Jyotish Sikhen Book/ज्योतिष सीखें पुस्तक : Jyotish Sikhen Book is an important book of Jyotish Shastra, in which information about astrology is hidden.
Jyotish Sikhen Book About:
Because of his curious tendency, man keeps on looking forward to establishing the relationship of his life with every object of creation. According to Indian science, man continues to work as long as he alive. This action is of three types – accumulated, destined and action oriented. The actions performed by man to the present moment are called accumulated deeds, whether they were done in this birth or earlier life. The part of the accumulated karma that remains in a hungry state is due to destiny and karmic theory, the soul holds many bodies. When a body becomes chronic, then the soul after death enters another gross body. – Jyotish Sikhen Book.
Since time immemorial, human beings are curious to know that their best wishes are to know their future. For the fulfillment of this desire, human beings discovered the invaluable and unseen property of the sages as a result of tireless efforts which became famous. The formulated by him in this Akhand Seva is the inexhaustible truth, whose authenticity is direct in astrology. The word ‘jyotish’ means the light which reflects the importance of life, the eyes are only visible in the light, and otherwise the darkness is rife. Therefore, it is clear that astrology is the scripture in which the solar system located in the body, by analyzing the reciprocal relation with the outer circle, is to guide the function according to the position and motion of the planets. It is clear from this Sanskrit proverb – ‘Jyotish Surya, Grahanan Bodhakan Shastram. -Jyotish Sikhen Book.
ज्योतिष सीखें पुस्तक/Jyotish Sikhen Book
ज्योतिष सीखें, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष शास्त्र के बारे में जानकारी दी गई है।
ज्योतिष सीखें पुस्तक के बारे में..
मनुष्य अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण सृष्टि की प्रत्येक वस्तु के साथ अपने जीवन का सम्बन्ध स्थापित करने को तत्पर रहता है। भारतीय शास्त्रानुसार मनुष्य निरंतर कर्मरत रहता है। यह कर्म तीन प्रकार का होता है – संचित, प्रारब्ध एवं क्रियमाण। मनुष्य द्वारा वर्तमान क्षण तक किये गये कर्म संचित कर्म कहलाते है, चाहे वे इस जन्म में या पूर्व जन्म में किये गये हो। संचित कर्म का जो भाग भुक्त अवस्था में रहता है प्रारब्ध और कर्म सिद्धान्त के कारण आत्मा अनेक शरीर धारण करती है। जब एक शरीर जीर्ण हो जाता है। तो मरणोपरान्त आत्मा दूसरे स्थूल शरीर में प्रवेश कर जाती है। -Jyotish Sikhen Book.
आदिकाल से ही मानव अप्राप्य के प्रति जिज्ञासु रहा है इसलिए उसकी सर्वोत्कृष्ट इच्छा अपना भविष्य जानने की होती है। इस इच्छा की पूर्ति के लिए मानव ने अथक प्रयासों के फलस्वरूप ऋषियों की अमूल्य और अखण्ड सम्पत्ति को खोज निकाला जो शनै: शनै: जगत प्रसिद्ध हो गई। इस अखण्ड सम्पत्ति में उनके द्वारा रचित सूत्र अकाट्य सत्य है जिनकी प्रमाणिकता ज्योतिष शास्त्र में प्रत्यक्ष है। ज्योतिष शब्द से इसका तात्पर्य स्पष्ट आभासित होता है, ‘ज्योति’ अर्थात प्रकाश जिससे जीवन की महत्वता झलकती है, आँखें प्रकाश में ही देखने योग्य होती है अन्यथा अँधेरा ही व्याप्त है। अत: स्पष्ट है कि ज्योतिष शास्त्र वह शास्त्र है जिसमें शरीर स्थित सौर मंडल का बाह्य मंडल से पारस्परिक सम्बन्ध विश्लेषित करके ग्रहों की स्थिति एवं गति के अनुसार फलाफल निर्देशित करना है। जैसा कि इस संस्कृत उक्ति से स्पष्ट होता है – ‘ज्योतिष सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम। -Jyotish Sikhen Book.
Jyotish Sikhen Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Gyaneshwar
Language: Hindi
Weight: 165 gm Approx.
Pages: 223 Pages
Size: “18” x “12” x “1” cm
Edition: 2013
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Sonu Sharma –
Good Book, full knowledge of astrology, try once.
Mukesh –
Super