What is Prana Pratishtha?

BATHING:

Washing any Yantra, Rosary, Rudraksh, Gems or any Idol with raw milk, Ganges water brings general purification, not life suffusion. It is absolutely necessary to bathe objects like Yantra, garlands, Rudraksh, gems, idols etc. to sanctify the things.

PRANA PRATISHTHA :

Prana Pratishtha means, in the Yantra, Rosary, Rudraksh, Gems Idol or anything on which you want to consecrate the life of the same deity, put life in it so that the above said things are made alive. This consecration of life proves to be suffusion of life and does its work; this Prana Pratishtha work is done in auspicious time.

EFFECTUATED MATERIALS:

After bathing any Yantra, Rosary, Rudraksh, Gems Idol for the first time, and thereafter Prana Pratishtha, when a certain number of original mantras are chanted in a particular Muhurta, and Dashansh Havan is performed, then those Yantra, garland, Rudraksh, gem becomes an idolatrous consciousness. As soon as it is used, it gives fast results; moreover, its performance is everlasting and infallible.

EXAMPLE:

In general, the marble stone we use in homes, floor, bathroom, kitchen, the same marble stone idol is installed in temples. Sometimes we are walking on one stone, and then we worship another marble stone idol. It has been said that the idol which is installed in the temples, it has been established after consecration of life in a particular Muhurta, only then by worshiping that idol, we get accomplishment in our work, our wishes are fulfilled.

WHERE TO BUY?;

Astro Mantra provides you with life consecrated Yantra, Rosary, Rudraksh, Gems Idol, Gutika etc. Worship items, which are generally rare to find in the market, you can see for yourself by using these items once, how miraculous these are.

PAY ATTENTION:

Never use Yantra, Rosary, Rudraksh, Gems Idol, Gutika etc. in worship, havan or any experiment without the accomplishment(Prana Pratishtha) of suffusion of life. These things are unanimated; these do not give you any benefit or expected results.

क्या होती है प्राण-प्रतिष्ठा?

स्नान:

किसी भी यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, रत्न या किसी मूर्ति को कच्चे दूध, गंगा से धोने से सामान्य शुद्धि होती है, न की प्राण-प्रतिष्ठा! यह बिलकुल यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, रत्न, मूर्ति आदि वस्तुओं को स्नान करना है,

प्राण-प्रतिष्ठा:

प्राण-प्रतिष्ठा का अर्थ है, जिस यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, रत्न, मूर्ति की आप प्राण-प्रतिष्ठा करना चाहते है, उसमे उसी देवी-देवता के प्राण स्थापित करना, उसमें प्राण डालना, उस यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, रत्न, मूर्ति को सजीव बनाना ताकि वह प्राण-प्रतिष्ठित सिद्ध होकर अपना कार्य करे, यह कार्य सिद्ध मुहूर्त में किया जाता है।

सिद्ध वस्तुए:

किसी भी यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, रत्न, मूर्ति को प्रथम स्नान, प्राण-प्रतिष्ठा करके जब एक खास मुहूर्त में मूल मन्त्र का खास संख्या में मन्त्र जाप किया जाता है, दशांश हवन किया जाता है, तब वह यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, रत्न, मूर्ति सिद्ध चैतन्य हो जाती है, जिसका प्रयोग करते ही वह शीघ्र फल देती है, इसका फल चिरस्थाई और अचूक होता है।

उदाहरण:

सामान्य तौर पर घरों में जिस संगमरमर का पत्थर हम, फर्श, बाथरूम, रसाई में लगते ठीक वही संगमरमर के पत्थर की मूर्ति मंदिरों में लगी होती है, एक पत्थर पर हम चल रहे होते है, तो दुसरे संगमरमर के पत्थर की मूर्ति की हम पूजा कर रहे होते है, जो मूर्ति मंदिरों में स्थपित की हुई होती है, उसकी एक ख़ास मुहूर्त में प्राण-प्रतिष्ठा होती है, तभी उस मूर्ति की पूजा करने से हमें हमारे कार्यो में सिद्धि मिलती है, मनोकामना पूर्ण होती है।

कहाँ से खरीदें ?

अस्त्रों मन्त्र आपको प्राण-प्रतिष्ठित सिद्ध यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, शंख, रत्न, मूर्ति आदि पूजा वस्तुए प्रदान करता है, जो सामान्य तौर पर बाजार में मिलना दुर्लभ होती है, आप एक बार इस वस्तुओं का प्रयोग करके स्वंय देख सकते है, यह कितनी चमत्कारी वस्तुए है।

ध्यान दे:

कभी भी पूजा पाठ, हवन या किसी प्रयोग में बिना प्राण-प्रतिष्ठा सिद्धि के यन्त्र, माला, रुद्राक्ष, शंख, रत्न, मूर्ति आदि का प्रयोग नही करना चाहिए, यह वस्तुए निर्जीव होती है, इससे आपको कोई लाभ नही होता।