguishes, suffer from Cancer, blood pressure, cardiac problems, cough, acne and boils, stomach disorder, forming gas, drowning, increasing expenditure on medicines etc.

If you are suffering from such symptoms, it shows that some where Moon is not in your favor. There are many ways to protect from this effect but out of them Sadhana is the best of them. Sadhana will completely eradicate the malefic effects. The effect of this Sadhana works very soon.

For the reason or other if you are unable to perform the Sadhana, you can chant the Tantrokta spell 5 rosaries daily by sitting on a white seat and with the White Hakik rosary or Rudraksha rosary. It is seen that after the chanting is over, within a few days again the problem starts. Hence it is better to perform the Sadhana and you can hire a Pundit for it.

The Gem for Moon:

According to gemology, the gem of Moon is Pearl and sub gem is Moon stone. On any Monday during evening time hold a pearl or Moon stone of 5 whits on a ring of silver and retain it on the little finger of right hand.

Method of Moon Mantra Sadhana:

One can start this Sadhana on a Guru Pushya constellation or any Monday. This Sadhana is done between evening 9.12 pm to 10.48 pm. For doing this the Sadhak should wear white dress after taking bath. Sit facing North –East direction. Put a wooden stool before you covered with a white cloth. Place an image of Lord Shiva and pray for the success of the Sadhana. Put a platter before the image. Make a symbol of moon with white sandalwood. Fill the place with rice (Unbroken). On that put the sainted and energized Chandra Yantra. Burn the ghee lamp before it, and after a brief worship perform the appropriation.

Appropriation:

ॐ अस्य चन्द्र मन्तस्य विरूपाक्ष, ऋषि:, गायत्री छन्द:, धरात्मजी चंद्रो देवता, ह्रां बीजम् हंस: शक्ति:, सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोग: ।

After appropriation go for moon meditation

जपाभं शिवस्वेदजं हस्तपद्दैगर्दाशूल शक्ति करे धारयन्तम्।
अवंती समुत्थं सुभेषासनस्थं वराननं रक्तवस्त्रं समीडे ॥

After the meditation once again worship the Chandra Yantra and with white Hakik rosary or Rudraksha rosary chant Chandra Gayatri Mantra and Chandra Sattvic Mantra one rosary each.

Chandra Gayatri Mantra:

॥ ॐ अमृताङगाय विधमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोम: प्रचोदयात् ॥

Chandra Sattvic Mantra:

॥ॐ सों सोमाय नम: ॥

Thereafter the Sadhak should chant Chandra Tantrokta Mantra 23 rosaries for 11 days.

Chandra Tantrokta Mantra:

॥ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:

Chandra Stotra: After chanting the Mantra, recite the Chandra Stotra in Hindi or Sanskrit.

ॐ श्र्वेताम्बर: श्र्वेतवपुः किरीट श्र्वेतद्दुतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।
चन्द्रोऽमृतात्मा वरद: शशाङक: श्रेयांसि महं प्रददातु देव: ॥1॥
दधिशङखतुषाराभं  क्षीरोदार्णवसम्भवम् ।
नमामि शशिनंसोमंशम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥2॥
क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणीसहित: प्रभु : ।
हरस्य मुकटावास बालचन्द्र नमोस्तु ते ॥3॥
सुधामया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम् ।
सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम् ॥4॥
राके शंतारके शं च रोहिणी प्रियसुन्दरम् ।
ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुह: ॥5॥

Meaning of Moon Mantra Stotra:

  • White dressed, fair skinned, crowned, holding white stick, having two hands, having the body of nectar, giver of blessings, holding rabbit in the hand please favor me. ॥1॥
  • Clear like conch and ice, born in ocean of dessert. Decorating the head of Lord Shiva, with benign form moon, I salute you time and again. ॥2॥
  • Born in ocean of dessert, living with Rohini constellation, decorating the crown of Lord Shiva, O moon I salute you. ॥3॥
  • The giver of calm rays of nectar, the protector of medicines, the giver of pleasantries to living things, O moon I salute you. ॥4॥
  • The master of constellation, beloved to Rohini, most beautiful, and problems remover of own devotees, I salute you time and again.॥5॥

End of Moon Mantra Sadhana:

It is an accomplishment of 11 days. During the span of the accomplishment follow the rules of accomplishment thoroughly. Fearlessly with full trust chant the Moon Mantra for 11 days. Prior to the chanting a brief worship is to be done. Keep this Moon Mantra performance secret. For 11 days the number of spell you have recited, 10% of that number should be chanted while performing Yajna with pepper, five dry fruits, and pure ghee. After the Yajna donate the Mascot in any Shiva Temple and other materials throw in flowing water. This Moon Mantra will be treated as a complete accomplishment. This Moon Mantra will fulfil your desire very soon. Poverty will be removed completely.

