Jyotish Ratnakar Book/ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक
Jyotish Ratnakar (ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक) is an important book, Jyotish Ratnakar book is not easily available, this book is written by Devkinandan Singh Ji, this Jyotish Ratnakar book is published by Motilal Banarsidas, Delhi, this book has 1098 pages.
Jyotish Ratnakar Book Content list:
According to the content list of the Jyotish Ratnakar Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. The main two divisions of astrology, knowledge of time in Bharatavarsha, astrophysics, divisions of constellations, lord of zodiac signs, basic triangles of planets, color of planets, planetary direction, zodiac introduction, zodiac direction, navansh, Lagna projections, Lagna means method , Kundali shape, Chandra sphut, Hora Lagna, Pranapada, Antaradha, astrology mystery flow, Bhava, vision, planetary setting, Vidya thought, remembrance, Vidya exam, son yoga, childbirth Yu, estimates due to funds received, luck of the time, has said about the kind of age, Age of Reckoning, is the important part of the Jyotish Ratnakar Book.
Jyotish Ratnakar Book Benefits:
- By reading the Jyotish Ratnakar Book, you can change your life.
Jyotish Ratnakar Book Description:
Both the theory and the result are included in the presented book. There are two parts of the book which are kept in the same book for the convenience of the reader. The first part has complete provision of birth certificate; The second part depicts fruit from the example of horoscopes. The two parts are further supplemented by coordinating the theory and the result (Jyotish Ratnakar Pushtak). Astrology is an important useful subject. In the six parts of the Veda, there is the fourth part of astrology called the eye; Education in other parts is nasal, grammar is mouth, nirukta is ear, kalpa is hand, chhanda charan. This learning has been going on since ancient times in India. Lokmanya Balgangadhar Tilak’s work Vedang Astrology gives a sufficient introduction to its antiquity. There is no doubt that the Vedic period maharishis had complete knowledge of the activities of the planetarium. Astrological themes are scattered in Brahmin texts. There is a Narada-Santkumar dialogue in the Chandogya section of Sama Brahmin which mentions fourteen disciplines. Among them is the 13th constellation Vidya. Surya-Siddhanta Siddhanta is the great text of astrology. In this, almost all the things of Siddhanta-Astrology are found. It is known from the discussion related to the sun, earth, day and night in the Taittiriya Brahmana that in ancient times even the people of India knew the difference between the planets and the Tarango.- Jyotish Ratnakar Pushtak.
ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक/Jyotish Ratnakar Book
ज्योतिष रत्नाकर एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक/Jyotish Ratnakar Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक देवकीनंदन सिंह जी के द्वारा लिखी हुई है, इस ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक को मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली ने प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 1098 पृष्ठ(पेज) है।
ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक/Jyotish Ratnakar Book की विषय सूचि:
ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक में विषय सूचि अनुसार– ज्योतिष के मुख्य दो विभाग, भरतावर्ष में समय का ज्ञान, खगोल वर्णन, नक्षत्रो के विभाग, राशियों के स्वामी, ग्रहों के मूल त्रिकोण, ग्रहों के रंग, ग्रह-दिशा, राशि परिचय, राशि दिशा, नवांश, लग्न अनुमान, लग्न साधन विधि, कुण्डली का आकार, चन्द्र स्फुट, होरा लग्न, प्राणपद, अन्तरदशा, ज्योतिष रहस्य प्रवाह, भाव, दृष्टि, ग्रहों का अस्त होना, विद्या विचार, स्मरणशक्ति, विद्या परीक्षा, पुत्र योग, संतान की मृत्यु, धन प्राप्ति के कारण का अनुमान, भाग्योदय का समय, आयु, आयु गणना के प्रकार के बारे में बताया गया है, जोकि ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक/Jyotish Ratnakar Book के महत्वपूर्ण अंग है।
ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक/Jyotish Ratnakar Book के लाभ:
- ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक को पढ़कर आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते है।
ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक/Jyotish Ratnakar Book का विवरण:
प्रस्तुत ग्रन्थ में सिद्धांत और फलित दोनों का समावेश मिलता है। ग्रन्थ के दो भाग हैं जो कि पाठक की सुविधा के लिये एक ही जिल्द में रखे गये हैं। प्रथम भाग में जन्म पत्र का पूरा प्रावधान है; द्वितीय भाग में कुण्डलियों के उदाहरण से फल दर्शाया गया है। सिद्धांत और फलित का समन्वय करके दोनों भाग इतरेतर पूरक हो जाते हैं। ज्योतिष एक महत्वपूर्ण उपयोगी विषय है। वेद के छ: भागों में ज्योतिष चतुर्थ भाग है जिसे नेत्र कहा गया है; अन्य भागों में शिक्षा नासिका है, व्याकरण मुख है, निरुक्त कान है, कल्प हाथ है, छन्द चरण है। यह विद्या भारत में प्राचीन काल से चली आ रही है। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की कृति वेदांग ज्योतिष से इसकी प्राचीनता का पर्याप्त परिचय मिलता है। वैदिक कालीन महर्षियों को तारामण्डल की गतिविधियों का पूर्ण ज्ञान था इसमें संदेह नहीं है। ब्राह्मण ग्रन्थो में ज्योतिष सम्बन्धी प्रसंग बिखरे पड़े हैं। साम ब्राह्मण के छान्दोग्य भाग में नारद-सनत्कुमार संवाद है जिसमें चौदह विद्याओं का उल्लेख है। इनमें 13 वीं नक्षत्र विद्या है। सूर्य-सिद्धांत सिद्धांत ज्योतिष का आर्ष ग्रन्थ है। इसमें सिद्धांत-ज्योतिष की प्राय: सभी बाते पाई जाती है। तैतिरीय ब्राह्मण में सूर्य, पृथ्वी, दिन तथा रात्रि के सम्बन्ध में जो चर्चा मिलती है उससे ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में भी भारत-वासी ग्रहों और तारांगो के भेद को भली-भांति जानते थे।
Jyotish Ratnakar Book Details:
Book Publisher: MLBD Books
Book Author: Devkinandan Singh
Language: Hindi
Pages: 1098 Pages
Size: “21” x “14” cm
Weight: 912 gm Approx
Shipping: Within 4-5 Days in India
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