Narayanastra Kavach, नारायणास्त्र कवच

Narayanastra Kavach | नारायणास्त्र कवच

Narayanastra Kavach (नारायणास्त्र कवच) is an extremely powerful kavach. In the scriptures, Narayanastra called the last power of Triloki. Due to the effect of this Astra the enemies are destroyed. If a person feels that an enemy is trying to harm him, hindering his work, making conspiracy to wasting his money. So, in such a situation, one must recites Narayanastra Kavach. person gets victory over the enemies and the enemies start becoming his friends by reciting this kavach regularly. Do you want to achieve more success in life? Want to get ahead from your enemies? Do you want to get special respect and prestige in the society? Then you must recite this kavach.

The obstacles in life start going away by reciting Narayanastra Kavach. This kavach makes you unique, which leads to success in every field of work. Wherever Lord Narayan is, Goddess Lakshmi automatically resides there. Therefore, if Narayana Yantra is placed in your home or workplace along with reciting this kavach, your business will increase. Money is gain and all financial problems start going away. If Narayanastra Kavach is recited in regular worship, then Lord Narayana himself protects you. Due to which, there is no effect of any Negative energy, Evil eye, Sorcery, Graha dosha, Enemy obstruct on you throughout the day.

नारायणास्त्र कवच

हरिः

 ॐ नमो भगवते श्रीनारायणाय नमो नारायणाय विश्वमूर्तये नमः श्री पुरुषोत्तमाय पुष्पदृष्टिं प्रत्यक्षं वा परोक्षं अजीर्णं पञ्चविषूचिकां हन हन ऐकाहिकं द्वयाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिकं ज्वरं नाशय नाशयचतुरशितिवातानष्टादशकुष्ठान् अष्टादशक्षय रोगान् हन हन सर्वदोषान् भंजय भंजय तत्सर्वं नाशय नाशय आकर्षय आकर्षय शत्रून् शत्रून् मारय मारय उच्चाटयोच्चाटय विद्वेषय विदे्वेषय स्तंभय स्तंभय निवारय निवारय विघ्नैर्हन विघ्नैर्हन दह दह मथ मथ विध्वंसय विध्वंसय चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ चक्रेण हत्वा परविद्यां छेदय छेदय भेदय भेदय चतुःशीतानि विस्फोटय विस्फोटय अर्शवातशूलदृष्टि सर्पसिंहव्याघ्र द्विपदचतुष्पद पद बाह्यान्दिवि भुव्यन्तरिक्षे अन्येऽपि केचित् तान्द्वेषकान्सर्वान् हन हन विद्युन्मेघनदी पर्वताटवीसर्वस्थान रात्रिदिनपथचौरान् वशं कुरु कुरु हरिः ॐ नमो भगवते ह्रीं हुं फट् स्वाहा ठः ठं ठं ठः नमः ।।

।। विधानम् ।।

एषा विद्या महानाम्नी पुरा दत्ता मरुत्वते ।

असुराञ्जितवान्सर्वाञ्च्छ क्रस्तु बलदानवान् ।। 1।।

यः पुमान्पठते भक्त्या वैष्णवो नियतात्मना ।

तस्य सर्वाणि सिद्धयन्ति यच्च दृष्टिगतं विषम् ।। 2।।

अन्यदेहविषं चैव न देहे संक्रमेद्ध्रुवम् ।

संग्रामे धारयत्यङ्गे शत्रून्वै जयते क्षणात् ।। 3।।

अतः सद्यो जयस्तस्य विघ्नस्तस्य न जायते ।

किमत्र बहुनोक्तेन सर्वसौभाग्यसंपदः ।। 4।।

लभते नात्र संदेहो नान्यथा तु भवेदिति ।

गृहीतो यदि वा येन बलिना विविधैरपि ।। 5।।

शतिं समुष्णतां याति चोष्णं शीतलतां व्रजेत् ।

अन्यथां न भवेद्विद्यां यः पठेत्कथितां मया ।। 6।।

भूर्जपत्रे लिखेन्मंत्रं गोरोचनजलेन च ।

इमां विद्यां स्वके बद्धा सर्वरक्षां करोतु मे ।। 7।।

पुरुषस्याथवा स्त्रीणां हस्ते बद्धा विचेक्षणः ।

विद्रवंति हि विघ्नाश्च न भवंति कदाचनः ।। 8।।

न भयं तस्य कुर्वंति गगने भास्करादयः ।

भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रामग्राही तु डाकिनी ।। 9।।

शाकिनीषु महाघोरा वेतालाश्च महाबलाः ।

राक्षसाश्च महारौद्रा दानवा बलिनो हि ये ।। 10।।

असुराश्च सुराश्चैव अष्टयोनिश्च देवता ।

सर्वत्र स्तम्भिता तिष्ठेन्मन्त्रोच्चारणमात्रतः ।। 11।।

सर्वहत्याः प्रणश्यंति सर्व फलानि नित्यशः ।

सर्वे रोगा विनश्यंति विघ्नस्तस्य न बाधते ।। 12।।

उच्चाटनेऽपराह्णे तु संध्यायां मारणे तथा ।

शान्तिके चार्धरात्रे तु ततोऽर्थः सर्वकामिकः ।। 13।।

इदं मन्त्ररहस्यं च नारायणास्त्रमेव च ।

त्रिकालं जपते नित्यं जयं प्राप्नोति मानवः ।। 14।।

आयुरारोग्यमैश्वर्यं ज्ञानं विद्यां पराक्रमः ।

चिंतितार्थ सुखप्राप्तिं लभते नात्र संशयः ।। 15।।

।। इति नारायणास्त्र कवच ।।

नारायणास्त्र कवच के लाभ:

नारायणास्त्र कवच एक अत्यंत शक्तिशाली कवच है, शास्त्रों में नारायणास्त्र को त्रिलोकी की अंतिम शक्ति कहा गया है। इस अस्त्र के प्रभाव से शत्रुओं का नाश होता है। यदि किसी व्यक्ति को लगता हैं, कि उसका कोई शत्रु उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहा है, उसके कार्यों में बाधाएं डाल रहा है, उसका धन बर्बाद करने का षड्यंत्र रच रहा है, तो ऐसे में, व्यक्ति को नारायणास्त्र कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कवच का नित्य पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और शत्रु उसके मित्र बनने लगते है। क्या जीवन में अधिक सफलता पाना चाहते है? अपने शत्रुओं से आगे बढ़ना चाहते है? क्या आप समाज में विशेष मान-सम्मान, प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते है? तो आपको इस कवच का पाठ अवश्य ही करना चाहिए

नारायणास्त्र कवच का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती है, यह कवच आपको अदितीय बना देता है, जिससें हर कार्य क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है। भगवान नारायण जहाँ होते है, वह माँ लक्ष्मी का वास स्वत: ही होने लगता है, इसलिए इस कवच का पाठ करने के साथ नारायण यंत्र को घर या कार्यस्थल में स्थापित किया जाये तो, आपके व्यापार में बढ़ोतरी होती हैं, धन का लाभ होता हैं और सभी आर्थिक समस्याएँ दूर होने लगती हैं। नित्य पूजा में यदि नारायणास्त्र कवच का पाठ किया जाए, तो भगवान नारायण स्वयं आपकी रक्षा करते है, जिससे पुरे दिनभर आप पर किसी भी नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र, टोना-टोटका, ग्रह दोष, शत्रु बाधा का कोई प्रभाव नही होता।