Moon Mantra, चन्द्र ग्रह मन्त्र

चन्द्र ग्रह मन्त्र | Moon Mantra

चंद्रमा शीतल प्रकृति का ग्रह है। यह कर्क राशि का स्वामी है तथा इसके नक्षत्र रोहिणी, हस्त और श्रवण कहे जाते हैं। यह स्त्री स्वरुप एवं राजस गुण वाला ग्रह है। वृष राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में निम्न का माना जाता है। चन्द्रमा की मित्र राशियाँ मिथुन, सिंह तथा कन्या हैं। यह अपने स्थान से सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है, यह ग्रह एक राशि पर सवा दो दिन रहता है। चन्द्रमा अपनी राशि शीघ्र ही बदलता है

यह तुरन्त लाभ और हानि देने वाला ग्रह है। जिसके कारण शीघ्र ही मनुष्य के स्वभाव में परिवर्तन होता रहता है जब-जब रोहिणी, हस्त, श्रवण, पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र आते हैं तो चन्द्रमा उत्तम फल देता है। चन्द्र के साथ इसका राज योग है और सूर्य के साथ शत्रुता भाव है। विन्शोत्तरी दशा के अनुसार चन्द्रमा की महादशा 10 वर्ष की होती है।

चन्द्र साधना कौन करे?

चन्द्र शान्त प्रकृति का ग्रह है पर इसके विपरीत प्रभाव से आकस्मिक मानसिक कष्ट, मेंटल होना, आत्महत्या की कोशिश करना, नशा करना, धन हानि, लडाई-झगड़ें, तंत्र बाधा, मृत्यु, घर में मांगलिक कार्य न होना, अपमान, घर में क्लेश बना रहना, तनाव, आर्थिक तंगी, गरीबी, किसी भी कार्य में सफल न होना, व्यापार न चलना, भाग्य साथ न देना, केंसर होना, ब्लड-प्रेशर, हृदय रोग, कफ बनना, ख़ासी, फोड़ा-फुंसी, पेट के रोग, गैस बनना, पानी में डूबना, अत्यधिक मानसिक कष्ट, बीमारियों पर पैसा खर्चा होना, जीवन में असफलता आदि सब चन्द्र की महादशा, अंतर दशा, गोचर या चन्द्र के अनिष्ट योग होने पर होता है।

यदि आपके जीवन में इस तरह की कोई समस्या आ रही है तो कहीं न कहीं चन्द्र ग्रह आपको अशुभ फल दे रहा है। चन्द्र ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए अन्य बहुत से उपाय है पर सभी उपायों में मन्त्र का उपाय सबसे अच्छा माना जाता है। इन मंत्रों का कोई नुकसान नहीं होता और इसके माध्यम से चन्द्र ग्रह के अनिष्ट से आसानी से पूर्णता बचा जा सकता है। इसका प्रभाव शीघ्र ही देखने को मिलता है।

किसी कारणवश आप यदि साधना न कर सके तो चन्द्र तांत्रोक्त मन्त्र की नित्य 5 माला सफ़ेद आसन पर बैठकर सफ़ेद हकीक माला से या रुद्राक्ष माला से जाप करें। तब भी चन्द्र घर का विपरीत प्रभाव शीघ्र समाप्त होने लग जाता है पर ऐसा देखा गया है कि मंत्र जाप छोड़ने के बाद फिर पुन: आपको चन्द्र ग्रह के अनिष्ट प्रभाव देखने को मिल सकते है इसलिए साधना करने का निश्चय करे तो ही अधिक अच्छा रहेगा। अगर आप साधना नहीं कर सकते तो आप किसी योग्य पंडित से करवा भी सकते है।

चन्द्र का रत्न:

रत्न विज्ञान के अनुसार चन्द्र ग्रह का रत्न मोती है और इसका उपरत्न मून स्टोन है। सोमवार के दिन शाम को सवा पांच रत्ती का मोती या मून स्टोन रत्न दाहिने हाथ की कनिष्ठिका (सबसे छोटी अंगुली) अंगुली में चांदी की अंगूठी बनवाकर धारण करना चाहिये।

चन्द्र ग्रह मन्त्र विधान:

चन्द्र साधना को गुरु पुष्य योग या किसी भी सोमवार से प्रारम्भ कर सकते है। यह साधना शाम को या रात्रि (9:12 से 10:48 बजे तक) के बीच करनी चाहिए। इसको करने के लिए साधक स्नान आदि से पवित्र होकर सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण कर लें। ईशान (पूर्व और उत्तर के बीच) दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर सफ़ेद रंग का कपड़ा बिछा दें। चौकी पर सामने शिव (गुरु चित्र) चित्र या मूर्ति स्थापित कर मन ही मन शिवजी से साधना में सफलता हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें। शिव चित्र के सामने एक थाली रखे। उस थाली में सफ़ेद चन्दन से चन्द्रमा की आक्रति बनाये, उसमें बिना टूटे चावल भर दें, उसके ऊपर प्राण प्रतिष्ठा युक्त “चन्द्र यंत्र’ स्थापित कर दें। यंत्र के सामने दीपक शुद्ध घी का जलाये फिर संक्षिप्त पूजन कर दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर विनियोग करें–

