Bhrigusutram Book/भृगुसूत्रम पुस्तक : Bhrigusutram Book is an important book of astrology, in which information about almost all rare astrology is hidden.
Bhrigusutram Book About:
Our sages have created astrology based on their Sadhana, asceticism and experience for the past, future and present knowledge. This is a short series of astrology- Maharishi Bhrigu composed Granth Bhrigusutram. On the basis of this text, the Navagrah located in the horoscope can be called the result of any horoscope. This book is full capable in saying the horoscope and it is indivisible in itself. Based on this script, based on sun-goddesses, there can be many results predicted of, body, wealth, power, brother-sister, parents, son, education, enemy, woman, age, religion, fortune, work, state, income, expenditure etc. – Bhrigusutram Book.
Nowadays, there is a lot of popularity among Bhrigusanhita to know the birth order of the horoscope. According to the famous scholar Shri Shankar Bal Dikshit, this is a famous book. This name is known by Arsha but Varahamihir and Bhatotpal have not mentioned this, so it will be older from them, it cannot be said definitively. People say that every man’s horoscope lives in it. If it is true then according to the different places of planets and the different Lagnas and planets, in these 74649600 horoscopes are there, the result of each horoscope if written in 102 stanzas, then there should be 75 crores psalms. There are some such magazines that contain different horoscopes of different parts of lagnas. By accepting so many horoscopes, their number will increase very much. It is impossible to have such a large volume. – Bhrigusutram Book.
भृगुसूत्रम पुस्तक/Bhrigusutram Book
भृगुसूत्रम, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष के बारे में जानकारी दी गई है।
भृगुसूत्रम पुस्तक के बारे में..
हमारे ऋषि-मुनियों ने भूत, भविष्य और वर्तमान ज्ञान के लिए अपनी साधना, तपबल और अनुभव के आधार पर ज्योतिष शास्त्र की रचना की है। इस ज्योतिष शास्त्र की एक लघु श्रृंखला है-महर्षि भृगु प्रणीत ग्रन्थ भृगुसूत्रम्। इस ग्रन्थ के आधार पर जन्मकुंडली स्थित नवग्रहों के द्वारा किसी भी कुंडली का फल कहा जा सकता है। जन्मपत्री का फल कहने में यह ग्रन्थ पूर्ण समर्थ है और अपने आप में अदिव्तीय है। इस ग्रन्थ के द्वारा भाव स्थित सूर्यादि नवग्रहों के आधार पर शरीर, धन, पराक्रम, भाई-बहन, माता-पिता, पुत्र, विद्या, शत्रु, स्त्री, आयु, धर्म, भाग्य, कर्म, राज्य, आय, व्यय आदि अनेकानेक फल कहे जा सकते हैं। -Bhrigusutram Book.
आजकल भृगुसंहिता के द्वारा जन्मकुंडली का फलादेश जानने की अत्याधिक लोकप्रियता है। प्रसिद्ध विद्वान् श्री शंकर बाल दीक्षित के अनुसार यह बड़ा प्रसिद्ध ग्रन्थ है। नाम से यह आर्ष मालूम होता है परन्तु वराहमिहिर और भटोत्पल ने इसका उल्लेख नहीं किया है अतः यह उनसे प्राचीन होगा, यह निश्चय पूर्वक नहीं कहा जा सकता। लोग कहते हैं कि इसमें प्रत्येक मनुष्य की जन्मकुंडली रहती है। यदि यह सत्य है तो भिन्न-भिन्न लग्नों और भिन्न-भिन्न स्थान स्थित ग्रहों के भेदानुसार इसमें 74649600 कुंडलियां और प्रत्येक कुंडली का फल यदि 102 श्लोक में लिखा हो तो 75 कोटि श्लोक होने चाहिए। भृगुसंहिता में कुछ ऐसी पत्रिकाएं मिलती हैं जिनमें एक लग्न के भिन्न-भिन्न अंशों की भिन्न-भिन्न कुंडलियां बनी रहती हैं। इतनी कुंडलियां मानने से उनकी संख्या बहुत बढ़ जाएगी। इतना बड़ा ग्रन्थ होना असम्भव है। – Bhrigusutram Book.
Bhrigusutram Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Dr. Umesh Puri ‘Gyaneshwar’
Language: Hindi
Weight: 220 gm Approx.
Pages: 175 Pages
Size: “22” x “14” x “1” cm
Edition: 2013
Shipping: Within 4-5 Days in India
Shop: Books | Yantra | Rosary | Rudraksha | Gemstones | Rings | Kavach | Lucky Charms | Online Puja | Puja Items | Gutika | Pyramids | FengShui | Herbs | View All
Kishan –
बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है