Ashtakvarg Se Bhavishy Book/अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक
Ashtakvarg Se Bhavishy (अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक) is an important book, Ashtakvarg Se Bhavishy Book is not easily available, this book is written by Manoj Kumar Lamba Ji, Ashtakvarg Se Bhavishy Book is published by Mahamaya Publications, Jalandhar, the book has 164 pages.
Ashtakvarg Se Bhavishy Book Content list:
According to the content list of the book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. How to make the Ashtakavarg, general fallacies, special fallacies, body formation and age estimation, visible effects, scheduling of events, special prognosis, the Ashtakavarga of Rahu, which is the important part of the Ashtakvarg Se Bhavishy Book.
Ashtakvarg Se Bhavishy Book Benefits:
- You can learn about the transiting effects from the book Know the Future from the Ashtakavarga.
- Learn the future from this book, you can bring changes in your life.
- Determination, special known poetry, the Ashtakavarga of Rahu, which is the important part of the book Know the Future from the Ashtakavarga.
Ashtakvarg Se Bhavishy Book Description:
The Ashtakavarga is called a group of eight objects. In the case of astrology, it is also called the collective force of eight types of influences or forces. In this method, in the horoscope a subtle discussion is made about the positions of the Ascendant, Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus and Saturn, the above seven real, planetary positions and their auspicious and inauspicious effects on the natives. is. In this method, both the shadow planets Rahu and Ketu and in addition to Pluto, Neptune etc., are not given any consideration. In this method, ascendant is considered special.
This method, propounded by astrology Shiromani Maharshi Parashar, can give accurate information about the auspicious and inauspicious events occurring in the life of any person and their timing and effect. Because there is no simple and impeccable method to get accurate information about visible effects about horoscope. The Ashtakavarga method is very popular among astrologers because it is only by this method that it can be known before time, how the fate of the native will be, how old will he be, when will Arishta come, when will he be married, will he have a child or not, the couple is happy Whether or not the parent or sister is the happiness of the brother or not, if the person is able to know before time about things etc., then he is able to write the article of his destiny in his own discretion and May change according to ability.
अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक/Ashtakvarg Se Bhavishy Book
अष्टकवर्ग से भविष्य एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक आसानी से उपलब्ध नही होती, यह पुस्तक मनोज कुमार लम्बा जी के द्वारा लिखी हुई है, इस अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक को महामाया पब्लिकेशन्स, जालन्धर, ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 164 पृष्ठ(पेज) है।
अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक/Ashtakvarg Se Bhavishy Book की विषय सूचि:
अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक/Ashtakvarg Se Bhavishy Book में विषय सूचि अनुसार- अष्टकवर्ग कैसे बनायें, सामान्य फलादेश, विशेष फलादेश, पिंड निर्माण और आयु आकलन, गोचर प्रभाव, घटनाओं का समय निर्धारण, विशेष ज्ञातव्य, राहु का अष्टकवर्ग, जोकि अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक/Ashtakvarg Se Bhavishy Book के महत्वपूर्ण अंग है।
अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक/Ashtakvarg Se Bhavishy Book के लाभ:
- अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक को पढ़ने से अष्टकवर्ग के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
- अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक से गोचर प्रभाव के बारे में जान सकते है।
- अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक से आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।
अष्टकवर्ग से भविष्य पुस्तक/Ashtakvarg Se Bhavishy Book का विवरण:
अष्टकवर्ग आठ वस्तुओं के समूह को कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के विषय में इसे आठ प्रकार के प्रभावों अथवा बलों का सामूहिक बल भी कहा जाता है। इस विधि में जन्मकुंडली में लग्न, सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि की स्थितियों के बारे में, उपरोक्त सातों वास्तविक, ग्रहों की गोचरस्थितियों और उनका जातकों पर पड़ने वाले शुभ-अशुभ प्रभावों का सूक्ष्म रूप से विवेचन किया जाता है। इस विधि में दोनों छाया ग्रहों राहु और केतु तथा इसके अतिरिक्त प्लूटो, नेप्चयून आदि के बारे में भी कोई विचार नहीं किया जाता है। इस विधि में लग्न को विशेष मानकर उससे विचार किया जाता है। ज्योतिष शिरोमणिमहर्षि पाराशर द्वारा प्रतिपादित इस विधि से किसी भी जातक के जेवण में घटित होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं की तथा उनके घटित होने वाले समय की तथा उनके द्वारा डाले जाने वाले प्रभाव की सही-सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। क्योंकि जन्मकुंडली के बारे में गोचर प्रभावों की सही-सही जानकारी प्राप्त करने के लिए इससे सरल और त्रुटिहीन विधि और कोई भी नहीं है। अष्टकवर्ग विधि ज्योतिषाचार्यों के बीच बहुत लोकप्रिय है क्योंकि इस विधि द्वारा ही यह समय पूर्व जाना जा सकता है कि जातक का भाग्य कैसा होगा, उसकी आयु कितनी होगी, अरिष्ट समय कब आयेगा, उसका विवाह कब होगा, संतान होगी या नहीं, दाम्पत्य सुख है या नहीं, माता-पिता-बहन भाई का सुख है या नहीं आदि बातों के बारे में समय से पूर्व जानकर जातक यदि समर्थ है तो वह अपने भाग्य के लेख को अपने स्वयं के विवेचक और क्षमताओं के अनुसार बदल सकता है।
Ashtakvarg Se Bhavishy Book Details:
Book Publisher: Mahamaya Publications
Book Author: Manoj Kumar Lamba
Language: Hindi
Pages: 164 Pages
Size: “18” x “12” cm
Weight: 189 gm Approx
Shipping: Within 4-5 Days in India
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