विनियोग:

ॐ अस्य चन्द्र मन्तस्य विरूपाक्ष, ऋषि:, गायत्री छन्द:, धरात्मजी चंद्रो देवता, ह्रां बीजम् हंस: शक्ति:, सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोग: ।

विनियोग के पश्चात् चन्द्र का ध्यान करें—

जपाभं शिवस्वेदजं हस्तपद्दैगर्दाशूल शक्ति करे धारयन्तम्।

अवंती समुत्थं सुभेषासनस्थं वराननं रक्तवस्त्रं समीडे

ध्यान के पश्चात् साधक एक बार पुन: ‘चन्द्र यंत्र’ का पूजन कर, पूर्ण आस्था के साथ ‘सफ़ेद हकीक माला’ या रुद्राक्ष माला से चन्द्र गायत्री मंत्र की एवं चन्द्र सात्विक मंत्र की एक-एक माला मंत्र जप करें-

चन्द्र गायत्री मंत्र :           

॥ ॐ अमृताङगाय विद्दहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोम: प्रचोदयात् ॥

सात्विक चन्द्र मंत्र:          

॥ॐ सों सोमाय नम: ॥

इसके बाद साधक चन्द्र तांत्रोक मंत्र की नित्य 23 माला 11 दिन तक जाप करे।

चन्द्र तांत्रोक्त मंत्र:  

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:

चन्द्र स्तोत्र: नित्य मन्त्र जाप के बाद चन्द्र स्तोत्र का पाठ हिन्दी या संस्कृत में अवश्य करें –

ॐ श्र्वेताम्बर: श्र्वेतवपुः किरीट श्र्वेतद्दुतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।

चन्द्रोऽमृतात्मा वरद: शशाङक: श्रेयांसि महं प्रददातु देव: ॥1॥

दधिशङखतुषाराभं  क्षीरोदार्णवसम्भवम् ।

नमामि शशिनंसोमंशम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥2॥

क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणीसहित: प्रभु : ।

हरस्य मुकटावास बालचन्द्र नमोस्तु ते ॥3॥

सुधामया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम् ।

सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम् ॥4॥

राके शंतारके शं च रोहिणी प्रियसुन्दरम् ।

ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुह: ॥5॥

स्तोत्र का भावार्थ:

  • श्वेत वस्त्र धारी, गौरवर्ण, मुकुट पहने हुए, श्वेत रंग का दण्ड धारण किये हुए, दो भुजा वाले, अमृतमय देह्युक्त, वरदान देने वाले अपनी गोद में खरगोश को रखे हुए भगवान चन्द्रमा मेरे लिए कल्याणकारी हों।॥1॥
  • दीप, शंख तथा बर्फ की तरह स्वच्छ, क्षीर सागर से उत्पन्न, भगवान शिव के मुकुट में सुशोभित, सौम्य रूप वाले भगवान् चन्द्रमा को बारम्बार नमन करता हूं।॥2॥
  • क्षीर सागर से उत्पन्न, रोहिणी नक्षत्र साथ रहने वाले, भगवान शिव के मुकुट में सुशोभित बल चन्द्र को प्रणाम करता हूं।॥3॥
  • अमृतमय किरणों वाले, औषधियों को पुष्ट करने वाले समस्त प्राणियों को आनन्दित करने वाले, सागर पुत्र चन्द्रमा को नमन हो।॥4॥
  • नक्षत्रों के अधिपति, रोहिणी प्रिय, सुन्दरतम अपने भक्तों के विघ्नों को दूर करने वाले भगवान चन्द्रमा को बारम्बार नमन करता हूं।॥5॥

चंद्र मंत्र साधना की समाप्ति:

चन्द्र साधना ग्यारह दिन की है। साधना के बीच साधना नियम का पालन करें। भय रहित होकर पूर्ण आस्था के साथ ग्यारह दिन मंत्र जप करें, नित्य जाप करने से पहले संक्षिप्त पूजन अवश्य करें। साधना के बारे में जानकारी गुप्त रखें। ग्यारह दिन तक चन्द्र ग्रह मन्त्र का जाप करने के बाद मंत्र का दशांश (10%) या संक्षिप्त हवन करें, हवन के पश्चात् यंत्र को अपने सिर से उल्टा सात बार घुमाकर दक्षिण दिशा में किसी निर्जन स्थान या पीपल के नीचे रख दें। इस तरह से यह साधना पूर्ण मानी जाती है, धीरे-धीरे चन्द्र अपना अनिष्ट प्रभाव देना कम कर देता है, चन्द्र से संबंधित दोष आपके जीवन से समाप्त हो जाते है।

Chandra Grah Vedic Mantra | चन्द्र ग्रह वैदिक मंत्र