Navagraha Kavach, नवग्रह कवच

Navagraha Kavach | नवग्रह कवच

Navagraha Kavach (नवग्रह कवच): There are many ups and downs in the life of the seeker due to the good and bad position of the planets. All the planets, constellations, worlds etc. are located in the human body, like the position of the Sun is in the human brain, the planet Mars is related to the eyes. The seeker remains affected by the inauspicious effects of some planet or the other every moment of his life, due to which he has to face various diseases and incurable diseases. The defects caused by inauspicious planet start getting removed by reciting Navagraha Kavach. This kavach removes the defects of all the nine planets.

Due to which all the sorrows are removed and the auspicious effect of good planets starts increasing. Big obstacles start disappearing from the life of the seeker. If Navgraha Rosary is worn while reciting Navagraha Kavach, then new energy is transmitted in the body. Negative thoughts go away, mental problems start going away, new paths to success in career open up. If you do business, the pending work starts getting complete, financial crisis and debt problems start getting resolve. Navagraha Ring is made of gems of nine planets. If you wear it and recite Navagraha Kavach regularly, you will be protected from all the defects caused by the nine planets and will get special success in life.

नवग्रह कवच | Navagraha Kavach

श्री गणेशाय नम:

विनियोग: सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग करे-

ॐ अस्य जगन्मंगल-कारक ग्रह- कवचस्य श्री भैरव ऋषि: अनुष्टुप छन्द: श्री सूर्यादि-ग्रहा: देवता: सर्व-कामार्थ-संसिद्धयै पठै विनियोग

तंत्रोक्त नवग्रह कवच:

ॐ ह्रीं ह्रीं सौ:में शिर: पातु श्रीसूर्य ग्रह-पति:
ॐ घौं सौं औं मे मुखं पातु श्री चन्द्रो ग्रहराजक:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां स: करौ पातु ग्रह-सेनापति: कुज: पायादथ
ॐ ह्रौं ह्रौं सौं: पदौज्ञो नृपबालक:
ॐ त्रौं त्रौं त्रौं स: कटिं पातु पातुपायादमर- पूजित:
ॐ ह्रों ह्रीं सौ: दैत्य-पूज्यो हृदयं परिरक्षतु
ॐ शौं शौं स: पातु नाभिं में ग्रह प्रेष्यं शनैश्चर:
ॐ छौं छौं स: कण्ठ देशं श्री राहुदेव मर्दक:
ॐ फौं फां फौं स: शिखो पातु सर्वांगमभितोवतु
ग्रहाशतचैते भोग देहा नित्यास्तु स्फुटित- ग्रहा:
एतदशांश – सम्भूता: पान्तु नित्यं तु दुर्जनात्
अक्षयं कवचं पुण्यं सूर्यादि-ग्रह-देवतम्
पठेद्वा पाठयेद् वापि धारयेद् यो जन: शुचि:
स सिद्धिं प्रप्युयादिष्टां दुर्लभां त्रिदशैसतु याम्
तव स्नेहवशादुक्तं जगमंगल कारकम्
ग्रहयन्त्रान्वितंकृत्वाभीष्टमक्षयमाप्नुयात
नवग्रह कवच सम्पूर्णं

नवग्रह कवच के लाभ:

ग्रहों की अच्छी और बुरी स्तिथि के कारण साधक के जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। मानव शरीर में सभी ग्रह, नक्षत्र, लोक आदि स्थित हैं, जैसे- सूर्य की स्थिति मानव मस्तिष्क में, मंगल ग्रह का सम्बन्ध नेत्र से हैं। साधक अपने जीवन में प्रत्येक क्षण किसी न किसी ग्रह के अशुभ प्रभाव से ग्रसित रहता ही है, जिस कारण उसे विभिन्न रोगों, लाइलाज बीमारियों का सामना करना पड़ता हैं। नवग्रह कवच का पाठ करने से अशुभ ग्रहों के बने दोष दूर होने लगते हैं। यह कवच सभी नवग्रहों के दोषों को दूर करता है, जिससे समस्त दुखो का निवारण होता है तथा अच्छे ग्रहो का शुभ प्रभाव बढ़ने लगता हैं

साधक के जीवन से बड़ी-बड़ी बाधायें दूर होंने लगती हैं। नवग्रह कवच का पाठ करते समय नवग्रह माला को धारण किया जाए, तो शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार होता है, नाकारात्मक विचार दूर होते है, मानसिक समस्या दूर होने लगती है, करियर में सफलता के नये-नये रास्ते खुलते है। यदि व्यवसाय करते है, तो रुके हुए काम बनने लगते है, आर्थिक संकट, कर्ज़ की समस्या दूर होने लगती है। नवग्रह अंगूठी नवग्रहों के रत्नों से बनी हुई हैं, जिसको धारण कर यदि नित्य नवग्रह कवच का पाठ किया जाए, तो नवग्रह के बने सभी दोषों से रक्षा होने लगती है, जीवन में विशेष सफलता मिलती हैं।