Padangusthasana Benefits, पादांगुष्ठासन

Padangusthasana Benefits | पादांगुष्ठासन के लाभ

Method of Padangusthasana Benefits (पादांगुष्ठासन): The heel of the leg is kept between the anus and testis and sit on the leg giving full weight on it. Keep the other leg on the knee. For support wall can be hold. This will stop the semen flow outside.

Note of Padangusthasana:

  • This Padangusthasana is very helpful for young fellows because it creates pure semen.
  • This Padangusthasana can be done the person of any age after being adult.

Padangusthasana Benefits:

  • This Padangusthasana enhances concentration and stability.
  • Padangusthasana  regulates the blood circulation throughout the body.
  • Practising this for few days will remove the problems of wet dreams.
  • This Padangusthasana allows performing celibacy.
  • This eradicates semen problems.

Padangusthasana Benefits, पादांगुष्ठासन

पादांगुष्ठासन के लाभ | Padangusthasana Benefits

पादांगुष्ठासन विधि: पैर की एड़ी को गुदा और अंडकोष के बीच में लगाकर उसी पर पूरे शरीर का भार डाल कर बैठो और दूसरा पैर घुटनों के ऊपर रखो, सहारे के लिए एक हाथ दीवार पर रख सकते हो गुदा और अंडकोष के बीच में चार अंगुल के लगभग स्थान है, वहां वीर्य की नाड़ियाँ है। उनको एड़ी से दबाने से वीर्य का प्रवाह बाहर आना बंद हो जाता है।

नोट:

  • यह आसन प्रत्येक किशोर और किशोरी के लिए लाभदायक है क्योंकि इसको करने से उसमें शुद्ध वीर्य या रज उत्पन्न होता है।
  • यह आसन प्रत्येक पुरुष व स्त्री को करना चाहिए चाहे वह रोगी हो या निरोगी, बच्चा हो या बूढा, ग्रहस्थी या वानप्रस्थी, सन्यासी या ब्रह्मचारी।

पादांगुष्ठासन के लाभ:

  • इस पादांगुष्ठासन (Padangusthasana Benefits) के अभ्यास द्वारा मन में एकाग्रता और शरीर की स्थिरता शीघ्र प्राप्त की जा सकती है।
  • सभी इन्द्रियों में रक्त संचार ठीक ढंग से होता है। परिणामस्वरूप मनुष्य में मन को रोकने की शक्ति उत्पन्न होती है।
  • थोड़े दिन इस आसन का अभ्यास करने से स्वप्न दोष दूर होता है।
  • इस पादांगुष्ठासन (Padangusthasana Benefits) द्वारा अखण्ड ब्रहमचर्य की सिद्धि प्राप्त होती है, क्योंकि वीर्य बनाने वाली सिवनी नाडी को व्यक्ति वश में कर लेता है।
  • इस पादांगुष्ठासन द्वारा वीर्य दोष दूर होते है।