पशुपति अष्टकम/Pashupati Ashtakam
Pashupati Ashtakam/पशुपति अष्टकम
पशुपतिं द्युपतिं धरणिपतिं भुजगलोकपतिं च सतीपतिम्।
प्रणतभक्तजनार्तिहरं परं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम्॥1॥
न जनको जननी न च सोदरो न तनयो न च भूरिबलं कुलम्।
अवति कोऽपि न कालवशंगतं भजत रेमनुजा गिरिजापतिम्॥2॥
मुरजडिण्डिमवाद्य-विलक्षणं मधुर -पञ्चम-नाद-विशारदम्।
प्रमथभूतगणैरपि सेवितं, भजत रे मनुजा गिरिजापतिम्॥3॥
शरणदं सुखदं शरणान्वितं शिव शिवेति शिवेति नतं नृणाम्।
अभयदं करुणावरुणालयं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम्॥4॥
नरशिरोरचितं मणिकुण्डलं भुजगहारमुदं वृषभध्वजम्।
चितिरजोधवलीकृतविग्रहं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम्॥5॥
मखविनाशकरं शशिशेखरं सतत-मध्वरभाजि-फल-प्रदम्।
प्रलयदग्धसुरासुरमानवं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम्॥6॥
मदमपास्य चिरं हृदि संस्थितं मरणजन्मजराभयपीडितम्।
जगदुदीक्ष्य समीपभयाकुलं भजरेमनुजा गिरिजापतिम्॥7॥
हरिविरञ्चिसुराधिप पूजितं यमजनेशधनेशनमस्कृतम्।
त्रिनयनं भुवनत्रितयाधिपं भजतरे मनुजा गिरिजापतिम्॥8॥
पशुपतेरिदमष्टकमद्भुतं विरचितं पृथिवी – पतिसूरिणा।
पठति संशृणुते मनुजः सदा शिवपुरीं वसते लभते मुदम्॥9॥
Pashupati Ashtakam/पशुपति अष्टकम विशेष:
पशुपति अष्टकम के साथ-साथ यदि नारायण हृदय, कमलापत्य अष्टकम, का पाठ किया जाए तो, पशुपति अष्टकम का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाता है| घर में सुख, शांति, समृधि रखने के लिए सिद्ध शिव यन्त्र फ्रेम को घर में रखना चाहिए| और रोज़ सिद्ध शिव फ्रेम की पूजा करनी चाहिए, यदि संभव हो तो 15 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए|