Narsingh Ashtak Kavach | नृसिंह अष्टक कवच
Narsingh Ashtak Kavach (नृसिंह अष्टक कवच): Narsingh is the most powerful form of Lord Vishnu. The person is protected from all Sorrows, Troubles, Pain, Enemy obstruct, Pitra dosha by reciting this kavach. A person who has recited this kavach any enemy can’t attack on him by trapping him in any Chakravyu. If any kind of negative energy resides in a person’s house, due to which he is not getting success in any work. As soon as the work starts, person has to face losses. So, to overcome such problem, one must recite Narsingh Ashtak Kavach.
If a person is struggling with any financial problem related to money, business, job etc. His not able to achieve success in any work and money is also being lost again and again, so in such a situation, a person must wear Narsingh Gutika, recite Narsingh Ashtak Kavach. Sorrow and poverty start going away from life by reciting Narsingh Ashtak Kavach. The economic situation starts improving and at the same time wealth increases. The person who wearing this Narsingh Gutika is not affected by Graha dosha, Tantra-Mantra-Yantra obstacles, Evil eyes etc.
नृसिंह अष्टक कवच
इंदुकोटितेज-करुणासिंधु-भक्तवत्सलम् । नंदनात्रिसूनुदत्त, इंदिराक्ष-श्रीगुरुम् ।
गंधमाल्यअक्षतादिवृंददेववंदितम् । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥1॥
मोहपाशअंधकारछायदूरभास्करम् । आयताक्ष, पाहि श्रियावल्लभेशनायकम् ।
सेव्यभक्तवृंदवरद, भूयो भूयो नमाम्यहम् । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥2॥
चित्तजादिवर्गषट्कमत्तवारणांकुशम् । तत्त्वसारशोभितात्मदत्त-श्रियावल्लभम् ।
उत्तमावतार-भूतकर्तृ-भक्तवत्सलम् । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥3॥
व्योमवायुतेज-आपभूमिकर्तृमीश्वरम् । कामक्रोधमोहरहितसोमसूर्यलोचनम् ।
कामितार्थदातृभक्तकामधेनु-श्रीगुरुम् । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥4॥
पुंडरीक-आयताक्ष, कुंडलेंदुतेजसम् । चंडुदुरितखंडनार्थ – दंडधारि-श्रीगुरुम् ।
मंडलीकमौलि-मार्तंडभासिताननं । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥5॥
वेदशास्त्रस्तुत्यपाद, आदिमूर्तिश्रीगुरुम् । नादबिंदुकलातीत-कल्पपादसेव्ययम् ।
सेव्यभक्तवृंदवरद, भूयो भूयो नमाम्यहम् । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥6॥
अष्टयोगतत्त्वनिष्ठ, तुष्टज्ञानवारिधिम । कृष्णावेणितीरवासपंचनदीसंगमम् ।
कष्टदैन्यदूरिभक्ततुष्टकाम्यदायकम् । वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम् ॥7॥
नारसिंहसरस्वती-नामअष्टमौक्तिकम् । हारकृत्यशारदेन गंगाधर आत्मजम् ।
धारणीकदेवदीक्षगुरुमूर्तितोषितम् । परमात्मानंदश्रियापुत्रपौत्रदायकम् ॥8॥
नारसिंहसरस्वतीय-अष्टकं च यः पठेत् । घोरसंसारसिंधुतारणाख्यसाधनम् ।
सारज्ञानदीर्घआयुरारोग्यादिसंपदम् । चारुवर्गकाम्यलाभ, वारंवारं यज्जपेत ॥9॥
कंडेनिंदु भक्तजनराभाग्यनिधियभूमंडलदोळगेनारसिंहसरस्वतीया ॥10॥
कंडेनिंदुउंडेनिंदुवारिजादोळपादवाराजाकमळांदोळदंतध्यानिसी ॥11॥
सुखसुवाजनारुगळा । भोरगेलान्नेकामिफळफळा । नित्यसकळाहूवा । धीनारसिंहसरस्वतीवरानना ॥12॥
वाक्यकरुणानेनसुवा । जगदोळगदंडकमंडलुधराशी । सगुणानेनीशीसुजनरिगे । वगादुनीवासश्रीगुरुयतिवरान्न ॥13॥
धारगेगाणगापुरडोलकेलाशीहरी । दासिसोनुनादयाकरुणादली । वरावीतुंगमुनाहोरावनुअनुबिना ।नारसिंहसरस्वतीगुरुचरणवन्न ॥14॥
राजगखंडीकंडीनेननमा । इंदुकडेनेनमा । मंडलादोळगेयती कुलराये । चंद्रमन्ना ॥15॥
तत्त्वबोधायाउपनिषदतत्त्वचरित नाव्यक्तवादपरब्रह्ममूर्तियनायना । शेषशयनापरवेशकायना । लेशकृपयनीवनेवभवासौपालकाना ॥16॥
गंधपरिमळादिशोभितानंदासरसाछंदालयोगेंद्रेगोपीवृंदवल्लभना ॥17॥
करीयनीयानांपापगुरु । नवरसगुसायन्नीं । नरसिंहसरस्वत्यन्ना । नादपुरुषवादना ॥18॥
नृसिंह अष्टक कवच के लाभ:
नृसिंह भगवान विष्णु का सबसे शक्तिशाली रूप हैं, नृसिंह अष्टक कवच का पाठ करने से व्यक्ति की समस्त दुःख, कष्ट, पीड़ा, शत्रु, पितृ दोष आदि से रक्षा होती हैं। इस कवच को पाठ किये हुए व्यक्ति को कोई भी शत्रु किसी भी चक्रव्यू में फ़सा कर, आक्रमण नही कर सकता। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का वास हैं, जिस कारण उसे किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही, कार्य को प्रारंभ करते ही नुकसान का सामना करना पड़ता हैं, तो ऐसी समस्या को दूर करने के लिए उसे नृसिंह अष्टक कवच का पाठ करना अवश्य ही करना चाहियें।
अगर कोई व्यक्ति धन, व्यापार, नौकरी आदि जैसी किसी आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है, किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहा है, धन का भी बार-बार नुकसान हो रहा है, तो ऐसे में व्यक्ति को नृसिंह गुटिका धारण कर, नृसिंह अष्टक कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। नृसिंह अष्टक कवच का पाठ करने से जीवन से दुःख-दरिद्रता दूर होने लगती हैं, आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है, और साथ ही साथ धन में वृद्धि होती है। इस नृसिंह गुटिका को धारण किये हुए व्यक्ति के शरीर पर ग्रह पीड़ा, तंत्र-मंत्र-यंत्र बाधा, नज़र बाधा आदि का प्रभाव नही होता।